सप्ताह की सुर्खीः कबतक बचेगा मेहुल सख्त चौकसी में
भारत के भगोड़े हीरा व्यवसायी मेहुल चोकसी को कानूनी फंदे से बचाने और भारत लाने से रोकने के हर हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। ताजा प्रकरण चोकसी की पत्नी प्रीति के ब्रिटिश साम्राज्ञी एलिजाबेथ के यहां अपील करने का है। प्रीति का तर्क है कि एंटीगुआ एवं बारबुडा कॉमनवेल्थ का हिस्सा और महारानी एलिजाबेथ के साम्राज्य का हिस्सा है। इसलिए उन्हें इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।
प्रीति के मुताबिक भारतीय जांच एजेंसियों ने उसके पति का एंटीगुआ से अपहरण कर लिया और उसे लेकर डोमिनिका चले गये। उधर, जब डोमिनिका में जब वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए चोकसी मामले पर सुनवाई चल रही थी, हाइकोर्ट के बाहर कुछ प्रदर्शनकारी चोकसी को डोमिनिका लाये जाने की जांच की मांग कर रहे थे।
बहरहाल, कोर्ट से जमानत रद्द होने के बाज चोकसी डोमिनिका में ही न्यायिक हिरासत में है। अब उसने शुक्रवार पांच जून को जमानत के लिए नई याचिका डाली है, जिस पर आठ जून को सुनवाई होगी। हाइकोर्ट मेहुच चोकसी की पत्नी की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले की भी सुनवाई कर रही है। पहले सुनवाई के लिए 14 जून की तारीख निर्धारित थी।
भारत में जनवरी 2018 में पंजाब नेशनल बैंक में साढ़े 13 हजार करोड़ रुपये के घोटाले के मुख्य आरोपित चोकसी के खिलाफ 31 जनवरी 2018 को सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी। उसके पहले ही मेहुल चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी देश छोड़कर भाग चुके थे। बाद में पता चला कि नीरव मोदी लंदन की जेल में बंद है और चोकसी ने एंटीगुआ की नागरिकता ले ली है। तभी से दोनों के प्रत्यर्पण की कोशिशें चल रही हैं। ब्रिटेन के गृह मंत्रालय की ओर से नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की मंजूरी के बावजूद वहां हाईकोर्ट में मामला लंबित है, तो मेहुल चोकसी एंटीगुआ के नागरिक होने की आड़ लेकर बचता रहा है।
इसी बीच मेहुल 23 मई की रात खाने के लिए एंटीगुआ द्वीप में निकला और अपनी कार छोड़कर फरार हो गया। येलो नोटिस अलर्ट के बाद, डोमिनिका के अधिकारियों ने उसे अपने यहां देश में अवैध रूप से प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। अब चोकसी एंटीगुआ का नागरिक होने के बहाने वहीं प्रत्यावर्तित होने की मांग कर रहा है। अच्छी बात यह है कि एंटीगुआ के पीएम गैस्टन ब्राउन ने अब उसे एंटीगुआ में प्रवेश देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने डोमिनिका की सरकार से अपील की है कि वह उसे सीधे भारत भेज दे। आखिर भारत भी यही चाहता है।
भारत का तर्क है कि एंटीगुआ का नागरिक बनने के पहले उसे भारतीय नागरिकता छोड़नी चाहिए थी। ऐसा नहीं कर उसने दो देशों के कानून को झांसा दिया है और अब तीसरी जगह पहुंच गया है। अपने तर्क के पक्ष में सीबीआई, ईडी और विदेश मंत्रालय की आठ सदस्यीय टीम डोमिनिका गयी थी। खबर है कि टीम ने इस बारे में ढेर सारे दस्तावेज वहां की अदालत में सौंपी है। अब डोमिनिका की हाइकोर्ट इन सारे तथ्यों पर विचार करेगी। मेहुल चौकसी पर पूर्ण और अंतिम फैसला तो भारत में ही हो सकता है। आखिर वह यहीं का आरोपित भी है। अलग बात है कि मेहुल को भारत लाने का रास्ता शायद थोड़ा लम्बा हो जाय।