कांग्रेस हाईकमान ने फरीदाबाद में बदली टिकट, अवतार की बढ़ेगी मुश्किलें

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चुनाव प्रचार में सबसे आगे निकले भाजपा प्रत्याशी गुर्जर
फरीदाबाद, 22 अप्रैल (हि.स.)। कांग्रेस हाईकमान ने फरीदाबाद लोकसभा की टिकट को बदल दिया। पार्टी हाईकमान ने पहले इस सीट से तिगांव के विधायक ललित नागर को प्रत्याशी घोषित किया था वहीं अब इस सीट से पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना को टिकट दे दिया। बताया जा रहा है कि अपनी टिकट के लिए अवतार सिंह भड़ाना ने मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेता ज्योतिराजे सिंधिया के साथ-साथ कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से सिफारिश करवाई थी, तब जाकर उन्हें यहां से टिकट मिली है। भड़ाना बेशक टिकट लाने में कामयाब रहे हो परंतु उनकी मुश्किलें अब और बढ़ गई है। टिकट में हुए बदलाव के बाद कांग्रेस पार्टी के प्रति मतदाताओं में गहरी नाराजगी नजर आने लगी है। विपक्षी पार्टियों के लोग तो अब यह कहने लगे है, जब पार्टी हाईकमान प्रत्याशियों के चयन को लेकर ही दृढ़ संकल्पित नहीं है तो ऐसे में पार्टी लोकसभा में क्या परिणाम लाएगी, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
सन् 2000 में भी टिकट में आखिरी मौके पर बदलाव कर चुकी है कांग्रेस
2019 में फरीदाबाद से आखिरी समय में टिकट बदलाव प्रकरण ने एक बार फिर 2000 के इतिहास की याद ताजा कर दी। सन् 2000 में हुए हरियाणा के विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने फरीदाबाद एनआईटी क्षेत्र से ज्ञानचंद आहूजा को कांग्रेस की टिकट दी थी। उस समय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह हुड्डा थे। आहुजा ने तीन फरवरी को अपना नामांकन भी भर दिया था। लेकिन होनी को कुछ ओर ही मंजूर था। कांग्रेस आलाकमान ने आहूजा के नामांकन पत्र भर देने के बावजूद नामांकन भरने का समय समाप्त होने से करीब एक घंटा पहले तीन फरवरी को ही राजनैतिक कारणों के चलते ज्ञानचंद आहूजा की टिकट काटते हुए उसे बदलकर ए.सी.चौधरी को यहां से अपना उम्मीदवार बना दिया। बताते हैं कि उस समय भजनलाल के कहने पर कांग्रेस हाईकमान ने ज्ञानचंद आहूजा सहित प्रदेश भर में कई टिकटों में बदलाव किया था जिनमें हसनपुर विधानभा क्षेत्र (सुरक्षित)-55 से उदयभान की टिकट बदलकर रामरतन को दे दी गई थी। मजेदार बात तो यह कि उस समय आजाद उम्मीदवार के रूप में नामांकन कर चुके उदयभान ने जहां चुनावों में जीत हासिल की वहीं बदले गए ए.सी. चौधरी, रामरतन दोनों कांग्रेस पार्टी के नए उम्मीदवार बुरी तरह हारे थे।
संगठन के वरिष्ठ नेताओं को एक मंच पर लाना होगा चुनौती
कांग्रेस प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना को पार्टी संगठन के वरिष्ठ नेताओं को एक मंच पर लाना किसी चुनौती से कम नहीं होगी। पलवल के विधायक करण सिंह दलाल अभी कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन को लेकर कोई निर्णय नहीं कर पाए है। हालांकि रविवार को उन्होंने ब्राह्मण धर्मशाला में अपना शक्ति प्रदर्शन करके कार्यकर्ताओं में यह संदेश दिया कि वह टिकट लाने में कामयाब होंगे और 23 अप्रैल को नामांकन भरेंगे। अब वह कौन सी टिकट लाएंगे, यह पता नहीं क्योंकि कांग्रेस सहित जेजेपी-आप गठबंधन की टिकट की घोषणा हो चुकी है और अब वह हाईकमान के आदेश के तहत कांग्रेस प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना का समर्थन करेंगे या फिर उनका विरोध। