कारोबार वार्षिकी 2018- कारोबारी सेक्टर्स और निवेशकों के लिए निराशाजनक
मुंबई, 27 दिसंबर (हि.स.)। वर्ष 2018 खत्म होने की कगार पर है। यह साल कारोबारी सेक्टर्स और निवेशकों के लिए निराशाजनक साबित हुआ है। एक साल के दौरान बाजार हैसियत में केवल 98845.67 करोड़ रुपये का ही इजाफा हो पाया है। हालांकि इस साल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के सेंसेक्स ने ऊंचाई का नया रिकॉर्ड बनाया, लेकिन बाद में भारी गिरावट दर्ज की, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान सहना पड़ा। हालांकि एक साल के पहले कारोबारी तुलना के लिहाज से सेंसेक्स में अब तक 2126.19 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज हो चुकी है, जबकि निफ्टी में केवल 371.2 अंकों की ही उछाल दर्ज हो पाई है। बता दें कि साल 2018 के शुरुआत से ही अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की सख्ती, कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी, डॉलर के मुकाबले रुपये में सुस्ती के साथ-साथ विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने घरेलू बाजारों पर दबाव बनाए रखा है। इसके अलावा चीन और अमेरिका के बीच जारी ट्रेड वॉर से जुड़ी चिंताओं के कारण भी शेयर बाजारों में भारी उथल-पुथल देखी गई।
उल्लेखनीय है कि साल 2018 निवेशकों के लिए बेहतर नहीं कहा जा सकता। इस एक साल के दौरान बाजार ने जहां 38,989.65 अंकों का उच्चतम रिकॉर्ड बनाया तो वहीं 32,483.84 अंक के निचले स्तर तक भी दस्तक दे चुका है। निफ्टी ने भी एक साल के दौरान 11,760.20 का नया उच्चतम शिखर हासिल किया और 9,951.90 अंक के नीचे भी फिसल गया था। साल 2017-18 में मार्केट कैप 1,42,24,996.97 करोड़ रुपये रहा था, वहीं वर्ष 2018-19 में अब तक यह 1,43,23,842.64 करोड़ रुपये हो गया है। पिछले एक साल के दौरान बाजार पूंजीकरण में 98845.67 करोड़ रुपये का ही इजाफा हो पाया है। लेकिन इस आंकड़े से बाजार के निवेशकों के चेहरों पर कोई रौनक नहीं दिखाई दे रही है।
बता दें कि इस साल सेंसेक्स ने जहां 38,989.65 का रिकॉर्ड उच्चतम स्तर हासिल किया, वहीं यह इंडेक्स 32,483.84 के स्तर तक भी लुढ़का है। इसी तरह निफ्टी 50 इंडेक्स ने भी अगस्त के अंत में 11,750 अंक के स्तर पर दस्तक दी थी, लेकिन अक्टूबर के अंत तक यह 10,030 अंक तक गिर गया। फिलहाल निफ्टी 10,785.90 अंक पर ट्रेंड कर रहा है, जबकि सेंसेक्स 35,843.67 अंक पर कारोबार कर रहा है। साल 2017 के अंतिम कारोबारी सत्र से 27 दिसंबर 2018 तक निफ्टी 50 इंडेक्स ने निवेशकों को महज 1.26 फीसदी का ही रिटर्न दिया है, जबकि 30 शेयरों वाले बीएसई सेंसेक्स भी केवल 4.15 फीसदी का ही प्रॉफिट दे पाया है।
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, यह साल बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शेयर बाजार की चाल काफी सुस्त रही है। बीएसई पर सूचीबद्ध तमाम कंपनियों का मार्केट कैप 29 दिसंबर 2017 को 151.67 लाख करोड़ रुपये था, जो 27 दिसंबर 2018 तक घटकर 143.23 लाख करोड़ रुपये ही रह गया है। 31 अगस्त 2017 को बाजार का मार्केट कैप 159.34 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा था। अगस्त 2017 से दिसंबर 2018 तक बाजार हैसियत में 16.11 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है।
