चीफ जस्टिस ने कहा, अगले 10-15 दिन हम सरकार के काम में दखल नहीं देंगे

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नई दिल्ली, 07 अप्रैल (हि.स.) । सुप्रीम कोर्ट ने सभी तरह के मज़दूरों और स्वरोजगार करने वालों को लॉकडाउन की अवधि में उनका वेतन या न्यूनतम वेतन दिए जाने की मांग करनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम अभी सरकार के काम में दखल नहीं दे सकते हैं। चीफ जस्टिस एस.ए. बोब्डे ने कहा कि अगले 10-15 दिन हम सरकार के काम में दखल नहीं देंगे। इस मामले पर अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से कहा कि आप केंद्र सरकार का हलफनामा देखिए। आप स्टेटस रिपोर्ट देखे बिना कैसे सरकार पर कुछ नहीं करने का आरोप लगा सकते हैं, आप उसे देखिए। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि मजदूरों को भोजन और जरूरी सामान दे रहे हैं। गृहमंत्री खुद हालात पर नजर रखे हुए हैं। आगे और कदम उठाएंगे। पिछले 3 अप्रैल को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मांदर और अंजलि भारद्वाज ने याचिका दाखिल किया है। याचिका में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केंद्र सरकार की ओर से किया गया लॉकडाउन का आदेश नागरिकों के बीच भेदभाव कर रहा है।
याचिका में कहा गया है कि दैनिक वेतनभोगियों की आजीविका के नुकसान के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। जबकि ये लोग भी उसी आपदा से प्रभावित होते हैं और उसी कष्ट को झेलते हैं। केंद्र सरकार के इस आदेश में उन मजदूरों की मजदूरी के भुगतान के लिए भी कोई प्रावधान नहीं है जो पहले से ही पलायन कर चुके हैं और अपने काम के स्थान पर मजदूरी लेने के लिए नहीं आ सकते हैं क्योंकि उनको 14 दिनों के अनिवार्य क्वारंटाइन में रखा गया है।

 


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