प्रवासी कामगारों की दक्षता से विकसित होगा बिहार, कराया जा रहा स्किल सर्वे
बेगूसराय, 30 मई (हि.स.)। देश के विभिन्न शहरों में काम करने वालों बिहारी कामगार लॉकडाउन में काम बंद होने के बाद लगातार अपने घर की ओर भाग रहे हैं। इस दौरान पांच लाख से अधिक प्रवासी अपनेेे गांव लौट चुके हैं। सिर्फ बेगूसराय के बरौनी जंक्शन पर 107 स्पेशल ट्रेन से 66 हजार 128 प्रवासी आ चुके हैं, जिसमें बेगूसराय के 5151 प्रवासी हैं। ट्रेन के अलावा भी पैदल, रिक्शा, ठेला, बाइक, बस, ट्रक से प्रवासियों के आने का सिलसिला जारी है। कुल मिलाकर सिर्फ बेगूसराय में 25 हजार से अधिक प्रवासी अब तक आ चुके हैं। आने वाले प्रवासी अब काम के लिए भी परेशान हो रहे हैं, काम नहीं मिलेगा तो खाएंगे क्या।
देश के विभिन्न शहरों को प्रगतिशील बनाने वाले इन कामगारों की वापसी के बाद संभावनाओं को देखते हुए बिहार सरकार ने बेहतरीन आइडिया लगाया और स्किल सर्वे किया जा रहा है। बेगूसराय में अब तक अब तक 10 हजार 473 प्रवासी कामगारों का सर्वे किया जा चुका है। सरकार की सोच है देश के विभिन्न शहर में काम करने जाने वाले बिहारी लोगों को बिहार में ही काम दिया जाए और इसी उद्देश्य सरकार ने स्किल सर्वे शुरू किया है। स्किल सर्वे के साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए श्रम संसाधन और उद्योग समेत तमाम सरकारी विभागों में कार्य योजना बनाई जा रही है। कामगारों के स्किल के आधार पर 130 सेक्टर में स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा ताकि अपने कामगारों की प्रतिभा से बिहार भी प्रगतिशील और उन्नत राज्य बन सके। मनरेगा, जल जीवन हरियाली और सात निश्चय समेत तमाम योजनाओं में काम शुरू भी किए गए हैं, शेष के लिए युद्ध स्तर पर कार्रवाई की जा रही है।
डीएम अरविन्द कुमार वर्मा ने स्किल सर्वे का कार्य तेज करने के साथ-साथ सभी सरकारी विभागों को योजना के संचालन में स्थानीय लोगों को रोजगार देने का निर्देश दिया है। जिला में विकास का काम कर रहे सभी कार्यकारी एजेंसियों को भी स्थानीय श्रमिकों-कामगारों को रोजगार देने के निर्देश दिए गए हैं। स्किल सर्वे के तहत बिहार सरकार का श्रम संसाधन विभाग कई तरह का डाटा जुटा रहा है, जिसमें बिहार के कामगार-श्रमिक कहां काम करते थे, परिवार के साथ रहते थेे या अकेले रहते थे। ठेकेदार के साथ काम करतेे थे या अन्य जगह। कर्मचारी राज्य बीमा योजना से जुड़े थे, पीएफ खाता था, क्या परदेस में दैनिक मजदूरी करते थे, सुपरवाइजर थे या क्लर्क। सरकार यह भी जमा चाहती है कि क्या किसी प्रकार का हुनर सीखना चाहते हैं।
काम देने के लिए श्रेणी भी अलग-अलग बनाई गई है। कारखाना में कामगार, घरेलू कामगार, ईंट भट्ठा मजदूर, मोची, पशुपालन, कूड़ा बीनने वाले, होटल में काम करने वाले, निर्माण कामगार, कंप्यूटर ऑपरेटर, बीड़ी मजदूर, कुम्हार, बेकरी, न्यूजपेपर वेंडर, खेतिहर मजदूर, मोटर परिवहन से जुड़े, नाई, धोबी, मछुआरा, दुकान प्रतिष्ठान के स्टाफ और सिक्योरिटी सर्विस के अलावे अन्य कॉलम बनाया गया है।
जिला जनसंपर्क पदाधिकारी भुवन कुमार बताते हैं कि प्रवासियों का एकांतवास केंद्र पर पंजीकरण किए जाने के साथ ही स्किल सर्वे का कार्य किया जा रहा है। स्किल सर्वे में मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से लिए जा रहे हैं। सर्वे केे बाद डेटाबेस तैयार किया जाएगा और इसी डेटाबेस के आधार पर क्रमवार तरीके से स्थानीय स्तर पर उनकी दक्षता का उपयोग कर रोजगार देनेेे के साथ-साथ पर प्रदेश को समृद्ध बनाने की दिशा में बेहतरीन काम किए जाएंगे। इससे परदेस जाने वालेेे कामगारों को स्थानीय स्तर पर अपनेे राज्य में ही काम मिलेगा, तो वह परदेस केे भरोसे नहीं रहेंगे।