वर्ष 2020ः जब दिल्ली हाईकोर्ट ने की आधी रात को सुनवाई

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नई दिल्ली, 30 दिसम्बर (हि.स.)। साल 2020 दिल्ली हाईकोर्ट के लिए मिला-जुला रहा। एक तरफ हाईकोर्ट ने जहां दो मामलों में आधी रात को सुनवाई की, वहीं उन जनहित याचिकाओं पर यह कहते हुए सुनवाई करने से इनकार कर दिया कि वे नीतिगत या कानून बनाने से संबंधित थे।

हाईकोर्ट ने कोरोना लॉकडाउन के पहले जिन दो मामलों पर आधी रात को सुनवाई की थी उसमें निर्भया गैंगरेप और दिल्ली दंगों से जुड़े हुए मामले थे। 26 फरवरी की आधी रात को हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस एस मुरलीधर के घर पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के एक छोटे अस्पताल में भर्ती घायलों को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने और सुरक्षा की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अस्पताल के मरीजों के लिए सुरक्षित रास्ता और आपातकालीन इलाज मुहैया कराने का आदेश दिया था।  हाईकोर्ट ने 19 मार्च को रात में निर्भया के दोषियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए डेथ वारंट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्भया के दोषियों की अर्जी खारिज होने के बाद उसी दिन अगली सुबह उन्हें फांसी दे दी गई थी।

इस साल हाईकोर्ट ने दिल्ली में कोरोना को नियंत्रित करने से जुड़ी याचिकाएं और हेल्थ वर्कर्स, नर्सों और सफाईकर्मियों को पीपीई किट उपलब्ध कराने , मीडियाकर्मियों को चिकित्सा कवर के अलावा नगर निगमों के शिक्षकों, डॉक्टरों, नर्सों, सफाई कर्मचारियों को सैलरी और रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन देने की मांग करनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने दिल्ली में कोरोना से निपटने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को कई महत्वपूर्ण आदेश जारी किए।

25 मार्च को जब लॉकडाउन घोषित किया गया उसके अगले दिन से ही दिल्ली हाईकोर्ट ने अति महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये शुरु कर दी थी। लॉकडाउन की शुरुआत में हाईकोर्ट ने उन छात्रों और दूसरे नागरिकों की याचिकाओं की सुनवाई की जो विदेशों में फंसे हुए थे।

हाईकोर्ट ने इस दौरान दिल्ली की जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने के लिए आदेश दिए और काफी कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने समय-समय पर अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने का आदेश दिया। हाईकोर्ट की जज जस्टिस हीमा कोहली के नेतृत्व में हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया गया जो जेलों में भीड़ कम करने के मामले पर समय-समय पर अनुशंसाएं करती रही।

हाईकोर्ट ने पाया कि कोरोना संकट के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसके बाद हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो इसे रोकने के लिए कदम उठाएं और ये सुनिश्चित करें कि पीड़ितों को खाना, पानी, बिजली या दूसरी जरुरतों की कमी न हो। हाईकोर्ट ने इस दौरान बेघर लोगों की सहायता के आदेश दिए। कोर्ट ने उन प्रवासी मजदूरों की मदद का भी आदेश दिया जो लॉकडाउन के दौरान रिलीफ कैंप में रह रहे थे।

हाईकोर्ट ने कोरोना का टेस्ट रिपोर्ट जल्द न मिलने पर गौर करते हुए आदेश दिया था कि 24 से 48 घंटे के अंदर रिपोर्ट उपलब्ध कराया जाए। हाईकोर्ट ने इस दौरान दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना मरीजों की सुविधाओं और कोरोना से मृत शवों की दुर्दशा पर स्वत: संज्ञान लिया था। हाईकोर्ट ने दिल्ली के अस्पतालों में आईसीयू बेडों की रियल टाइम उपलब्धता की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया था। दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद हाईकोर्ट की फटकार के बाद ही दिल्ली सरकार जगी थी और उसने आरटी-पीसीआर टेस्ट बढ़ाया था।

पिछले सितंबर महीने से हाईकोर्ट ने कुछ कोर्ट में खुली अदालत में सुनवाई शुरु की थी। इसके लिए हाईकोर्ट ने स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर लागू किया था। हाईकोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक 90 फीसदी से ज्यादा वकीलों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के तरजीह दी।

हाईकोर्ट ने इस साल कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोरोना के दौरान हेल्थ वर्कर्स को रिस्क एंड हार्डशिप अलाउएंस देने की मांग यह कहकर खारिज कर दिया कि कोर्ट कानून नहीं बना सकती है, कोर्ट केवल कानून को लागू कर सकती है। कोर्ट ने ऐसी ही एक याचिका खारिज कर दिया जिसमें दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़ने के बाद तत्काल लॉकडाउन लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने दिल्ली दंगा के पीड़ितों को मुआवजा देने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर यह कहते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया कि ये नीतिगत मामले हैं। कई सारे मामलों में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सरकार या सक्षम प्राधिकार के पास जाने को कहा।

इस साल हाईकोर्ट ने गैरजरूरी जनहित याचिका दाखिल करने वाले पर सख्ती दिखाई। हाईकोर्ट ने कोरोना काल में विधवा पेंशन रोके जाने के एक मामले पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि जनहित याचिका दायर करना आजकल धंधा बन गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ और स्वच्छ पर्यावरण को बनाए रखने के लिए 70 हजार करोड़ रुपये और मानव संसाधन की मांग करने वाले एक याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये की जुर्माना लगाया । चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि इस तरह की याचिका जनहित याचिका नहीं हो सकती है और यह न्यायिक समय की बर्बादी है।

हाईकोर्ट ने कोरोना संकट के दौरान छात्रों को परीक्षाओं में होनेवाली परेशानियों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने इस दौरान दिल्ली युनिवर्सिटी को कई बार फटकार लगाई और ओपन बुक एग्जामिनेशन के संचालन से जुड़े कई आदेश पारित किए। हाईकोर्ट ने दिल्ली के निजी स्कूलों और सरकारी स्कूलों को निर्देश दिया कि वे ऑनलाइन क्लास के लिए आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए लैपटॉप, मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराएं।

इस साल दिल्ली हाईकोर्ट ने यूपी के एक अंतर्धार्मिक जोड़े की सुरक्षा का आदेश दिया। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को शाहजहांपुर के इस धार्मिक जोड़े को सुरक्षा देने का आदेश दिया । इस दौरान एक मामले पर सुनवाई करते हुए  दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि शादी के वादे के साथ किसी महिला की सहमति के साथ लंबे समय तक किए गए सेक्स को रेप नहीं कहा जा सकता है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर  के 2015 के विधानसभा चुनाव को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट से उन्नाव रेप मामले में दोषी करार दिए गए विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मिली सजा पर कोई भी रोक लगाने से इनकार कर दिया । हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के आरोपियों की सजा पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया।

 


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