काम्यकेश्वर तीर्थ में श्रद्धालुओं ने लगाई श्रद्धा की डुबकी

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कुरुक्षेत्र, 13 जनवरी (हि.स.)। कमोदा स्थित ऐतिहासिक काम्यकेश्वर तीर्थ में शुक्ल पक्ष की रविवारीय सप्तमी पर सैकड़ों लोगों ने श्रद्धा की डुबकी लगाई। रविवार को तीर्थ पर स्थित शिव मंदिर में श्रद्धालुओं ने दूध, दही, गंगाजल आदि चढ़ाकर सुख-समृद्धि की कामना की। तीर्थ पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ब्राह्माणों ने विश्व शांति यज्ञ किया। विश्व शांति यज्ञ में थानेसर ब्लाक समिति चेयरमैन देवीदयाल शर्मा एवं भाजपा नेता संदीप ओंकार ने पूर्णाहुति डाली। यज्ञ के उपरांत भंडारे का आयोजन हुआ। उसमें साधु-महात्माओं और ग्रामीणों ने प्रसाद ग्रहण किया
ग्रामीण सुमिंद्र शास्त्री ने महाभारत कालीन काम्यकेश्वर तीर्थ पर शुक्ल पक्ष रविवारीय सप्तमी के दिन पूजन का विशेष महत्व है। पुराण में वर्णित है कि शुक्ल पक्ष की रविवारीय सप्तमी के दिन स्नान करने के लिए पाडवों ने काफी लंबा इतजार किया फिर भी उनको इस दिन स्नान करने का सौभाग्य नहीं मिला। इस पवित्र सरोवर में स्नान करने से असाध्य रोगों से मुक्ति व संतान प्राप्ति होती है। रविवार को तीर्थ के पवित्र सरोवर पर सुबह श्रद्धालुओं ने स्नान किया और शिवलिंग पर अभिषेक किया। मंदिर में विश्व शांति यज्ञ में श्रद्धालुओं ने आहुतियां डालीं।
मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस स्थान पर मात्र प्रवेश से ही मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति कर पुण्य का भागी बनता है। वनवास के दौरान पाडव आठ वर्ष 11 मास तक इसी धरा पर रहे। उनके साथ 10 हजार के करीब शास्त्रोतियानिष्ठ ब्राह्मण रहते थे, जो नित्य प्रति भगवान शिव का अभिषेक व अनुष्ठान किया करते थे। नीतिवेता विदुर जी, वेदव्यास जी, मारकंडेय जी एवं लोमहर्षण ऋषि जी नित्यप्रति महापुरुषों के जीवन का वृतात इसी धरा पर बताते थे। समाज एवं ब्राह्मणों के उद्धार के लिए सरस्वती यहां पर कुंड के रूप में प्रकट होकर पश्चिम वाहिनी होकर बहने लगी। उसी कुंज में साक्षात भगवान सूर्य नारायण पूषा नाम से प्रत्येक रविवार को विद्यमान रहते है। पाडवों के वंशज अपने पितरों की मुक्ति एवं मनोकामना के लिए शुक्ल सप्तमी का इंतजार करते रहे। मंदिर परिसर में कई दुकानें भी लगी, जिस पर लोगों ने खरीदारी की। इस मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण व श्रद्धालु मौजूद रहे।


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