कोलकाता, 06 सितम्बर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल सरकार ने शुक्रवार को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। विपक्षी पार्टी माकपा और कांग्रेस ने इसका समर्थन किया जबकि भाजपा ने इसका विरोध किया। भाजपा विधायक स्वाधीन सरकार ने बिल का विरोध करते हुए पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू करने की मांग की। इस प्रस्ताव में एनआरसी को अमानवीय और तानाशाही भरा कदम करार दिया गया है।
राज्य विधानसभा में एनआरसी पर राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए राज्य के शहरी विकास और नगरपालिका मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि एनआरसी पूरी तरह से मानवता के खिलाफ है। इससे लाखों लोग बेघर हो गए हैं। इसे लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। केंद्र सरकार ने इस पर सटीक कदम नहीं उठाया है। अविलंब लोगों को परेशान करना बंद करना चाहिए।
इसके बाद भाजपा के विधायक दल के नेता मनोज टिग्गा ने इसका विरोध किया और कहा कि 2013 में यह काम शुरू हुआ था। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के निर्देश पर इसकी पूरी प्रक्रिया शुरू हुई थी। भाजपा तो बांग्लादेशी घुसपैठियों को खदेड़ने की बात कर रही हैं। असम आंदोलन के बारे में 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया था। उसमें घुसपैठियों को वापस लौटाने की बात की गई थी लेकिन कांग्रेस इसे क्रियान्वयन करने का साहस नहीं कर सकी।
उन्होंने कहा कि जब पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी विपक्ष में थी तब उन्होंने 1983 में आरोप लगाया था कि वाममोर्चा की सरकार बांग्लादेशियों को बंगाल में घुसा रही है और उन्हें वोटर बना रही है। 12 जुलाई 1983 को उन्होंने संसद में इसके खिलाफ बयान भी दिया था और उन्होंने संसद उपाध्यक्ष की कुर्सी की तरफ कागज फेंककर मारा था। उन्होंने बांग्लादेशियों की घुसपैठ रोकने के लिए स्थगनादेश लाने का प्रस्ताव भी संसद में दिया था।
भाजपा विधायक स्वाधीन सरकार ने कहा कि वे राज्य सरकार के इस प्रस्ताव की कड़ी निंदा करते हैं। यहां विपक्षी पार्टी के तौर पर देखा जाए तो केवल भाजपा खड़ी है। भविष्य में केवल यही पार्टी रहेगी। उन्होंने कहा कि एनआरसी की पूरी प्रक्रिया अंतरराष्ट्रीय कानून और भारतीय कानूनों को मानकर पूरी की गई है। बड़ी संख्या में बांग्लादेशी मुस्लिम पश्चिम बंगाल में घुसे हैं। उन्हें भगाना जरूरी है। इतना कहने के बाद भाजपा के विधायकों ने सामूहिक तौर पर विधानसभा से बहिर्गमन किया। बाहर निकलकर इन्होंने विरोध प्रदर्शन करते हुए कहा कि जय श्रीराम जय श्रीराम, भारत माता की जय, वंदे मातरम, पश्चिम बंगाल में जल्द से जल्द एनआरसी लागू करना होगा की नारेबाजी की।
विधानसभा में सत्तारूढ़ तृणमूल और विपक्षी माकपा तथा कांग्रेस के विधायकों के समर्थन से एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह शनिवार को असम में एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई है जिसमें 19 लाख लोगों को सूची से बाहर किया गया है। इसके खिलाफ तृणमूल कांग्रेस ने राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। शनिवार और रविवार को राज्य के प्रत्येक ब्लॉक में पार्टी की ओर से रैली निकाली जाएगी। जबकि 12 सितम्बर को कोलकाता के उत्तरी हिस्से में बड़ी रैली निकलेगी जिसका नेतृत्व खुद मुख्यमंत्री करेंगी। इसके अलावा तृणमूल का एक प्रतिनिधिमंडल असम दौरे पर भी जा सकता है जहां नागरिकता सूची से निकाले गए लोगों के प्रतिनिधियों से बात की जाएगी। मुख्यमंत्री ने इसके खिलाफ एक देशव्यापी मुहिम शुरू करने का आह्वान भी राज्य के बाकी विपक्षी पार्टियों से किया है।