औषधीय गुणों के कारण बस्तर का लाल चावल बना सरताज

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जगदलपुर, 14 मई (ह‍ि.स.)। बस्तर की जलवायु में उत्पन्न होने वाले औषधीय गुणों से युक्त लाल चावल आज चावलों का सरताज बन गया है और इसकी कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 3 सौ रूपये किलो से अधिक है। इस चांवल की मांग यूरोपीय देशों सहित अमेरिका में लगातार बढ़ रही है।
अभी बस्तर में  इस औषधीय गुणों से युक्त लाल चावल की खेती की जा रही है। प्रदेश में अन्य स्थानों में इसकी उपज के लिए जलवायु अनुकूल नहीं मिल रही है। लाल चावल की राष्ट्रीय स्तर पर दक्षिण के विभिन्न प्रदेशों और हिमालय के तराई वाले क्षेत्रों में खेती की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि कृषि अनुसंधान केंद्र के सहयोग से बस्तर में रेड राईस की या लाल चावल की खेती की जा रही है। कृषि अनुसंधान केंद्र के द्वारा विकसित  इस लाल चांवल में  ‘लाजनी’ सुपर किस्म का चावल स्वादिष्ट एवं पौष्टिक है तथा इसका दाना थोड़ा पतला, एचएमटी चावल के समान आता है। इसका स्वाद भी बढिय़ा होता है। इसी  किस्म के चांवल की मांग अधिक हो रही है, जबकि अन्य स्थानों पर पैदा होने वाला लाल चावल मोटे चावल के समान होता है। इस तुलना में बस्तर में उत्पादित चावल पतला है।
इस संबंध में कृषि अनुसंधान केंद्र के लेखराम वर्मा ने मंगलवार को जानकारी दी कि इस रेड राईस चावल में एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में है और इसका रंग कुछ फलों व सब्जियों से मिलता है। यह शरीर में होने वाले जलन, एलर्जी और कैंसर के खतरों को कम करती है, साथ ही इसके सेवन से हार्ट अटैक के खतरों को भी कम करने में मदद मिलती है। इसमें कई किस्म के कैल्शियम सहित अन्य खनिज पाये जाते हैं। मधुमेह के मरीज भी इसे नि:संकोच सेवन कर सकते हैं।

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