छत्तीसगढ़: निलंबित आईपीएस की ओर से रिट याचिका, राज्य सरकार ने कैविएट दाखिल किया
रायपुर, 10 जुलाई (हि.स.)। निलंबित आईपीएस जीपी सिंह की ओर से बिलासपुर हाईकोर्ट में रिट याचिका लगाए जाने के बाद राज्य सरकार ने अदालत में कैविएट दाखिल किया है। राज्य सरकार ने कहा है कि इस मसले पर दायर याचिका में सीधे कोई फैसला या संरक्षण देने से पहले राज्य सरकार का पक्ष सुना जाए।
इसके पहले जीपी सिंह ने खुद पर हो रही कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। 90 पन्नों की इस याचिका में जीपी सिंह ने पूरे मामले में स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। याचिका में अंतरिम राहत के तौर पर किसी स्वतंत्र एजेंसी से मामले की जांच शुरू नहीं होने तक राज्य की पुलिस की जांच पर रोक लगाने की मांग भी की गई है। ईओडब्ल्यू ने जीपी सिंह के सहयोगियों को नोटिस जारी किया है। मणिभूषण, प्रीतपाल चाण्डोक और राजेश बाफना को नोटिस जारी किया गया है।
आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर एसीबी ने जीपी सिंह के सरकारी आवास समेत करीब 10 ठिकानों पर छापा मारा था। 68 घंटे चले मैराथन छापे में 10 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति के कागजात, कुछ डोजियर, टूलकिट दस्तावेज और पेन ड्राइव मिले थे। जिसके बाद जीपी सिंह को निलंबित करते हुए राजद्रोह का केस भी दर्ज किया गया है। कैविएट दाखिल कर कहा है कि कोई भी फैसला, संरक्षण देने से पहले हमारा पक्ष भी सुना जाए।
जीपी सिंह के हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट किशोर भादुड़ी ने बताया कि हमारी याचिका में कहा गया है कि सरकार में दखल रखने वाले कुछ नेताओं और अधिकारियों ने मिलकर जीपी सिंह को इस पूरे ट्रैप में फंसाया। याचिका में हाईकोर्ट से सीबीआई जांच की मांग करते हुए सिंह ने कहा है कि यह पूरी कार्रवाई इसलिए हुई है कि उन्होंने कुछ अवैध कामों को करने से मना किया। उनके असहयोग करने के कारण कुछ अधिकारियों ने पहले उन्हें धमकी दी और बाद में आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते हुए एसीबी, ईओडब्ल्यू का छापा पड़वाया। इसमें भी बात नहीं बनी तो उनके खिलाफ राजद्रोह का अपराध गलत तरीके से दर्ज कर दिया गया। उन्हें पूरा यकीन है कि यदि उनकी जांच राज्य शासन की पुलिस या कोई एजेंसी करती है तो उनके साथ न्याय नहीं होगा इसलिए सभी मामलों की जांच सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए जो राज्य शासन के अधीन ना हो।
याचिका में कहा गया है कि जिस डायरी और कागजों के आधार पर यह केस दर्ज किया गया है। वह सालों पुरानी है। कचरे, नाली में फेंकी हुई थी और उसे बंगले में छापा मारने वाले खुद ढूंढकर लाए थे। जब इन फटे-पुराने कागजों की जब्ती की जा रही थी, उस समय जीपी सिंह को नहीं बुलाया गया। जबकि वे बंगले में मौजूद थे।