सरकार जल संकट से निपटने के लिए पेट्रोल-डीजल पर लगा सकती है वाटर सेस

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मौजूदा केंद्र सरकार ने बढ़ते जल संकट को देखते हुए राष्‍ट्रीय स्‍तर पर योजना बनाने का काम शुरू कर दिया है। जट संकट से छुटकारा पाने के लिए फंड की जरूरत पड़ेगी। इसको देखते हुए सरकार पेट्रोल-डीजल पर वाटर सेस के तौर पर 30 से 50 पैसे प्रति लीटर बजट में लगा सकती है या इसकी बाद में भी घोषणा कर सकती है।



नई दिल्‍ली, 29 जून (हि.स.)। देश में मौजूदा जल संकट से निपटने के लिए सरकार आने वाले बजट में पेट्रोल और डीजल पर वाटर सेस लगा सकती है। इससे पहले भी सरकार ने सड़क और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के विकास के लिए पेट्रोलियम पदार्थ पर सेस लगाया था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मौजूदा जल संकट के लिए सरकार फंड जुटाने के लिए 30 से 50 पैसे प्रति लीटर वाटर सेस लगा सकती है।
जल संकट के लिए पेट्रोल-डीजल पर सेस
दरअसल देश के आधे से अधिक इलाके में गंभीर जल संकट है, जिससे लोगों को राहत देने के लिए पेट्रोल और डीजल पर सेस (उपकर) लगाने की तैयारी चल रही है। कर्नाटक और तमिलनाडु में मौजूदा जल संकट सरकार की तैयारियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। यदि ऐसी ही स्थिति रही तो आने वाले समय में देश में जल पर सरकार गंभीर नहीं हुई और राष्‍ट्रीय नीति नहीं बनाई गई तो यह बहुत ही भयानक समस्‍या बन जाएगी।
बजट या बाद में हो सकती है इसकी घोषणा
मौजूदा केंद्र सरकार ने बढ़ते जल संकट को देखते हुए राष्‍ट्रीय स्‍तर पर योजना बनाने का काम शुरू कर दिया है। जट संकट से छुटकारा पाने के लिए फंड की जरूरत पड़ेगी। इसको देखते हुए सरकार पेट्रोल-डीजल पर वाटर सेस के तौर पर 30 से 50 पैसे प्रति लीटर बजट में लगा सकती है या इसकी बाद में भी घोषणा कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक इसके बारे में पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ बातचीत चल रही है। हालांकि इस पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। पेट्रोल-डीजल के दाम घटने और बढ़ने से सेस में कोई अंतर नहीं आएगा।
मोदी सरकार ने साल 2018 के बजट में भी पेट्रोल और डीजल पर आठ रुपये प्रति‍लीटर का सेस लगाया था। यह सेस सरकार ने सड़क और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर सेस के तौर पर लगया था।

 


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