बंगाल विधानसभा में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के खिलाफ प्रस्ताव पारित

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कोलकाता, 16 नवंबर (हि.स.)। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का क्षेत्राधिकार 15 से बढ़ाकर 50 किलोमीटर करने संबंधी केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ आज पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर दिया गया है। सदन में तृणमूल के इस प्रस्ताव के समर्थन में 112 और खिलाफ में केवल 63 मत पड़े हैं। इससे पहले पंजाब विधानसभा में भी केंद्र के इस फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो चुका है।

मंगलवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था। अध्यक्ष विमान बनर्जी की अनुमति के बाद सेकेंड हाफ में इस प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई। चर्चा के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक उदयन गुहा ने भाजपा विधायक मिहिर गोस्वामी काे हाथ पैर तोड़ने की धमकी दी। उन्होंने आरोप लगाया कि सीमा पर चेकिंग के नाम पर बीएसएफ के जवान महिलाओं के अश्लील व्यवहार करते हैं। विधायक गुहा की भाषा को लेकर अध्यक्ष विमान बनर्जी ने उनकी फटकार भी लगाई। डेढ़ घंटे तक हुई चर्चा के बाद इस प्रस्ताव पर नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने डिवीजन की मांग की। प्रस्ताव पर मतदान के बाद इसे पारित कर दिया गया। प्रस्ताव के समर्थन में तृणमूल कांग्रेस के 112 विधायकों ने मतदान किया जबकि भाजपा के 63 विधायकों ने इस प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया। इसलिए प्रस्ताव पारित हो गया है।

इन विधायकों ने लिया चर्चा में हिस्सा

विधानसभा में प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी के अलावा उपमुख्य सचेतक तापस राय, राज्य के कारीगरी शिक्षा मंत्री हुमायूं कबीर, दिनहाटा से विधायक उदयन गुहा ने सरकार का पक्ष रखा। जबकि विपक्षी भाजपा खेमे से नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी, गाईघाटा से विधायक सुब्रत ठाकुर, अंग्रेजी बाजार से विधायक श्रीरूपा मित्रा चौधरी और मिहिर गोस्वामी ने इसका विरोध किया।

बीएसएफ को 80 किलोमीटर तक कार्रवाई का मिले अधिकार: शुभेंदु

सदन में भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने बीएसएफ का क्षेत्राधिकार बढ़ाने का जो निर्णय लिया है, वह बिल्कुल सटीक है। केंद्र को 50 के बजाय 80 किलोमीटर तक क्षेत्र का अधिकार देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि हम राज्य सरकार से आग्रह करेंगे कि केंद्र के इस फैसले का साथ दें। उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 169 के मुताबिक राज्य विधानसभा में केंद्र के इस फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने का भी कोई महत्व नहीं है।

केंद्र सरकार का यह फैसला संघीय ढांचे के खिलाफ: तृणमूल

सदन में सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि बंगाल के आम जनमानस ने हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में यह बता दिया है कि वे क्या चाहते हैं। हकीकत यह है कि बीएसएफ का क्षेत्राधिकार बढ़ाकर केंद्र सरकार बैक डोर से बंगाल में शासन करना चाहती है। उन्होंने कहा कि हमारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इसके खिलाफ विरोध जताया था। इसके अलावा केंद्रीय गृह सचिव (अजय भल्ला) जब बंगाल आए थे तब भी राज्य सरकार की तरफ से इस फैसले पर आपत्ति जताई गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह फैसला संघीय ढांचे के खिलाफ है। केंद्र को यह निर्णय लेने से पहले राज्य सरकारों से विस्तृत चर्चा करनी चाहिए थी।

उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार के सीमावर्ती राज्यों में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के खिलाफ पंजाब विधानसभा पहले ही प्रस्ताव पारित कर चुकी है। केंद्र सरकार ने बीएसएफ काे अब सीमा से 50 किलोमीटर अंदर तक छापेमारी, गिरफ्तारी और सामानों के जब्त करने का अधिकार दिया गया है। अभी तक बीएसएफ केवल 15 किलोमीटर तक के क्षेत्र में कार्रवाई कर सकती थी।


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