इलेक्ट्रिक वाहनों में सरकार का करंट
केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने फास्टर एडॉप्शन एंड मेन्युफैक्चर ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल (फेम) परियोजना के दूसरे चरण के लिए दस हजार करोड़ रुपये आवंटित किया है। सरकार का मानना है कि यह धन इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में उत्प्रेरक का काम करेगा।
सरकार ने हालांकि पूरा जोर बिजली से चलने वाली सार्वजनिक परिवहन सेवाओं पर ही दिया है। यह भी स्पष्ट है कि ई-कारों की खरीद में छूट सिर्फ वाणिज्यिक या सार्वजनिक परिवहन में इस्तेमाल होने वाले वाहनों पर ही मिलेगी। निजी खरीददारों को नहीं दी जाएगी। इसी तरह थ्री व्हीलर खरीददारों को भी सार्वजनिक परिवहन के लिए सब्सिडी नहीं दी जाएगी। निजी खरीददार सिर्फ दोपहिया वाहन पर ही सब्सिडी के हकदार होंगे। यह सब्सिडी लिथियम ऑयन व अन्य तकनीक वाले बैटरी वाहनों पर ही दी जाएगी।
योजना के मुताबिक इलेक्ट्रिक बसों के संचालन पर होने वाले खर्चों के लिए मांग आधारित प्रोत्साहन राशि मॉडल अपनाया जाएगा। ऐसे खर्च राज्य और शहरी परिवहन निगमों की ओर से किये जाएंगे। योजना के अनुसार सार्वजनिक परिवहन सेवाओं और वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए पंजीकृत 3 वॉट और 4 वॉट श्रेणी वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। 2 वॉट श्रेणी वाले इलेक्ट्रिक वाहनों में मुख्य ध्यान निजी वाहनों पर केन्द्रित रखा जाएगा। 2 वॉट वाले 10 लाख, 3 वॉट वाले 5 लाख, 4 वॉट वाले 55 हजार वाहन और सात हजार बसों को वित्तीय प्रोत्साहन राशि देने की योजना है। नवीन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन राशि का लाभ केवल उन्हीं वाहनों को दिया जाएगा, जिनमें अत्याधुनिक लिथियम ऑयन या ऐसी ही अन्य नई तकनीक वाली बैटरियां लगाई गई हों। योजना के अनुसार इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की खरीद पर 40 हजार रुपये तक की छूट दी जाएगी, जबकि कारों की खरीद पर डेढ़ लाख तक की छूट मिलेगी। इसके आलावा ई-वाहनों के पंजीकरण, पार्किंग शुल्क और रोड टैक्स में भी छूट दिए जाने की योजना है। यह सब्सिडी वाहन में इस्तेमाल बैटरी क्षमता के आधार पर तय की जाएगी।
योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के लिए पर्याप्त आधारभूत ढांचा उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। इसके तहत महानगरों, 10 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों, स्मार्ट शहरों, छोटे शहरों और पर्वतीय राज्यों के शहरों में तीन किलोमीटर के अंतराल में 2700 चार्जिंग स्टेशन बनाने के प्रस्ताव हैं। बड़े शहरों को जोड़ने वाले प्रमुख राजमार्गों पर भी चार्जिंग स्टेशन बनाने की योजना है। ऐसे राजमार्गों पर 25 किलोमीटर के अंतराल पर दोनों तरफ भी ऐसे चार्जिंग स्टेशन लगाने की योजना है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। इसके लिए लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद में शुरुआती स्तर पर प्रोत्साहन राशि देने तथा ऐसे वाहनों की चार्जिंग के लिए पर्याप्त आधारभूत ढांचा विकसित करना है। यह योजना पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन सुरक्षा जैसी समस्याओं का समाधान करेगी। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना (फेम इंडिया योजना) का दूसरा चरण 2019-20 से 2021-22 तक तीन वर्षों के लिए लागू किया जाएगा। इसके लिए कुल 10 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और उनके तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए फेम इंडिया योजना के दूसरे चरण को मंजूरी दे दी है। कुल 10 हजार करोड़ रुपये के परिव्यय वाली यह योजना 1 अप्रैल, 2019 से तीन वर्षों के लिए शुरू की जाएगी। यह योजना मौजूदा ‘फेम इंडिया वन’ का विस्तारित संस्करण है। ‘फेम इंडिया वन’ योजना 1 अप्रैल, 2015 को लागू की गई थी। इससे इलेक्ट्रिक कारों के इस्तेमाल को प्रोत्साहन मिलेगा। इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर अग्रिम प्रोत्साहन राशि से इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों का इस्तेमाल बढ़ेगा।
सरकार के फैसले का देशभर के ऑटो उद्योग जगत ने स्वागत किया है। उद्योगपतियों की प्रतिक्रिया है कि यह क्षेत्र 2015 में फेम वन की घोषणा के बाद से ही इसके लिए लंबी अवधि की योजना का इंतजार कर रहा था। लंबे समय के बाद सरकार ने नई घोषणा की है। सरकार की ओर से दी जाने वाली छूट से इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।