कल्याणपुर सीट : मोदी लहर में बेटी नीलिमा कटियार ने साइकिल को किया पंचर
राम मंदिर आंदोलन से शुरु हुए जीत के सिलसिले में परिसीमन ने लगाया था ब्रेक
कानपुर, 11 जनवरी (हि.स.)। औद्योगिक नगरी कानपुर में राम मंदिर आंदोलन यानी 1991 में भाजपा को जबरदस्त कामयाबी मिली। कई सीटें ऐसी रही कि जीत का सिलसिला कई बार चला। इनमें से दो ऐसी सीटें रही जहां पर लगातार पांच बार कमल खिला। लेकिन परिसीमन ने कल्याणपुर सीट पर ब्रेक लगा दिया और प्रेमलता कटियार छठवीं बार विधायक नहीं बन सकी। इसके बाद अगले ही चुनाव में मोदी लहर में उनकी बेटी नीलिमा कटियार ने साइकिल को पंचर कर मां को जीत का तोहफा दिया और उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री भी बनी।
कानपुर में भाजपा को पहली जीत 1989 के विधान सभा चुनाव में मिली और गोविन्द नगर सीट से बालचन्द्र मिश्रा ने कमल को खिलाया। इसके दो साल बाद राम मंदिर आंदोलन चला तो मानों कानपुर में भाजपा की लहर आ गई और शहर की सभी छह सीटों पर कमल खिल गया। इसके बाद भी कई सीटों पर कमल खिलता रहा लेकिन धीरे-धीरे भाजपा की सीटें कम होती गईं और 2007 तक के चुनाव में दो ही सीटें बची जिनमें लगातार पांचवी बार कमल खिला। इनमें स एक थी कल्याणपुर सीट और दूसरी थी छावनी।
इन सीटों पर क्रमश: पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेमलता कटियार और पूर्व राज्य मंत्री सतीश महाना को ही जीत नसीब हुई। इसके बाद 2012 में परिसीमन के तहत सीटों के क्षेत्र में बदलाव हुआ तो सतीश महाना महाराजपुर से चुनाव जीतकर छठी बार जीतने में सफल रहे, लेकिन प्रेमलता कल्याणपुर सीट से ही चुनाव लड़ी और उनके प्रभुत्व वाले रावतपुर गांव का क्षेत्र गोविन्द नगर में जाने से महज तीन हजार वोटों से वह चुनाव हार गई।
इस सीट पर सपा का बेरोजगारी भत्ता मुद्दा बना और सतीश निगम चुनाव जीतने में सफल रहे। पांच साल तक उन्होंने क्षेत्र में अन्य विधायकों की अपेक्षा जमकर विकास कराया और विकास के दम पर 2017 में सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे लेकिन प्रेमलता कटियार की बेटी नीलिमा कटियार ने मोदी लहर के चलते भारी मतों से साइकिल को पंचर कर दिया। इस प्रकार नीलिमा ने जहां मां की हार को जीत में बदला तो वहीं कल्याणपुर सीट पर एक बार फिर भाजपा का कब्जा हो गया। मां की सीट पर विजयी होने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हे प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री बना दिया।