अंतिम चरण में मोदी और योगी पर टिकीं देश की निगाहें
लखनऊ, 13 मई (हि.स.)। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में उत्तर प्रदेश की 13 संसदीय सीटों पर चुनाव होना है। इन 13 सीटों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव वाली गोरखपुर लोकसभाा सीट भी आती है। इसलिए अंतिम चरण के चुनाव में मोदी और योगी के निर्वाचन क्षेत्रों पर देश की निगाहें हैं। वैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को वाराणसी में वाकओवर तो पहले ही मिल चुका है लेकिन गोरखपुर सीट पर भाजपा व गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर है।
इस सीट पर इसलिए भी लोगों की निगाहें हैं क्योंकि योगी आदित्यनाथ के मुख्य मंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में यह सीट भाजपा हार गयी थी। गोरखपुर सीट हारने के बाद देशभर में योगी आदित्यनाथ की किरकिरी हुई थी। इसलिए इस बार भाजपा किसी भी कीमत पर गोरखपुर सीट जीतना चाहती है। दूसरी तरफ सपा-बसपा गठबंधन भी गोरखपुर सीट पर कब्जे को लेकर जी तोड़ मेहनत कर रहा है। गोरखपुर में भाजपा उम्मीदवार रवि किशन का सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी पूर्व मंत्री राम भुआल निषाद से मुकाबला है। वाराणसी में मोदी के मुकाबले में कांग्रेस के अजय राय और सपा से शालिनी यादव मैदान में हैं। कांग्रेस के अजय राय वर्ष 2014 में भी मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ चुके हैं।
गोरखपुर संसदीय सीट पर 10 बार मठ का रहा कब्जा
गोरखपुर संसदीय सीट से योगी आदित्यनाथ पांच बार लगातार सांसद चुने गये। इससे पहले उनके गुरू महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे। महंत अवैद्यनाथ 1991 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते। इससे पहले वह हिन्दू महासभा के टिकट पर संसद पहुंचे थे। इससे पूर्व 1970 में हुए चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी। महंत अवैद्यनाथ के गुरू दिग्विजय नाथ भी 1967 में कांग्रेस के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़कर संसद पहुंचे थे। इसके अलावा चार बार कांग्रेस और एक बार लोकदल के प्रत्याशी ने भी गोरखपुर से जीत दर्ज की है।