लखनऊ, 29 नवम्बर (हि.स.)। नोएडा के जेवर में देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनाने के लिए ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी कंपनी ने बाजी मार ली है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआईएएल) की ओर से चल रही बिडिंग प्रक्रिया में अडानी समूह, एनकोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट होल्डिंग लिमिटेड और दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डीआईएएल) ने भी बोली लगाई थी लेकिन स्विट्जरलैंड की ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी ने शुक्रवार को टेंडर पाने में सफलता हासिल की।
कम्पनी चयन को लेकर 30 मई को जारी हुई थी निविदा
प्रस्तावित एयरपोर्ट का निर्माण कराने के लिए प्रदेश सरकार ने गौतमबुद्ध नगर जिले में परियोजना के प्रबंधन के लिये नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनएआईएल) का गठन किया था। एनआईएएल ने कम्पनी का चयन करने के लिए 30 मई को वैश्विक निविदा जारी की थी। प्रदेश सरकार की ओर से इस सम्बन्ध में बताया गया कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड की फाइनेंशियल बिड्स खुलने के बाद चयनित हुई स्विट्जरलैंड की ज्यूरिख इंटरनेशनल एजी जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण करेगी।
सबसे ऊंची बोली लगाकर ज्यूरिख एयरपोर्ट रही अव्वल
गौतमबुद्ध नगर जिले में बनने वाले इस एयरपोर्ट के लिए ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी ने प्रति यात्रा 400.97 रुपये, डीआईएएल ने 351 रुपये, अडानी इंटरप्राइजेज ने 360 रुपये और एनकोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट होल्डिंग लिमिटेड ने 205 रुपये की बोली लगाई थी। ये बिडिंग प्रति यात्री मिलने वाले राजस्व के हिसाब से की गई थी। इस तरह जेवर एयरपोर्ट दिल्ली-एनसीआर में तीसरा एयरपोर्ट होगा। इससे पहले दिल्ली में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट और गाजियाबाद में हिंडन एयरपोर्ट से यात्री विमान उड़ान भरती हैं। मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में परियोजना निगरानी एवं कार्यान्वयन समिति की बैठक में इन चार बोलीदाताओं की बिडिंग मानदंडों के अनुरूप पाई गई। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट अथॉरिटी के सीईओ अरुण वीर सिंह ने बताया कि अब 2 दिसम्बर को प्रदेश परियोजना निगरानी एवं क्रियान्वयन समिति के सामने इस कम्पनी की बिडिंग को रखा जाएगा, जिसके बाद आधिकारिक मुहर लग जाएगी।
2023 तक पूरा होगा पहले चरण का कार्य
जेवर एयरपोर्ट 5,000 हेक्टेयर में बनेगा और इसकी अनुमानित लागत 29,560 करोड़ रुपये होगी। जेवर एयरपोर्ट का पहला चरण 1,334 हेक्टेयर में फैला होगा और इसमें 4,588 करोड़ रुपये की लागत आएगी। सम्भावना है कि पहले चरण का काम 2023 तक पूरा हो जाएगा। एक बार पूरी तरह तैयार होने के बाद जेवर एयरपोर्ट पर देश में सबसे अधिक छह से आठ रनवे होंगे।
लम्बे समय से लटके प्रोजेक्ट को योगी सरकार ने अंजाम तक पहुंचाया
जेवर एयरपोर्ट प्रोजेक्ट प्रदेश में काफी लम्बे से प्रस्तावित था। विभिन्न राज्य सरकारों ने इस दिशा में कदम आगे बढ़ाने की बात कही लेकिन मामला अंजाम तक नहीं पहुंच सका। 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी सरकार में इसका प्रस्ताव परित किया। 2010 में मायावती सरकार में इसे क्लीरियंस मिली लेकिन बात कागजों तक ही सीमित रह गई। 2015 में अखिलेश यादव ने यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी को जेवर एयरपोर्ट प्रोजेक्ट विकसित करने के लिए 5000 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की। 2016 में राज्य और केंद्र की दोनों सरकारों के प्रयास इस सम्बन्ध में तेजी नजर आयी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार में इस प्रोजेक्ट को लेकर भूमि अधिग्रहण को लेकर तेजी से काम करने के निर्देश दिए। इसके परिणामस्वरूप बीते अक्टूबर माह के अन्त में हवाई अड्डा के लिए 80.13 फीसदी जमीन का अधिग्रहण पूरा होने पर जेवर के आसपास के कई गांवों के किसानों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके सरकारी आवास पर जमीनों के कब्जा प्रमाणपत्र सौंपे।