27 दिसंबर 2018 को बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों में से 2371 कंपनियों के शेयरों में सक्रिय रूप खरीद-फरोख्त की जा रही थी। इसमें से 2011 कंपनियों (85 फीसदी) के शेयरों ने निवेशकों को बेहतर रिटर्न नहीं दिया है। इससे निवेशकों का काफी पैसा डूब गया। निवेशकों की रकम डुबोने वाली कंपनियों में येस बैंक, सन फॉर्मा, अरविंद, दीवान हाउसिंग, पीसी जूलर्स, जेट एयरवेज, इंफी बीम एवेन्यूज, रिलायंस कैपिटल, जुबिलंट इंडस्ट्रीज, बॉम्बे डाइंग, टाटा मोटर्स, दिलीप बिल्डकॉन, अवंती फीड्स, पंजाब नेशनल बैंक, गीतांजलि जेम्स, सनस्टार रियल्टी डेवलपमेंट, कृष्णा वेंचर्स, यामिनी इंवेस्टमेंट्स, क्रेसेंट लीजिंग जैसी कंपनियों ने निवेशकों को 95 फीसदी से अधिक की चपत लगाई है। 1 जनवरी 2018 को गीतांजली के शेयरों की कीमत 71.05 रुपये थी, जो 24 दिसंबर तक 98.55 फीसदी घटकर महज 1.10 रुपये रह गई है। इसी तरह, सन फॉर्मा के शेयरों की कीमत 14 नवंबर तक 537.76 रुपये थी, वह आज 414.55 रुपये पर पहुंच गई है। इसी तरह अरविंद के शेयरों की कीमत नवंबर 2018 तक जहां 450 रुपए थी, वह आज घटकर 96.30 रुपये रह गई है। इस साल निवेशकों का पैसा डूबाने में रियल्टी, वित्त और एनबीएफसी सेक्टर सबसे आगे रहे हैं। इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर में भी तेजी नहीं देखी गई।
टीसीएस की मार्केट कैप भी पिछले तीन महीने में 0.82 करोड़ रुपये घट गई है। सितंबर 2018 में टीसीएस की बाजार हैसियत 8.02 लाख करोड़ थी, जो अब 7.21 लाख करोड़ रुपये रह गई है। इसी तरह, रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप भी तीन महीने में घटी है। तीन महीने पहले रिलायंस का मार्केट कैप 7.87 लाख करोड़ था, वह आज घटकर 7.11 लाख करोड़ रुपये हो गया है। आईटीसी का मार्केट कैप 3.77 लाख करोड़ से घटकर 3.41 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसके अलावा सन टीवी की मार्केट वैल्यू इस साल 16,000 करोड़ रुपये घट गई है। इस साल अनिल अंबानी की अगुवाई वाली चार कंपनियों- रिलायंस पावर, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस कैपिटल और रिलायंस निपॉन के शेयरों की वैल्यू भी 45-46 फीसदी तक घटी है। रिलायंस समूह की इन कंपनियों से निवेशकों को 30,489 करोड़ रुपये और प्रमोटरों को 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसी तरह, वाधवा समूह की दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन की वैल्यू भी 60 फीसदी तक घट गई है। इससे प्रमोटरों को 4,300 करोड़ रुपये का घाटा सहना पड़ा।
पिछले साल की तरह इस साल भी टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए सबसे खराब साल रहा। नोटबंदी के झटके से उबरने से पहले ही जीएसटी लागू हो गई, जिससे इस उद्योग की कमर ही टूट गई। टेस्टाइल सेक्टर की 166 कंपनियों ने निवेशकों की दौलत को 85 फीसदी तक साफ कर दिया है। इस साल अरविंद, बॉम्बे डाइंग, मॉन्टी कार्लो, रेमंड जैसी कुछ नामी कंपनियों के शेयर 12 से 25 फीसदी तक नीचे लुढ़क चुके हैं, जबकि एसआरके इंडस्ट्रीज, जेबीएफ इंडस्ट्रीज, ब्लू ब्लेंड्स, बॉम्बे रेयॉन और प्रोवोग इंडिया जैसी कंपनियों के शेयरों की वैल्यू भी 85 फीसदी तक घटी है। इसके अलावा फॉर्मा उद्योग को भी पिछले एक साल में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। नीति के स्तर पर अस्थिरता, निर्यात कारोबार के लिए बढ़ती चिंताएं और जल्दबाजी में किए गए दवा नियामकीय सुधार के काऱण वर्ष 2017 से ही फॉर्मा उद्योग के लिए परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही।
पिछले साल अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से विशेष पैकेज घोषित किए गए थे। वित्त वर्ष 2015-16 में जीडीपी 8 प्रतिशत थी, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में यह घटकर 7.1 प्रतिशत रह गई है। इस साल की जीडीपी भी 6.8 फीसदी से 7 फीसदी के बीच रहने की संभावना जताई गई है। जीएसटी लागू होने के बाद से जीएसटी संग्रह में भारी घाटा हो रहा है। केंद्र ने राज्यों को पिछले साल तक 24,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। पूरे देश की कर प्रणाली को एकीकृत करने वाले आर्थिक सुधार जीएसटी के लागू होने के बाद राज्यों को बड़ा राजस्व घाटा हुआ है।