अटकलों को मिला विराम, कमलनाथ बने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
नईदिल्ली/भोपाल, 26 अप्रैल (हि.स.)। लंबे समय से चल रही राजनीतिक अटकलबाजी को विराम देते हुए कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को बदल दिया है। उनकी जगह वरिष्ठ नेता कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया है। मुख्यमंत्री का चेहरा माने जा रहे सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इस बदलाव से कांग्रेस में जहां उत्साह का माहौल है, वहीं सत्ताधारी पार्टी भाजपा का मानना है कि इससे कांग्रेस की चुनावी नियति पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा के समापन के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस में बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी, जिसे कांग्रेस हाईकमान द्वारा गुरुवार को जारी किए गए आदेश ने खत्म कर दिया है। हाईकमान के इस आदेश के अनुसार कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा प्रदेश में कांग्रेस में चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं। इनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन, रामनिवास रावत, विधायक जीतू पटवारी और सुरेंदर चौधरी शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेष्कों का मानना है कि हाईकमान का यह निर्णय काफी नपा-तुला है और इससे पार्टी में असंतोष कम होगा तथा एकता को बल मिलेगा। इसकी वजह कमलनाथ के सौम्य और समन्वयवादी व्यक्तित्व को बताया जा रहा है। वहीं, सत्ताधारी भाजपा का मानना है कि इस बदलाव से प्रदेश के चुनावी परिदृश्य पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ेगा। पार्टी के प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय का कहना है कि सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ लंबे समय से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को बदलने के लिए पार्टी हाईकमान पर दबाव बना रहे थे। यह बदलाव उसी दबाव की परिणति है। उन्होंने कहा कि सिंधिया और कमलनाथ दोनों ही एयरकंडीशनर में बैठकर राजनीति करते रहे हैं। पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं से इनका कोई जुड़ाव नहीं है। इसलिए इस बदलाव से कांग्रेस का चुनावी भाग्य प्रभावित नहीं होगा, बल्कि वह और नीचे जाएगी। फिलहाल प्रदेश कांग्रेस की ओर से अधिकृत रूप से इस बदलाव की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन शाम 4 बजे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने मीडिया को चर्चा के लिए आमंत्रित किया है और माना जा रहा है कि इसी कांफ्रेंस में बदलाव की अधिकृत घोषणा की जाएगी। रंग लाई स्वरूपानंदजी से मुलाकात: प्रदेश कांग्रेस में बदलाव की बात को कमलनाथ की शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंदजी से बंद कमरे में हुई चर्चा से बल मिला था। हनुमान जयंती पर छिंदवाड़ा आए कमलनाथ ने श्रीधाम के झोतेश्वर आश्रम जाकर पूर्व मंत्री सुरेश पचौरी के साथ पूजा-अर्चना की थी। इसके बाद उनकी शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंदजी से करीब 45 मिनट तक एकांत में चर्चा हुई थी। इस मुलाकात के बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंदजी ने मीडिया से चर्चा में इस बात की पुष्टि की थी कि कमलनाथ जीत का आाशीर्वाद लेने आए थे। तभी से यह माना जा रहा था कि अब प्रदेश कांग्रेस में कोई न कोई बदलाव जरूर होगा। अजयसिंह-पचौरी को किया दरकिनार: पार्टी हाईकमान द्वारा जिस तरह से चार कार्यकारी अध्यक्षों का चुनाव किया गया है, उससे लगता है कि यह प्रदेश कांग्रेस के क्षत्रपों को साधने और संतुलन बिठाने की कवायद है, लेकिन इससे वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी और नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह को दरकिनार किए जाने का संकेत भी मिल रहा है। जो चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं, उनमें से बाला बच्चन कमलनाथ के करीबी हैं। रामनिवास रावत का संबंध सिंधिया गुट से है। विधायक जीतू पटवारी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के करीबी हैं। जबकि सुरेंदर चौधरी का चयन अजा वर्ग को साधने के लिहाज से किया गया है। मुद्दे की बात यह है कि इन चार कार्यकारी अध्यक्षों में से सुरेश पचौरी या नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह की पसंद का एक भी नेता नहीं है। दिग्विजय की भूमिका पर प्रश्नचिह्न कायम: प्रदेश कांग्रेस में हुए बदलाव के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता दिग्विजयसिंह की पार्टी में भूमिका को लेकर संशय कायम है। ताजा बदलाव में उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। वहीं, दिग्विजयसिंह ने नर्मदा परिक्रमा यात्रा के बाद एकता यात्रा का प्रस्ताव भी हाईकमान को सौंप रखा है, लेकिन पार्टी हाईकमान ने इस पर भी कोई निर्णय नहीं लिया है। ऐसे में प्रदेश की राजनीति में दिग्विजयसिंह के भविष्य और उनकी भूमिका पर छाया कुहासा इस बदलाव के बाद भी छंटता नजर नहीं आ रहा है।