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस के प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना ही थी, उस दौरान करण दलाल ने भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर का समर्थन किया था, जिसका खुला ऐलान वह एक प्रेस वार्ता के दौरान सार्वजनिक तौर पर कर चुके है। इसके अलावा पूर्वमंत्री महेंद्र प्रताप व उनके पुत्र विजय प्रताप ने भी अभी तक कांग्रेस प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना के समर्थन में आने की घोषणा नहीं की है। जिस प्रकार उन्होंने ललित नागर को प्रत्याशी बनाए जाने पर हाईकमान के चयन पर उगुंली उठा दी थी, उसको लेकर पार्टी हाईकमान उन पर बड़ी कार्यवाही कर सकती है और हो सकता है कि विधानसभा चुनावों में महेंद्र प्रताप परिवार को टिकट से भी हाथ धोना पड़ जाए। इसी प्रकार लोकसभा टिकट की फेहरिस्त में खड़े जेपी नागर व यशपाल नागर भी अभी पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है।
गुर्जर ने अवतार को हराकर बनाया था रिकार्ड
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर ने कांग्रेस प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना को पौने पांच लाख के बड़े अंतर से हराकर हरियाणा में सबसे पहली और देश में टॉप दस जीत में अपना नाम दर्ज किया था। यह दोनों दिगगज 5 साल बाद फिर आमने-सामने होंगे। अब देखना यह है कि इस बार गुर्जर अपनी जीत का रिकार्ड तोड़ पाते है या फिर भड़ाना पहले से ज्यादा मत हासिल करते है। 2014 के चुनाव हारने के बाद अवतार सिंह भड़ाना ने कांग्रेस पार्टी से नाता तोडक़र भाजपा का दामन थामन लिया था। उत्तरप्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी ने उन्हें मीरापुर विधानसभा से टिकट दिया और वह इस चुनाव को जीत गए। यूपी सरकार में मंत्री बनने का सपना टूटने पर भड़ाना ने फरीदाबाद में फिर सक्रियता दिखाई और केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल के खिलाफ आरोप लगाने शुरु कर दिए। इसके बाद मौके की नजाकत को देखकर वह कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हो गए। परंतु चार सालों तक उनकी फरीदाबाद में सक्रियता कम ही रही।
फरीदाबाद से चार साल की दूरी से समर्थक मायूस
भाजपा में शामिल होकर विधायक बनने के बाद अवतार सिंह भड़ाना ने फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से अपनी सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली थी, जिसके चलते उनके समर्थक मायूस हो गए थे परंतु चुनावों से ऐन वक्त पर उन्होंने फरीदाबाद की राजनीति में फिर सक्रियता दिखानी शुरु कर दी और यहां भाजपा विधायक के तौर पर कार्यक्रमों में शिरकत करने लगे परंतु पार्टी में रह पार्टी मंत्री के खिलाफ उनकी बयानबाजी बंद नहीं हुई। इस दौरान उन्होंने भाजपा से लोकसभा टिकट के प्रयास शुरु कर दिए थे परंतु यहां उनकी दाल नहीं गली, जिस पर उन्होंने भाजपा छोड कांग्रेस में अपनी एंट्री कर ली। अब देखना यह है कि 5 साल बाद चुनाव मैदान में उतरे ये दोनों दिगगज किस पर भारी पड़ते है, फिलहाल तो भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर हर तरह से कांग्रेस प्रत्याशी भड़ाना पर भारी नजर आ रहे है।
चुनाव प्रचार में आगे निकले भाजपा प्रत्याशी गुर्जर
भाजपा द्वारा जल्द टिकट घोषित होने का लाभ भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर को खूब मिला। अब तक वह अपने चुनाव प्रचार के दौरान करीब 6 विधानसभाओं को कवर कर चुके है। इन विधानसभाओं के अंतर्गत आने वाले शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में गुर्जर न केवल सक्रियता से लोगों से रुबरु हुए है बल्कि उन्हें अपने पांच वर्षाे का लेखा जोखा और मोदी सरकार की उपब्धियां भी गिना चुके है। ऐसे में चुनाव प्रचार में गुर्जर फरीदाबाद के सभी प्रत्याशियों में सबसे आगे निकल गए है।

 


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