वार्षिकी-2019: प. बंगाल की वो घटनाएं, जो साल भर रहीं सुर्खियों में

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कोलकाता, 31 दिसम्बर (हि.स.)। वर्ष 2019 पश्चिम बंगाल के लिए कई मायनों में बेहद यादगार रहा है। देश का यह छोटा सा राज्य वर्ष भर पूरी दुनिया में सुर्खियां बना रहा।
तीन महीने पहले जादवपुर विश्वविद्यालय में हुई एक घटना तो वैश्विक मीडिया में सुर्खी बन गई । ऐसा पहली बार हुआ जब वहां पहुंचे किसी केंद्रीय मंत्री को छात्रों ने ना केवल बंदी बनाया बल्कि उन पर हमला किया। उनका बाल पकड़कर भी घसीटा। यह घटना बाबुल सुप्रियो के साथ हुई थी। तब जगदीप धनखड़ राज्य के नए राज्यपाल बने थे और बुजुर्ग होने के बावजूद राज्यपाल अपनी गाड़ी लेकर बाबुल सुप्रियो को बचाने के लिए जा पहुंचे थे। हालांकि छात्रों ने उनकी भी गाड़ी को घेर लिया था। उस पर भी हमले किए लेकिन जब तक वह बाबुल को अपनी गाड़ी में बैठा कर नहीं लौटे, तब तक वहीं रहे। 6 घंटे बाद बाबुल सुप्रीयो रिहा हुए थे। इसका वीडियो वायरल हुआ था जिसमें छात्र बाबुल सुप्रियो का बाल पकड़कर घसीटते नजर आए थे।
आईपीएस राजीव कुमार और सीबीआई की लुकाछिपी
हजारों करोड़ रुपये के चिटफंड घोटाला मामले में कथित तौर पर साक्ष्यों को मिटाने के आरोपित कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार साल भर सुर्खियों में रहे। फरवरी महीने में सीबीआई की टीम ने उनके कोलकाता पुलिस आयुक्त रहते हुए ही पार्क स्ट्रीट आवास पर जाकर नोटिस देने और पूछताछ की कोशिश की थी। तब राजीव के निर्देश पर सीबीआई अधिकारियों को घसीटते हुए पुलिसकर्मियों ने गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद ममता बनर्जी 3 दिनों तक कोलकाता में धरने पर बैठी थीं। देश दुनिया से मीडियाकर्मी कोलकाता पहुंचे थे। हालांकि सीबीआई राजीव को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी। अंत में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राजीव कुमार को पूछताछ में सहयोग करना होगा। इसके बाद शिलांग सीबीआई दफ्तर में लगातार पांच दिनों तक पूछताछ हुई। मजबूरन ममता को भी अपना धरना खत्म करना पड़ा। चंद्रबाबू नायडू उनका धरना खत्म कराने आए थे। उसके बाद सालभर राजीव कुमार और सीबीआई के बीच लुकाछिपी का खेल चलता रहा। 3 महीने पहले एक बार फिर सीबीआई ने राजीव की तलाश में मैराथन धर-पकड़ छापेमारी अभियान शुरू किया था। दिल्ली से सीबीआई अधिकारियों की एक टीम कोलकाता में लगातार 20 दिनों तक तलाशी अभियान चलाती रही लेकिन कुमार अंडर ग्राउंड हो गए थे। सीबीआई दावा करती रही कि राजीव को बचाने के लिए पूरी राज्य सरकार मजबूती से खड़ी है। कुछ दिन पहले ही राज्य सरकार ने राजीव कुमार को सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक विभाग में प्रधान सचिव नियुक्त किया है।
ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति टूटना और अमित शाह की रैली पर हमला
लोकसभा चुनाव के दौरान अंतिम चरण के मतदान से पहले 14 मई को भारतीय जनता पार्टी के अखिल भारतीय अध्यक्ष अमित शाह कोलकाता में रैली करने आए थे। शाम के समय धर्मतल्ला से उनकी रैली शुरू हुई जो मानिकतला में स्वामी विवेकानंद के आवास के पास खत्म होनी थी। उसी बीच कॉलेज स्ट्रीट में विद्यासागर कॉलेज के सामने उनकी रैली पर कॉलेज के अंदर से पथराव शुरू हो गया था। उसके बाद इधर से भाजपा कर्मियों ने भी पलटवार किया और इस रस्साकशी में कॉलेज परिसर में मौजूद नवयुग के प्रणेता ईश्वर चंद्र विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ दी गई। किसने तोड़ी, यह आज तक राज है। सत्तारूढ़ पार्टी इसके लिए भाजपा पर आरोप लगाती है जबकि भाजपा का कहना है कि तृणमूल कार्यकर्ताओं ने ही मूर्ति तोड़ी थी। उसके बाद राजनीति की धुरी ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति टूटना बन गई थी।
