बंगाल: पुलिस पर लग रहे आरजी कर आंदोलन में शामिल लोगों को धमकाने के आरोप
कोलकाता: आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर की हत्या और बलात्कार के विरोध में शामिल लोगों ने अब पुलिस पर धमकी और उत्पीड़न के आरोप लगाये हैं। कई प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की इन हरकतों के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस लगातार उनके घरों पर जाकर धमकी दे रही है। कुछ मामलों में पुलिस रात के समय भी उनके घर पहुंच रही है और अगर संबंधित व्यक्ति मौजूद नहीं होता, तो उनके परिवार के सदस्यों को परेशान कर रही है। पुलिस उनके लैपटॉप या कंप्यूटर भी जब्त कर रही है और फिर घंटों पूछताछ के नाम पर थाने में बिठाकर रखा जा रहा है। इसके बाद उनके मोबाइल फोन जब्त कर लिए जाते हैं और फोन में मौजूद व्यक्तिगत जानकारी को देख कर धमकाया जाता है कि इसे सार्वजनिक किया जा सकता है।
बारासात निवासी अरित्र विश्वास, जिन्होंने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था, ने कहा, “प्रदर्शन के अगले दिन मुझे थाने बुलाया गया और घंटों बिठाकर मेरा मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया। उसमें मौजूद वीडियो दिखाकर मुझे धमकाया गया और सब डिलीट करवा दिया गया। यहां तक कि मेरे व्यक्तिगत वीडियो और तस्वीरें भी डिलीट करवाई गईं।”
इसी तरह की घटना सौरभ दे और सोमनाथ घोष के साथ भी घटी। सोमनाथ ने बताया, “मुझे झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दी जा रही है। अस्पताल में धमकी की संस्कृति पर चर्चा हो रही है, लेकिन पुलिस की धमकी पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।”
कई स्थानीय लोग, जिनमें कुछ वकील भी शामिल हैं, आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस प्रदर्शन के दौरान टॉवर लोकेशन के आधार पर लोगों को नोटिस भेज रही है। आरजी कर इलाके के निवासी और वकील सार्थक दे का कहना है, “14 अगस्त की घटना के बाद पुलिस ने कई लोगों को सिर्फ उनकी टॉवर लोकेशन के आधार पर नोटिस भेजा है। उन्हें धमकाया गया है और उनके मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए हैं।”
साथ ही, एक यूट्यूबर ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसके घर पर छापा मारा और जब वह घर पर नहीं था, तो उसका लैपटॉप जब्त कर लिया। यूट्यूबर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, जिसमें उसने लोगों से विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की थी। पुलिस ने उसे धमकाते हुए कहा कि 14 अगस्त को क्या हुआ, हम सब जानते हैं, और अगर कुछ गलत हुआ तो उसका जिम्मेदार वही होगा।
इन आरोपों के बीच, कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा ने कहा, “नए कानून के तहत संज्ञान लेने योग्य मामलों में पुलिस आरोपितों को नोटिस भेजकर पूछताछ कर सकती है। लेकिन धमकी देने या उत्पीड़न की कोई शिकायत हमारे पास नहीं आई है। अगर ऐसा कुछ सामने आता है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
वकील अरिजीत बेरा का कहना है कि इस मामले में अदालत में याचिका दायर की गई है और पुलिस को जवाब देना पड़ेगा।