अंतिम चरण में भाजपा के चार मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
पटना,14 मई (हि.स)। लोकसभा के सातवें और आखिरी चरण के चुनाव में चार केन्द्रीय मंत्रियों रविशंकर प्रसाद, आरके सिंह, अश्विनी कुमार चौबे और रामकृपाल यादव की प्रतिष्ठा दांव पर है | इनके भाग्य का फैसला 19 मई को होगा | इस दिन बिहार के चालीस में से आठ लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होना है | भाजपा की ओर से पटना साहिब में रविशंकर प्रसाद, पाटलिपुत्र में रामकृपाल यादव , बक्सर में अश्विनी कुमार चौबे और आरा में आर के सिंह मैदान में हैं | पटना साहिब के चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं और इस सीट पर भाजपा का “लिटमस टेस्ट” होना है | सवर्णों की नाराजगी के कारण पाटलिपुत्र सीट भी भाजपा के लिए चुनौती बन गई है | बक्सर के वर्तमान सांसद की बेरुखी और उनकी आम जनता के बीच अनुपलब्धता से इस लोकसभा क्षेत्र के मतदाता उनसे खासा नाराज़ हैं | मसलन यहाँ भाजपा को कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है | आरा की सीट से केन्द्रीय राज्य मंत्री और पूर्व आई ए एस पदाधिकारी आर के सिंह मैदान में हैं और उनकी स्वच्छ छवि का फायदा तो उन्हें मिल रहा है किन्तु आम लोगों से उनकी दूरी से यहाँ के मतदाता में आक्रोश भी है | पटना साहिब से केन्द्रीय क़ानून मंत्री तथा राज्यसभा सदस्य रविशंकर प्रसाद का सामना उनके पुराने साथी और इस क्षेत्र के भाजपा सांसद के रूप में दो – दो बार संसद में प्रतिनिधित्व कर चुके शत्रुघ्न सिन्हा उर्फ़ बिहारी बाबू से हो रहा है | शत्रुघ्न सिन्हा इस बार महागठबंधन की तरफ से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं | लम्बे समय तक बाग़ी नेता के रूप में राजनीति करने के बाद बिहारी बाबू ने इस वर्ष 6 अप्रैल को भाजपा का दामन छोड़ कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी | शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर प्रसाद दोनों एक ही एक जाति से आते हैं और दोनों ही अपनी इस जाति के लोगों को अपने पाले में करने का प्रयास कर रहे हैं | शत्रुघ्न सिन्हा को महागठबंधन के प्रमुख घटक राजद में मुस्लिम-यादव समीकरण पर भरोसा है और साथ-साथ कांग्रेस के पारम्परिक वोटरों पर भी भरोसा है | सवर्णों की भाजपा से नाराज़गी का भी कुछ लाभ शत्रुघ्न सिन्हा लेना चाह रहे हैं | इस क्षेत्र से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद से 26 मार्च से ही गहन चुनाव प्रचार कर रहे रविशंकर प्रसाद को भाजपा के काडर वोट पर भरोसा है | रविशंकर प्रसाद और शत्रुघ्न सिन्हा के बीच कांटे की टक्कर है | रविशंकर प्रसाद अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए लंबे समय से कड़ी मेहनत कर रहे हैं जबकि शत्रुघ्न सिन्हा का चुनाव प्रचार अभी तक पूरी तरह परवान भी नहीं चढ़ा है | क्योंकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस से दूरी बनाने वाली बसपा और समाजवादी पार्टी के गठबंधन में समाजवादी पार्टी के टिकट पर लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुकीं अपनी पत्नी पूनम सिन्हा के नामांकन से लेकर उनके चुनाव प्रचार तक के लिए शत्रुघ्न सिन्हा लखनऊ की दौड़ लगाते रहे हैं | इसके अलावा कांग्रेस में स्टार प्रचारक होने के नाते अन्य स्थानों पर भी उन्हें अपना समय देना पड़ रहा है जिससे वह अपने ही लोकसभा क्षेत्र में अभी तक जोरदार प्रचार नहीं पाए हैं | पूनम सिन्हा शत्रुघ्न सिन्हा के लिए प्रचार कार्य में जुट गयी हैं किन्तु विदेश में शूटिंग में व्यस्त रहने के कारण बिहारी बाबू की बेटी सोनाक्षी सिन्हा के लिए अपने पिता के लिए वोट माँगना सम्भव नहीं हो पा रहा है | उनकी जगह बिहारी बाबू के दोनों पुत्र कमान सम्भाले हुए हैं | शत्रुघ्न सिन्हा के लिए 16 मई को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी का रोड शो प्रस्तावित है | इस बीच रविशंकर प्रसाद के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी के कद्दावर नेताओं के साथ भव्य रोड शो किया है | देखना दिलचस्प होगा कि पटना साहिब के मतदाता किसे “खामोश” करते हैं ?