ईस्ट वेस्ट मेट्रो दुर्घटना
जो घटनाएं वर्ष 2019 के दौरान सबसे अधिक चर्चित रही उसमें ईस्ट वेस्ट मेट्रो की वजह से बहूबाजार क्षेत्र में इमारतों में दरारें पड़ना और गिरना भी था। सैकड़ों लोग प्रभावित हुए थे जिन्हें अलग से होटल में रखा गया। मेट्रो प्रबंधन ने ऐसे सभी परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की क्षतिपूर्ति भी दी।
सजल कांजीलाल की दुर्घटना
वर्ष के मध्य में मेट्रो के अंदर सजल कांजीलाल नाम के एक बुजुर्ग शख्स की भयावह दुर्घटना भी देशभर में सुर्खियों में थी। उनका हाथ मेट्रो के दरवाजे में फंस गया था फिर भी तेज रफ्तार से मेट्रो चल पड़ी। स्टेशन पर घसीटते, टकराते हुए उन्होंने दम तोड़ दिया था। मेट्रो सुरंग के 60 मीटर अंदर तक वह तेज रफ्तार मेट्रो के साथ खींचते चले गए थे। इसे लेकर मेट्रो के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ था। हालांकि कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह घटना भी खूब सुर्ख़ियों में रही।
अस्पताल में डॉक्टरों पर हमले
वर्ष की शुरुआत से ही एनआरएस अस्पताल सुर्खियों में छा गया था। सबसे पहले यहां कुत्ते के 16 बच्चों के शव बरामद हुए थे। जब उनका पोस्टमार्टम किया गया तो पता चला कि उन्हें इतना मारा गया था कि उनकी हड्डियां शरीर के अंदर ही टूट गई थीं और लिवर किडनी तक फट गए थे। इस मामले में दो नर्सिंग छात्राओं को गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने कुत्तों को सिर्फ इसलिए मारा था क्योंकि काम से लौटने के दौरान कुत्ते उनके आसपास मंडराने लगते थे। दोनों छात्राओं का नाम सोमा बर्मन और मौसमी मंडल है। इनके खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। इसके बाद अस्पताल सबसे अधिक चर्चा में तब आया जब 75 साल के मोहम्मद शाहिद नाम के बुजुर्ग की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई। मेटाडोर गाड़ी में भरकर 200 से अधिक लोग अस्पताल में पहुंचे थे और जूनियर डॉक्टरों को मारा पीटा था। इनके समर्थन में राज्य भर के चिकित्सकों ने काम बंद कर दिया था। एक सप्ताह तक राज्य में इलाज बंद रहा। कई अन्य रोगियों की मौत हो गई। ममता बनर्जी के खिलाफ भी छात्रों ने मोर्चा खोल दिया था। हालांकि बाद में सीएम और छात्रों के बीच वार्ता हुई। चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आश्वासन राज्य सरकार ने दिया जिसके बाद हालात सामान्य हो गए।
बुजुर्ग नागरिकों की निर्मम हत्या
कोलकाता में वर्ष 2019 के दौरान बुजुर्ग नागरिकों की निर्मम हत्या के लिए भी देशभर में सुर्खियों में रहा। जोधपुर पार्क, नेताजीनगर , गरियाहाट में तीन बुजुर्ग दंपत्ति की निर्मम तरीके से गला काटकर हत्या कर दी गई थी। कहीं संपत्ति के लिए तो कहीं बहू और नातिन ने मिलकर प्रेमी के साथ बुजुर्गों की हत्या की थी। मुख्यमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा और बुजुर्ग नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अलग से निर्देश पुलिसकर्मियों को दिया गया। हालांकि वर्ष के अंत तक सुरक्षित नहीं हो पाये हैं।
रुपये की बारिश
एक और घटना जो कोलकाता की है और पूरे देश में सुर्खियों में थी। वह रुपयों की बारिश है। अंतिम महीने की शुरुआत में कोलकाता के बड़ा बाजार में स्थित बेंटिक स्ट्रीट की एक इमारत से दो हजार, 500 और 100 रुपये के नोट बरसने लगे थे। जिसके हाथ जो लगा, अपनी जेब में भरा और चलता बना। बाद में पता चला था कि डीआरआई और आयकर की छापेमारी हुई थी, जिससे बचने के लिए इस काले धन को इमारत से नीचे फेंक दिया गया था। इसका वीडियो पूरी दुनिया में वायरल हुआ था।

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