चौतरफा आलोचना के बाद पीछे हटी बंगाल सरकार, अब कोरोना से मौत की जांच नहीं करेगी कमिटी

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कोलकाता, 03 मई (हि.स.)। कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद कई लोगों की मौत के बाद इसे कोरोना की मौत नहीं मान रही पश्चिम बंगाल सरकार आखिरकार चौतरफा आलोचना के बाद अपने रुख से पीछे हट गई।
 खबर है कि राज्य सरकार ने कोरोना मौत की पुष्टि करने वाली जिस कमेटी का गठन किया था उसकी क्षमता कम कर दी है। अब यह कमेटी कोरोना से हुई मौत की जांच नहीं करेगी बल्कि इस बीमारी के फैलाव, इसके बदलते लक्षण और इससे बचाव के उपायों के बारे में ही शोध तक सीमित रहेगी। रविवार को कमेटी के एक सदस्य ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर इसकी पुष्टि की है।
दरअसल पश्चिम बंगाल भारत का एकलौता ऐसा राज्य है जहां कोरोना से मरने वालों का मृत्यु प्रमाण पत्र इलाज करने वाले डॉक्टर जारी नहीं करते थे। बल्कि पश्चिम बंगाल सरकार ने विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई थी जो कोरोना पॉजिटिव शख्स की मौत के बाद उसकी मेडिकल हिस्ट्री को खंगालते थे और यह कमेटी के सदस्य ही तय करते थे कि मरने वाले शख्स की मौत कोरोना से हुई है अथवा उसके शरीर में कोई और ऐसी जानलेवा बीमारी भी थी जिससे उसकी जान गई है।
राज्य सरकार के अस्पतालों में 30‌ अप्रैल तक 105 ऐसे लोगों की मौत हुई थी जो मरने से पहले कोरोना पॉजिटिव थे लेकिन राज्य सरकार ने केवल 33 लोगों को मौत को करोना मौत के तौर पर पुष्टि की थी। बाकी 72 लोगों की मौत के पीछे करण बताया गया था कि मरने वाले कोरोना के अलावा किसी और गंभीर बीमारी से भी पीड़ित थे। इस कमेटी के विश्लेषण के आधार पर ही सरकार ने यह दावा किया था। इसके बाद ममता सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही थी। जनता के मन में सरकार के प्रति गुस्सा भी भर रहा था और करुणा के अधिकतर फैलाओ को लेकर डर भी पसर रहा था। लोग आरोप लगा रहे थे कि कोरोना से मरने वालों के परिजनों को मिलने वाली आर्थिक मदद रोकने और आंकड़े छिपाने के लिए ही बंगाल सरकार ऐसा कर रही है।
 विपक्ष उन पर चौतरफा हमलावर था और राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी लगातार मुख्यमंत्री को इसके लिए कटघरे में खड़ा कर रहे थे। यहां तक कि कोरोना हालात का आकलन करने और दिशा निर्देश देने पहुंची केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम ने भी पश्चिम बंगाल सरकार से इस कमेटी के औचित्य पर लिखित में जवाब तलब किया था। अब चौतरफा घिरने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने समिती की सीमाएं सीमित कर दी है। कमेटी के एक सदस्य ने कहा, “हमने 105 लोगों की मौत पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और नया कोई नमूना हमें नहीं दिया गया है। अब हमें केवल कोरोना से हुई मौतों का अध्ययन करने और वायरस की प्रकृति को समझने का निर्देश दिया गया है।”
उन्होंने कहा, “समिति कोविड-19 से होने वाली मौतों को प्रमाणित नहीं करेगी। हम अस्पतालों में जाएंगे और नमूने एकत्र करेंगे। अगर कोई खास जानकारी मिलते हैं तो राज्य के स्वास्थ्य विभाग को बताएंगे ताकि उसके अनुरूप इलाज हो सके।” उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में सबसे अधिक विषमता है। आधिकारिक तौर पर केवल 48 लोगों की मौत की पुष्टि कोरोना से की गई है जबकि सरकार का दावा है कि अभी भी 72 से अधिक ऐसे लोग थे जो कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अस्पतालों में मरे थे लेकिन उनकी मौत अन्य बीमारियों से हुई थी।
इसके अलावा सरकार के डेली हेल्थ बुलेटिन और राज्य के स्वास्थ्य सचिव की ओर से केंद्र को लिखी गई एक चिट्ठी में भी आंकड़ों में काफी अंतर है। 30 अप्रैल को स्वास्थ्य सचिव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी थी। जिसमें दावा किया था कि बंगाल में 931 लोग कोरोना वायरस पॉजिटिव हैं। जबकि उस दिन स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ बुलेटिन में केवल 472 लोगों को कोरोना पॉजिटिव बताया गया था।

 


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