लखनऊ, 05 (हि.स.)। बसपा मुखिया मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के अलग-अलग चुनाव लड़ने के फैसले और बसपा प्रमुख द्वारा यादव समाज पर आरोप लगाने के बाद समाज के लोग अखिलेश यादव को अपरिपक्व बताते हुए कोसने लगे हैं। यादव समाज के लोगों का कहना है कि अखिलेश यादव ने पहले कांग्रेस से समझौता किया, फिर एक ही चुनाव के बाद अब तक की सबसे बड़ी दुश्मन मान रहे बसपा से समझौता कर लिया। उन्हें न तो समाज की चिंता है और न ही किसी अन्य की। वे कभी भी मुलायम सिंह यादव नहीं बन सकते। मुलायम ने संघर्ष का रास्ता अपनाया था, जबकि अखिलेश ने उनको दरकिनार करते हुए सिर्फ कुर्सी की चाह में पूरे समाज का ठेका लेकर समाज की इज्जत नीलाम कर दी। अब अखिलेश यादव के साथ समाज का रहना मुश्किल है।
युवा नेता और प्रान्तीय यादव महासभा के प्रदेश सचिव अनिल कुमार यादव ने कहा है कि समाज के लोग मुलायम सिंह के संघर्षों की वजह से अभी तक अखिलेश यादव के साथ थे, लेकिन उन्होंने समाज को एक तरह से मायावती के हाथों गिरवी रखने की कोशिश की और समाज की इज्जत नीलाम कर दी। वे संघर्ष के लिए नहीं, पद के लिए राजनीति करने में विश्वास करने लगे हैं। पहले कांग्रेस के खिलाफ बनाई गयी पार्टी को कांग्रेस से समझौता कर लिया। वहां सफलता नहीं मिली तो वे मायावती के हाथों की कठपुतली बन गए। इससे सपा काे सबसे ज्यादा झटका लगा है। पार्टी को चुनाव बाद खुद ही बसपा से अलग होने का तुरंत फैसला करना चाहिए था, लेकिन मायावती ने अपना फैसला सुनाते हुए यादव समाज पर ही सारे इल्जाम मढ़ दिए।
इनसे अच्छे तो शिवपाल हैं:
उन्होंने कहा कि अब समाज अखिलेश यादव की फ्लाप नीति को समझ चुका है। आगे समाज के लोग इनके कहने पर कहीं नहीं जा सकते। इनसे अच्छे तो शिवपाल यादव हैं। उन्होंने अफजाल और मुख्तार को अपने साथ लाने की कोशिश की तो अखिलेश ने उन्हें निकाल दिया। परिवार में बंटवारा के कारण बने इन्हीं अफजाल का प्रचार करने चले गये और सिद्ध कर दिया कि इनका कोई अपना स्टैंड नहीं है। यदि सपा का वोट बसपा पर नहीं चढ़ा तो फिर वे शून्य से 10 पर कैसे पहुंच गयीं।
अब अखिलेश से भी विदक जाएगा यादव समाज:
चंदौली समाजसेवी राजू यादव ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में यादव समाज के एक वर्ग ने अखिलेश के कहने पर मायावती को वोट दिया, लेकिन एक तबका ऐसा भी था जो उनके इस फैसले से आक्राेशित था। मायावती द्वारा झटका दिये जाने के बाद तो यादव समाज भी अगले चुनाव में खुद अखिलेश यादव से विदक जाएगा। इनकी समाज पर चलने वाली ठेकेदारी नहीं चल पाएगी। इसी तरह का यादव सोशल फेलफेयर सोसाइटी के सचिव गोरखपुर निवासी संतोष यादव, गाजीपुर के राम मूरत यादव, गाजीपुर के रामपति यादव, बलिया के शिव मूर्ति यादव ने भी वक्तव्य दिया है।
पिता को दरकिनार कर अखिलेश ने दिया अक्षमता का परिचय:
प्रयागराज के समाजसेवी राजनाथ यादव का कहना है कि जब अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव को दरकिनार कर दिया, तभी से लगने लगा था कि ये समाज का नेतृत्व करने में अक्षम साबित होंगे। इसके बावजूद इस बार बहुत हद तक समाज के लोगों ने इनके कहने पर मायावती को वोट दिया, लेकिन अगली बार तो दूसरे को क्या, समाज के लोग इन्हें भी वोट नहीं करेंगे। अब इनमें समाजवाद की कोई विचारधारा नहीं रह गयी है।