कानपुर, 16 मई (हि.स.)। कोरोना की इस जंग के बीच इन दिनों लगातार हादसे हो रहे हैं और इन हादसों में मजबूर प्रवासी मजदूर ही मारा जा रहा है। चाहे महाराष्ट्र का औरंगाबाद का हादसा हो या उत्तर प्रदेश का औरैया हादसा। इन सभी हादसों में जो मजदूर काल के गाल में समाने से बच गये उनमें रोटी की तड़प साफ देखी जा रही है। चित्कार और करुण क्रंदन के बीच मजबूर घायल मजदूरों के मुंह से एक ही बात निकलती है कि अगर हमारी रोटी की व्यवस्था हो जाये तो हम लोग हादसों से बच सकते हैं।
वैश्विक महामारी बने कोरोना वायरस से देश लड़ रहा है और इस लड़ाई में जारी लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों की रोजी-रोटी छिन गयी। ऐसे में प्रवासी मजदूर रोटी के लिए अपने घरों को याद कर रहे हैं और पैदल या कुछ साधन मिलने पर उसी में सवार होकर चल देते हैं। तो वहीं दूसरी ओर देखा जा रहा है कि इन दिनों लगातर हादसे हो रहे हैं और हादसों में मजदूरों की बराबर मौतें भी हो रही हैं। इन हादसों से चट्टान की तरह अपनी मेहनत पर विश्वास करने वाले मजदूरों में मानसिक अवसाद आ रहा है और उनमें भय व्याप्त हो गया कि घर पहुंचने से पहले कहीं हादसे का शिकार न हो जायें। हालांकि हादसे तो पहले भी होते रहे और लोगों की मौते होती रही, पर इन दिनों जो हादसे हो रहे हैं, चाहे औरंगाबाद का हादसा हो या औरैया का हादसा या गुना, सागर व मुजफ्फर नगर आदि हों इन सभी में मजदूर ही मारा जा रहा है। इन सभी हादसों में बचे हुए घायल मजदूरों में एक ही आवाज सुनाई देती है कि काश रोटी की हमारी व्यवस्था होती तो यह दिन न देखने पड़ते।
औरैया हादसे के घायलों की जुबानी
औरैया सड़क हादसे में जहां 24 मजबूर मजदूरों ने अपनी जान गवां दी तो वहीं अस्पताल में जीवन मौत से संघर्ष कर रहे मजदूरों ने अपना दर्द बयां किया। घायल झारखण्ड के शंभू महतो का कहना है कि होली के बाद कमाने गये थे और जितने दिन काम किये तो उसका भी रुपया मालिक ने नहीं दिया। इधर लॉकडाउन हो गया तो खाने को लाले पड़ गये। ऐसे में एक ही रास्ता था कि किसी तरह से अपने घर पहुंचे। मध्य प्रदेश के योगेश और रोशन ने बताया कि बाहर फंसे मजदूरों को इन दिनों सिर्फ रोटी चाहिये और रोटी के लिए वह लोग लॉकडाउन का उल्लंघन कर अपने घर भागने को मजबूर हैं। बिहार के सुशील और अर्जुन ने बताया कि भूख मिटाने का कोई साधन नहीं बचा था और ऐसे में तय किया गया कि जो कुछ रुपया है उसके जरिये किसी तरह से घर पहुंचा जाये।
कुछ प्रमुख हादसे
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में आठ मई को रेल पटरी पर सो रहे 16 मजदूर मालगाड़ी के चपेट में आ गये और मौत के गाल में समा गये। 13 मई को मध्य प्रदेश के गुना में सड़क हादसे में आठ प्रवासी मजदूरों की मौत हो गयी। 14 मई को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर जनपद में पैदल चल रहे छह मजदूरों को बस ने कुचल कर मौत की नींद सुला दी। 16 मई को उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद में हुए सड़क हादसे में 24 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गयी। इसी दिन मध्य प्रदेश के गुना और सागर में हुए सड़क हादसों में क्रमशः तीन और पांच प्रवासी मजदूरों की मौत हो गयी। इससे पहले मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में हुए सड़क हादसे में छह मजदूरों की मौत हो गयी थी।
मुख्यमंत्री योगी ने दिया है सख्त आदेश
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा था कि प्रवासी कामगारों व श्रमिकों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराना जिला प्रशासन की जिम्मेदारी होगी। इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों व पुलिस अधीक्षकों को सख्त आदेश दिया है कि वे यह देखें कि कोई भी प्रवासी कामगार-श्रमिक पैदल अथवा बाइक से यात्रा न करने पाए।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक जनपद के हर थाना क्षेत्र में एक टीम गठित करते हुए पैदल अथवा बाइक से यात्रा करने वाले प्रवासी कामगार व श्रमिकों को रोका जाए। उन्होंने ट्रक आदि असुरक्षित वाहनों से सवारी ढोने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं।