अयोध्या मामला…: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी का कार्यकाल 15 अगस्त तक बढ़ाया

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कमेटी ने सकारात्मक मध्यस्थता होने की बात कही,अदालत ने मसले का सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश करने को कहा

नई दिल्ली, 10 मई (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर मध्यस्थता के लिए मध्यस्थों को 15 अगस्त तक मध्यस्थता पूरी करने का निर्देश दिया है। मध्यस्थता कमिटी ने अदालत को अब तक की बातचीत की अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। मध्यस्थता कमेटी ने मध्यस्थता के लिए और 15 अगस्त तक का समय देने की मांग की। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सकारात्मक मध्यस्थता होने की बात कही है।

सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया के लिए जून महीने तक का समय दिया जाना चाहिए। तब कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में शार्ट सर्किट नहीं करना चाहते हैं।

पिछले 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज एफ एम कलीफुल्ला, धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचु को मध्यस्थ नियुक्त किया था। कोर्ट ने सभी पक्षों से बात कर मसले का सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश करने को कहा था।

कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता के लिए कोई कानूनी अड़चन नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता की प्रक्रिया गुप्त रहेगी। सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से मध्यस्थता का विरोध किया गया था। हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया था हिंदू इस मामले को भावनात्मक और धार्मिक आधार पर देखते हैं। जबकि मुस्लिम पक्ष ने मध्यस्थता का समर्थन किया था।

निर्मोही अखाड़े ने मध्यस्थ के लिए जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस जीएस सिंघवी के नाम का प्रस्ताव रखा था। उधर, स्वामी चक्रपाणि के नेतृत्व वाले हिंदू महासभा ने जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एके पटनायक का मध्यस्थ के रुप में नाम सुझाया था।

हिंदू पक्ष के वकील ने बाबर द्वारा मंदिर को गिराने का जिक्र किया था। इस पर जस्टिस एसए बोब्डे ने कहा कि इतिहास हमने भी पढ़ा है। इतिहास पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। हम जो भी कर सकते हैं वो वर्तमान के बारे में कर सकते हैं।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुझाव दिया था कि मध्यस्थता की कार्यवाही की मीडिया रिपोर्टिंग नहीं की जाए। तब मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील राजीव धवन ने कहा था कि अगर मध्यस्थता की मीडिया रिपोर्टिंग की जाए तो उस पर अवमानना का मामला चलाया जाए।


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