अगले बीस वर्ष में हिन्दू समाज के नरसंहार की तैयारी में हैं इस्लामिक जिहादीः जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी

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हरिद्वार, 19 दिसंबर (हि.स.)। धर्म संसद के अंतिम दिन का शुभारंभ श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष पण्डित अधीर कौशिक और उनके शिष्यों के प्राचीन वैदिक शस्त्र कला के प्रदर्शन से हुआ। भूपतवाला स्थित वेद निकेतन धाम में चल रहा तीन दिवसीय धर्म संसद आज सनातन वैदिक राष्ट्र के संकल्प के साथ पूर्ण हुआ।

धर्म संसद में जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (पूर्व नाम वसीम रिजवी) ने कहा कि भारत में इस्लामिक जिहादियों ने अगले केवल 20 वर्षों में सम्पूर्ण हिन्दुओं के नरसंहार की तैयारी पूरी कर ली है। उन्होंने इसी के लिए दिन-रात भूखे रहकर अपनी जनसंख्या बढ़ाई है। इस कार्य के लिए उन्हें दुनिया भर के मुसलमानों से धन और साधन मिल रहा है। भारत पर इस्लामिक कब्जा होने के बाद इस्लाम पूरी दुनिया की सबसे बड़ी ताकत होगा और इस्लाम के जिहादी पूरी दुनिया का नरसंहार करने में सक्षम होंगे। हिन्दुओं का दुर्भाग्य यह है कि उनका धार्मिक, राजनैतिक और सामाजिक नेतृत्व इस बात को समझने के लिए तैयार ही नहीं है। आज हिन्दू समाज की यह जिम्मेदारी है कि वो इन जिहादियों से स्वयं को बचाते हुए सम्पूर्ण मानवता की रक्षा करे।

उन्होंने कहा कि ये मेरा संकल्प है कि अब मैं सनातन धर्म की रक्षा के लिए जिऊंगा और सनातन धर्म की रक्षा के लिये मरूंगा। सनातन धर्म के शत्रु ही मेरे शत्रु होंगे।

धर्म संसद के संकल्प की घोषणा करते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने कहा कि अब हर हिन्दू का लक्ष्य केवल सनातन वैदिक राष्ट्र की स्थापना होना चाहिये। आज ईसाइयों के 100 के करीब देश हैं, मुसलमानों के 57 हैं, बौद्धों के भी 8 देश हैं। यहां तक कि मात्र नब्बे लाख यहूदियों का भी एक अपना देश इजरायल है। सौ करोड़ हिन्दुओं का दुर्भाग्य है कि उनके पास अपना देश कहने के लिए एक इंच भी जगह नहीं है। अब तक कि गलतियों से सबक लेकर हिन्दुओं को अपने राष्ट्र के लिए पूरी जान लगानी पड़ेगी। अगर हिन्दू के पास इजराइल की तरह एक राष्ट्र नहीं बना तो हिन्दुओं के विनाश को कोई नही रोक सकेगा।

धर्म संसद में उपस्थित सभी सनातन धर्म गुरुओं ने सर्वसम्मति से हिन्दू समाज से सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण और अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने और अपने बच्चों को धर्म,समाज और परिवार की रक्षा करने लायक बनाने का आह्वान किया।

धर्म संसद में संत हरिवल्लभ दास, स्वामी डॉ प्रेमानंद, स्वामी राजेश्वरानंद, स्वामी प्रबोधानन्द गिरि, साध्वी अन्नपूर्णानन्द भारती, स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती, स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी अमृतानंद, स्वामी सत्यवृतानंद सरस्वती, स्वामी विनोद महाराज, स्वामी परमानंद, स्वामी प्रकाशानंद गिरी,स्वामी पुष्पेंद्र पूरी, स्वामी एकनाथ, श्रीमहन्त रामेश्वरानंद, स्वामी वेदांत प्रकाश सरस्वती, आस्था मां और बहुत बड़ी संख्या में अनेक संत महापुरुषों ने अपने विचार रखे।


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