आज भी एक व्यक्ति है जिसे सभी बातें बताते हैं मोदी
वाराणसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक राजदार है जिसके साथ वह सभी अच्छे बुरे अनुभव साझा करते हैं। मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में उनके मार्गदर्शक लक्ष्मणराव इनामदार थे, जिन्हें वह अपनी हर बात बताते थे। अब वह नहीं रहे लेकिन एक व्यक्ति आज भी है जिसे वह अपनी सभी बातें बताते हैं। हालांकि मोदी ने अपने इस राजदार का नाम उजागर नहीं किया।
वाराणसी के घाटों और गंगा में नौका विहार के दौरान एक टेलीविजन चैनल को दिए साक्षात्कार में मोदी ने अपने जीवन के कई अंतरंग पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जीवन में एक न एक व्यक्ति ऐसा अवश्य होना चाहिए जिसके साथ वह अपनी हर बात साझा कर सके। पत्रकारों ने जब उनसे उस व्यक्ति का नाम बताने के लिए कहा तो मोदी ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि नाम बताने से वह व्यक्ति सचेत हो जाएगा और उसके साथ अनुभवों को साझा करना मुश्किल हो जाएगा।
प्रधानमंत्री ने इस बात का खुलासा किया कि वह जेब में कभी पैसा नहीं रखते। इस कारण उन्हें कई बार परेशानी का सामना भी करना पड़ा। अपना एक अनुभव सुनाते हुए मोदी ने कहा कि एक बार वह किसी शहर में गए जहां एक व्यक्ति को उन्हें लेने आना था। वह व्यक्ति स्टेशन नहीं पहुंच पाया और उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह ऑटो रिक्शा करके निश्चित स्थान पर पहुंच सकें। कई घंटे तक वह प्लेटफार्म पर ही बैठे रहे। बाद में उस व्यक्ति से संपर्क हुआ और वह निश्चित स्थान पर पहुंचा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वह अपनी मां हीराबेन से मिलते हैं तो वह उन्हें कुछ पैसे देती हैं। आमतौर पर मां की ओर से 11 रुपये मिलते हैं लेकिन एक बार मां ने उन्हें पांच हजार रुपये दिए। यह उस समय की बात है जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग गांधीनगर आए थे और उस दिन मोदी का जन्मदिन भी था। मोदी ने अपनी मां से पांच हजार रुपये की धनराशि के बारे में पूछा तो यह कश्मीर के बाढ़ पीड़ितों के लिए है। उन दिनों कश्मीर में भयावह बाढ़ आई थी और मां ने यह राशि बाढ़ पीड़ितों के राहत कार्य के लिए दी थी।
प्रधानमंत्री ने यह भी अनोखी बात बताई कि उन्होंने 35 वर्ष भिक्षा में मिले भोजन पर गुजारा कर बिताए हैं। मोदी का संकेत अपने संन्यासी जीवन और प्रचारक के रूप में कार्य करने की अवधि की ओर था, जब उनका कोई घरबार नहीं था और वे अन्य घरों में जाकर भोजन करते थे।
मोदी ने चाय बनाने, नाश्ता तैयार करने और खिचड़ी बनाने के अपने हुनर के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद में संघ कार्यालय में रहकर वह भोर में उठकर झाड़ू-पोछा लगाते थे और बाद में सबके लिए चाय बनाते थे। शाखा में जाने के साथ ही वह सबके लिए नाश्ता भी तैयार करते थे।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह कभी गुजरात की कमी महसूस करते हैं तो मोदी ने कहा कि इस बारे में उनका रवैया निरासक्त रहा है। वह 32 साल बाद अपने पिता की अंत्येष्टि के समय अपने घर गए थे। उन्होंने कहा कि जिस समय वह जहां रहते हैं उसी के बारे में सोचते हैं और वहीं रम जाते हैं।