नई दिल्ली, 10 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश और कारवां मैगजीन के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेटे और शिकायतकर्ता विवेक डोभाल का क्रास-एग्जामिनेशन (जिरह) टाल दिया है। कोर्ट ने विवेक डोभाल के क्रास-एग्जामिनेशन के लिए 29, 30 और 31 जुलाई की तिथि नियत की है।
पिछले 27 मई को विवेक डोभाल ने अपना बयान दर्ज कराया था। विवेक डोभाल ने अपने बयान में कहा था कि मुझे परेशानी कारवां मैगजीन में छपे लेख के हेडिंग द डी कंपनी से हुई थी। उन्होंने कहा था कि मैं ब्रिटेन का नागरिक हूं और भारत का ओवरसीज सिटिजन हूं। डोभाल ने कहा था कि हमारे परिवार की छवि खराब करने के लिए लगाए गए आरोपों के खिलाफ केस दर्ज कराया है। डोभाल ने कहा था कि पिछले 16 जनवरी को जब मैं दोहा और कतर की यात्रा पर था तो मेरे भाई ने मुझे फोन कर बताया कि कारवां मैगजीन में मेरे खिलाफ खबर छपी है। इससे मैं स्तब्ध हो गया। इसे लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रेस कांफ्रेंस किया और वैसे ही बेबुनियाद आरोप लगाए। उस इंटरव्यू को कांग्रेस के वेबसाइट पर भी चलाया गया।
विवेक डोभाल ने कहा था कि हमने अपने जीवन में जो भी मुकाम हासिल किया है वो वर्षों के मेहनत का परिणाम है। फंड मैनेजर के रुप में हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती छवि की होती है और उस छवि को खराब करने की कोशिश की गई है। उन्होंने अपने पिता विवेक डोभाल को अपना हीरो बताते हुए कहा था कि जब मैं दिल्ली आया तो मेरे पिता ने मुझसे इन सभी आरोपों के बारे में पूछा। उसके बाद मैं रोने लगा, मैं असहाय हो गया। सबसे ज्यादा दुखद ये था कि आलेख में मेरे पिता और मेरी और मेरे भाई शौर्य डोभाल की फोटो डी कंपनी की हेडिंग के साथ लगी हुई थी। भारत में डी कंपनी का मतलब दाऊद गिरोह के लगाया जाता है।
विवेक डोभाल ने कहा कि नोटबंदी के 13 दिनों के बाद मेरे हेज फंड के रजिस्ट्रेशन का मतलब आलेख में ये निकाला गया कि मुझे नोटबंदी की पूर्व से जानकारी थी। आलेख को इस तरीके से लिखा गया कि मैं और मेरा परिवार अवैध गतिविधियों जैसे मनी लांड्रिंग और वित्तीय अनियमितताओं में लगा हुआ है। आलेख में बताया गया कि मेरा परिवार काला धन और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद में लिप्त है। इस आलेख ने आगामी कई वर्षों के लिए मेरे करियर और प्रोफेशन पर धब्बा लगा दिया। विवेक डोभाल ने कहा कि जयराम रमेश का प्रेस कांफ्रेंस मानहानि वाला था। जयराम रमेश एक शिक्षित व्यक्ति हैं और उन्होंने कांग्रेस के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए कारवां मैगजीन को आलेख लिखने की अनुमति दी। जयराम रमेश ने विवेक डोभाल और शौर्य डोभाल को गैरकानूनी काम करने का दोषी बताया। विवेक डोभाल ने कहा था कि जयराम रमेश ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में जो बताया वे तथ्य थे। ऐसा करते हुए उन्होंने तथ्य, राय, आरोप और मनगढ़ंत बातों में कोई अंतर नहीं समझा।
पिछले 9 मई को कोर्ट ने जयराम रमेश को जमानत दी थी। कोर्ट ने बीस हजार रुपये के मुचलके पर जयराम रमेश को जमानत दी थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जयराम रमेश से पूछा था कि क्या आप अपनी गलती स्वीकार करते हैं। क्या आपने प्रेस कांफ्रेंस की। उस प्रेस कांफ्रेंस को विवेक डोभाल मानहानि करने वाला बता रहे हैं तब जयराम रमेश ने कहा था कि वह तथ्यों पर आधारित प्रेस कांफ्रेंस थी। और वह जनहित में किया गया था और किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं था।
पिछले 25 अप्रैल को कोर्ट ने कारवां मैगजीन के संपादक और मैगजीन में आलेख के लेखक को जमानत दी थी। पिछले 2 मार्च को कोर्ट ने जयराम रमेश और कारवां मैगजीन और उसके रिपोर्टर को समन जारी किया था। पिछले 11 फरवरी को विवेक डोभाल के बिजनेस पार्टनर अमित शर्मा और उनके दोस्त निखिल कपूर शामिल ने अपने बयान दर्ज कराए थे।
पिछले 22 जनवरी को कोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लिया था। विवेक डोभाल ने अपने वकील डीपी सिंह के जरिए कोर्ट से कहा था कि कारवां मैगजीन ने अपने लेख में डी कंपनी का जिक्र किया है जिसका मतलब दाऊद इब्राहिम गैंग होता है। डीपी सिंह ने कहा था कि लेखक कौशल श्राफ ने छापने के पहले कोई पड़ताल नहीं की। इस लेख के जरिए हमारे परिवार को टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि अगर परिवार को बदनाम करने की कोशिश नहीं की गई है तो आलेख में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के चित्र छापे गए हैं और डी कंपनी कहा गया है। डीपी सिंह ने कहा था कि लेख में जयराम रमेश के प्रेस कांफ्रेंस का जिक्र है। जिसके बाद ट्विटर पर काफी चर्चा हुई। ये पूरे तरीके से बदनाम करने की कोशिश की गई।
याचिका में कहा गया है कि विवेक डोभाल और अमित शर्मा कैमरन आइलैंड नामक हेज फंड के डायरेक्टर हैं। याचिका में कहा गया है कि जयराम रमेश और कारवां मैगजीन ने उनके खिलाफ झूठे बयान दिए और छापे हैं। ये बयान उनके पिता अजीत डोभाल की छवि को धूमिल करने के लिए दिए गए। याचिका में कहा गया है कि जयराम रमेश ने अपने बयानों के जरिए उनकी और उनकी हेज फंड कंपनी के खिलाफ मनी लांड्रिंग के आरोप लगाए हैं। इन बयानों से उनकी वर्षों के मेहनत से अर्जित प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है।
याचिका में कहा गया है कि कारवां मैगजीन ने अपने आलेख में उनकी कंपनी को डी कंपनी कहकर संबोधित किया है और उनकी और उनकी कंपनी को बदनाम करने की कोशिश की है।