उदयपुर में बिना ओपन हार्ट सर्जरी के वॉल्व प्रत्यारोपण का पहला ऑपरेशन

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उदयपुर, 29 मार्च (हि.स.)। उदयपुर के गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल की कार्डियक टीम ने 65 वर्षीय वृद्ध के बिना ओपन हार्ट सर्जरी के वॉल्व प्रत्यारोपित कर दक्षिणी राजस्थान में हृदय रोग चिकित्सा के क्षेत्र में यह आयाम भी उपलब्ध करा दिया है।
इस सफल इलाज करने वाली टीम में इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट की टीम डॉ. कपिल भार्गव, डॉ. रमेश पटेल, डॉ. डैनी कुमार, डॉ. शलभ अग्रवाल एवं डॉ. अनमोल, कार्डियक थोरेसिक वेसक्यूलर सर्जन डॉ. संजय गांधी व डॉ. अजय वर्मा, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. अंकुर गांधी, सीसीयू इंचार्ज डॉ. निखिल सिंघवी, कैथ लेब टेक्नीशियन लोकेश कुमार एवं नर्सिंग स्टाफ इमरान खान तथा न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट डॉ. सीताराम बारठ का योगदान रहा।
डॉ. रमेश पटेल ने बताया कि कपासन निवासी लहरु लाल जाट को तेज सांस चलने, बहुत ज्यादा पसीना होने एवं लेट न पाने जैसी शिकायतें थीं एवं हार्ट फेलियर के साथ गीतांजली हॉस्पिटल आए थे। ईकोकार्डियोग्राफी की जांच में हृदय का वॉल्व (एओर्टिक वॉल्व) खराब पाया गया। हृदय भी केवल 20 से 25 प्रतिशत (ईएफ) तक ही काम कर रहा था एवं किडनियां भी कमजोर थी। इन परेशानियों के चलते रोगी की ओपन हार्ट सर्जरी अत्यंत जटिल थी। इसलिए कार्डियक टीम द्वारा कम जटिल एवं बिना ओपन हार्ट सर्जरी वॉल्व रिपलेसमेंट करने का निर्णय लिया गया।
डॉ. पटेल ने बताया कि ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व इम्प्लांटेंशन एक प्रकार की गैर शल्य प्रक्रिया है जिसमें बिना बेहोश किए, बिना किसी रक्तस्त्राव एवं बिना चीरा लगाए रोगी की पैर की नस से हृदय तक पहुंच कर सिकुड़े हुए वॉल्व को बैलून से फूलाकर नया वॉल्व प्रत्यारोपित किया जाता है। इस ऑपरेशन में टिशु वॉल्व लगाया जाता है। यह एक तरह से एंजियोप्लास्टि की तरह ही होता है।
डॉ. कपिल भार्गव ने बताया कि जो रोगी ज्यादा उम्र एवं ओपन हार्ट सर्जरी के लिए (किडनी सम्बंधित बीमारी, मधुमेह, फेंफड़ों में खराबी इत्यादि से पीड़ित) उपयुक्त नहीं होते और जिन रोगियों में एओेर्टिक वॉल्व की खराबी हो उनमें यह अत्यंत कारगर होता है, इसलिए ऐसे रोगियों के लिए यह प्रक्रिया लाभप्रद होती है। क्योंकि यह ऑपरेशन रोगी को पूर्णतः होश में रख कर किया जाता है। इसके अतिरिक्त रोगी को दूसरे दिन ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। इसके साथ ही, इस ऑपरेशन में कम जोखिम एवं जटिलताएं होती हैं, जिसके कारण रोगी जल्द स्वस्थ हो जाता है।


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