इंटरपोलः नीरव मोदी समेत तीन के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस
नई दिल्ली, 2 जुलाई (हि.स.)। अंतर राष्ट्रीय क्रिमिनल पुलिस अॉर्गेनाइजेशन (इंटरपोल) ने सोमवार को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में शामिल नीरव मोदी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया है। साथ ही एजेंसी ने नीरव के भाई निहाल चंद मोदी व उसके नजदीकी सुभाष पर्ब के खिलाफ भी रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है। उल्लेखनीय है कि उक्त घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नीरव मोदी के प्रत्यावर्तन की भी मांग की है। सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने पिछले महीने इन आरोपियों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए इंटरपोल से आग्रह किया था। इस नोटिस के तहत इंटरपोल ने 192 सदस्य देशों से इन आरोपियों को गिरफ्तार करने या उन्हें हिरासत में लेने का आग्रह किया है। इससे पहले एजेंसी ने 15 फरवरी को मोदी की गतिविधियों की जानकारी लेने के लिए डिफ्यूजन नोटिस जारी किया था लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिल पाई। सिर्फ यूनाइटेड किंगडम ने इसका जबाव दिया। देश से जाने बाद नीरव मोदी ने कई देशों की यात्रा की है जबकि उसके पासपोर्ट को भारत सरकार ने रद्द कर दिया था। हालांकि उसके पासपोर्ट रद्द किए जाने की सूचना इंटरपोल सेंट्रल डाटाबेस के पास 24 फरवरी को ही उपलब्ध हो चुकी थी। इस बीच सीबीआई के मुख्य सूचना अधिकारी अभिषेक दयाल ने कहा है कि जब नीरव के पासपोर्ट को विदेश मंत्रालय ने रद्द कर दिया तो एजेंसी ने अपने डिफ्यूशन नोटिस को अपडेट करते हुए इसकी सूचना 24 फरवरी को ही इंटरपोल को दे दी थी। दयाल ने कहा कि डिफ्यूजन नोटिस के जारी होने के बाद सीबीआई ने 6 देशों से नीरव मोदी के लोकेशन की सूचना मांगी थी। फिर एजेंसी ने इन देशों से उसके गतिविधियों के बारे में जानकारी मांगी। फिर एजेंसी ने इस मामले में इंटरपोल कॉर्डिनेशन एजेंसी (यूनाइटेड किंगडम) से 25 अप्रैल, 22 मई, 24 मई व 28 मई को रिमाइंडर भी भेजा था। इसी तरह का एक रिमाइंडर अमेरिका, सिंगापुर, बेल्जियम, यूएई व फ्रांस को भी भेजा गया था। उल्लेखनीय है नीरव मोदी व उसकी पत्नी अमी मोदी अमेरिका की नागरिक हैं। उसका भाई निहालचंद मोदी बेल्जियम का नागरिक है। उसके मामा मेहुल चोकसी (गीतांजलि ग्रुप) के प्रमोटर अपने सभी परिजनों के साथ पिछले जनवरी महीना के अंतिम सप्ताह में देश से फरार हो गए थे। इसके बाद पीएनबी (पंजाब नेशनल बैंक) ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया था। मामले में आरोप है कि इन आरोपियों ने बैंक कर्मियों की मिलीभगत से नाजायज तरीका अपना कर एलओयू (लेटर अॉफ अंडरस्टैंडिंग) जारी करवाया। एलओयू एक प्रपत्र है जिसके आधार पर अन्य बैंक धारक को विदेश में भुगतान करता है।