पाटलिपुत्र लोक सभा सीट पर इस बार फिर रामकृपाल यादव (चाचा) – मीसा भारती (भतीजी) का मुकाबला है. पिछली बार भतीजी चाचा से हार गई थीं | दरअसल राजद अध्यक्ष लालू यादव की सबसे बड़ी पुत्री मीसा भारती केन्द्रीय मंत्री रामकृपाल यादव को चाचा कह कर बुलाती रही हैं | क्योंकि रामकृपाल यादव लालू यादव के भरोसेमंद थे और उनका राजनीतिक जीवन लालू यादव की छत्रछाया में फलाफूला था | पिछले लोकसभा में रामकृपाल को उम्मीदवार नहीं बना कर लालू यादव ने अपनी बेटी मीसा को पाटलिपुत्र से उम्मीदवार बनाया था | इससे नाराज़ रामकृपाल राजद छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे और पिछले लोकसभा चुनाव इस सीट से जीत कर सांसद बने थे | बाद में लालू यादव ने मीसा को राज्यसभा भेज दिया | इस बार भतीजी मीसा चाचा को कड़ी टक्कर दे रही हैं | इस सीट के जातीय समीकरण में सवर्णों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है और किसी भी उम्मीदवार की जीत में यह वर्ग महत्वपूर्ण है | इस बार यहाँ के सवर्ण मतदाता भाजपा से खासा नाराज़ हैं जिन्हें साधने की दोनों ही कोशिश कर रहे हैं | मीसा के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी 16 मई को सभा को सम्बोधित करने आने वाले हैं | भाजपा ने भी इस क्षेत्र के सवर्ण मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए पार्टी के अपने सभी सवर्ण नेताओं को मैदान में उतार दिया है | रामकृपाल की जीत सुनिश्चित करने और इस सीट को बरकरार रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पालीगंज में बुधवार को सभा निर्धारित है |
बक्सर लोकसभा सीट से केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे यहाँ अपनी साख बचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं | अश्विनी चौबे को लालमुनि चौबे की विरासत का लाभ मिला है | भाजपा के आधार वोट के साथ वाराणसी के माहौल से संजीवनी मिल रही है किन्तु मंत्री पद पाने के बाद अपने क्षेत्र की जनता से बनी उनकी दूरी का खामियाजा यहाँ साफ़ दिख रहा है | उनेक मतदाता खासे नाराज़ दिख रहे हैं जिन्हें मनाने की वह भरपूर कोशिश रहे हैं और इस प्रयास में भाजपा के नेता भी उनकी मदद कर रहे हैं | इसी क्रम में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की भी मंगलवार को बक्सर में सभा हुई है | अश्विनी चौबे का सामना राजद के दिग्गज जगदानंद सिंह से हो रहा | जगदानंद सिंह पिछली हार का बदला लेने के लिए ताल ठोक रहे हैं। पिछली बार यहाँ त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था और ददन पहलवान के मैदान में रहने से राजद के वोट में सेंध लग गई थी जिसका फायदा अश्विनी चौबे को मिला था | ददन पहलवान की तरफ खिसक गए उन वोटों पर इस बार जगदानंद सिंह को भरोसा है |
आरा की सीट भी भाजपा के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है | जीत की सम्भावना यहाँ से भाजपा प्रत्त्याशी और केन्द्रीय मंत्री आर . के . सिंह की है किन्तु उन्हें भाकपा माले के उम्मीदवार राजू से कड़ी टक्कर मिल रही है | अपने सेवा काल में माओवादी उग्रवादियों को समर्थन देने वाले जिस माले नेताओं की आर के सिंह धर – पकड किया करते थे, आज वही नेता उन्हें चुनौती दे रहे हैं | पिछले चुनाव में मोदी लहर की बदौलत आरा में पहली बार कमल खिला था और केंद्रीय गृह सचिव रह चुके आरके सिंह विजयी रहे थे। माले को आरा में राजद का समर्थन मिल रहा है और पाटलीपुत्र में माले मीसा भारती को समर्थन दे रहा है | यहां की लड़ाई दिलचस्प हो गई है |
नालंदा लोकसभा क्षेत्र में राजग के घटक जद ( यू ) सांसद कौशलेंद्र कुमार जदयू के टिकट पर तीसरी बार मैदान में हैं | इस बार वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं | नालंदा के मतदाताओं में कौशलेन्द्र को लेकर नाराजगी है किन्तु नीतीश और मोदी के नाम पर वह महागठबंधन हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अशोक कुमार पर भारी पड़ रहे हैं | गया के रहने वाले अशोक का ससुराल नालंदा में है और इसी भरोसे वह अपनी चुनावी नैय्या पार लगाना चाहते हैं |
एक समय में वामपंथियों की धरती रही जहानाबाद में मुख्य मुकाबला क्षेत्रीय दल में ही रहा है | इस बार यहाँ से सांसद डॉ. अरुण कुमार अपनी नवगठित राष्ट्रीय समता पार्टी (सेक्युलर) से मैदान में हैं | उनका सामना राजद के डॉ. सुरेंद्र यादव से हैं | जदयू ने चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी को भी मैदान में उतारा हैं |
कांग्रेस का गढ़ रह चुके काराकाट में क्षेत्रीय दलों का कब्जा है | पिछली बार राजग के घटक दल के तौर पर रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा यहां से विजयी हुए थे। वे इस बार भी रालोसपा के उम्मीदवार हैं लेकिन महागठबंधन के बैनर तले। जदयू के महाबली सिंह से इस बार उपेन्द्र कुशवाहा का मुकाबला है | सासाराम में एक बार फिर कांग्रेस की मीरा कुमार और भाजपा के छेदी पासवान एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। लोकसभा अध्यक्ष रह चुकी मीरा कुमार पिछली बार छेदी पासवान से चुनाव हार गई थीं।
हिन्दुस्थान समाचार / रजनी
Submitted By: Rajni Shankar Edited By: Vijay Shankar Published By: Vijay Shankar at May 14 2019 9:09PM