सांसदों और विधायकों को कभी भी ‘शिष्टता, मर्यादा और गरिमा’ की लक्ष्मण रेखा को पार नहीं करना चाहिए : नायडू
नई दिल्ली, 20 सितंबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की संसद और विधायिकाओं को दूसरों के लिए उदाहरण स्थापित करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति नायडू सोमवार को उपराष्ट्रपति निवास में ‘द महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा’ के राजनीतिक नेतृत्व और शासन में एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम करने वाले छात्रों के साथ बातचीत कर रहे थे। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने और सुशासन के लिए प्रक्रियाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
राज्यसभा के सभापति ने संसद और राज्य विधानसभाओं में बार-बार किये जाने वाले व्यवधानों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की निष्क्रिय विधायिकाएं संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांत की जड़ पर प्रहार करती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि सांसदों और विधायकों को सरकार की आलोचना करने का पूरा अधिकार है लेकिन उन्हें कभी भी कोई बिन्दू बनाते समय ‘शिष्टता, मर्यादा और गरिमा’ की लक्ष्मण रेखा को पार नहीं करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने यह भी दोहराया कि लोगों को चार बहुत महत्वपूर्ण गुणों या 4 सी-चरित्र, आचरण, योग्यता और क्षमता के आधार पर ही अपने प्रतिनिधियों का चयन और चुनाव करना चाहिए। उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य से हमारी चुनावी प्रणाली इन 4-सी गुणों के स्थान पर अवांछनीय 4-सी यानी जाति, समुदाय, नकदी और अपराधिता के अन्य सेट से विकृत हो रही है।”
नायडू ने कहा कि वह हमेशा यही चाहते हैं कि युवा न केवल राजनीति में सक्रिय रुचि लें, बल्कि उत्साह के साथ राजनीति में भी शामिल हों और ईमानदारी, अनुशासन और समर्पण के भाव के साथ लोगों की सेवा करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि आदर्श व्यवहार विचारधारा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि दुर्भाग्य से राजनीति सहित सभी क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों के दौरान मूल्यों और मानकों में तेजी से गिरावट आई है। लेकिन अब समय आ गया है कि विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त ऐसी व्यवस्था को साफ किया जाए जो इसे परेशान कर रही हैं। हमें जीवन के सभी क्षेत्रों में उच्च नैतिक और चारित्रिक मानकों को बढ़ावा देना चाहिए।
छात्रों को यथास्थिति से कभी भी संतुष्ट न रहने की सलाह देते हुए नायडू ने उन्हें अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एकनिष्ठ भाव से लगातार परिश्रम करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि आपको लैंगिक भेदभाव, जातिवाद, भ्रष्टाचार, महिलाओं पर अत्याचार और निरक्षरता जैसी सामाजिक बुराइयों को मिटाने की दिशा में समर्पण के साथ काम करना चाहिए।