विशाखापट्टनम गैस लीक मामला, एनजीटी ने बनाई 3 समितियां

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जुर्माने की रकम से पीड़ितों को दिया जाए अंतरिम मुआवजा, पर्यावरण की पुनर्स्थापना हो 



नई दिल्ली, 03 जून (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने विशाखापट्टनम में एलजी पालीमर्स इंडस्ट्री से स्टाइरीन गैस के लीक होने के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि कंपनी पर लगाये गए 50 करोड़ रुपये जुर्माने की रकम पीड़ितों को अंतरिम मुआवजा देने और पर्यावरण की पुनर्स्थापना पर खर्च की जाएगी। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने पर्यावरण को हुए नुकसान की पुनर्स्थापना, मुआवजे की रकम तय करने और पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने से रोकने के लिए उठाए जानेवाले कदमों के बारे में सुझाव देने के लिए तीन अलग-अलग कमेटियों के गठन का आदेश दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।
एनजीटी ने पर्यावरण को हुए नुकसान की पुनर्स्थापना की योजना बनाने के लिए जिस पांच सदस्यीय कमेटी के गठन का आदेश दिया है, उसमें केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य सरकार की ओर से नामित तीन सदस्य शामिल होंगे। राज्य सरकार जिन तीन सदस्यों को नामित करेगी उसमें एक विशाखापत्तनम के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट होंगे। राज्य सरकार इन तीनों सदस्यों के नामों का ऐलान दो महीने के अंदर करेगी।
एनजीटी ने मुआवजे की रकम तय करने के लिए भी एक कमेटी बनाने का आदेश दिया है, जिसमें केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नीरी के सदस्य शामिल होंगे। ये कमेटी विशेषज्ञों को अपनी कमेटी में शामिल करने के लिए स्वतंत्र होगी। इस कमेटी का गठन केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय दो हफ्ते के अंदर करेगा। कमेटी अपने गठन के दो महीने के अंदर एनजीटी को रिपोर्ट दाखिल करेगा।
एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय को निर्देश दिया कि वो विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित कर सकती है जो किसी भी खतरनाक रसायनों का उत्पादन करनेवाली कंपनी की ओर से पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने से रोकने के लिए उठाए जानेवाले कदमों के बारे में सुझाव देगी। इसके लिए विशेष अभियान चलाया जा सकता है। एनजीटी ने इस पर तीन महीने के अंदर एक्शन टेकन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
पिछली 8 मई को एनजीटी ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए आंध्र प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, विशाखापट्टनम के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय और एलजी पालीमर्स को नोटिस जारी किया था। एनजीटी ने लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए एलजी पालीमर्स को पचास करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
एनजीटी ने छह सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बी सेशैयाना रेड्डी, आंध्र यूनिवर्सिटी, विशाखापट्टनम के पूर्व कुलपति प्रो वी रामचंद्र मूर्ति, आंध्र यूनिवर्सिटी के केमिकल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पुलिपति किंग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी और नीरी विशाखापट्टनम के प्रमुख शामिल हैं। एनजीटी ने कमेटी को निर्देश दिया था कि वो जितनी जल्दी हो मौके का मुआयना करे और रिपोर्ट दे।
एनजीटी ने कमेटी को निर्देश दिया था कि वो रिपोर्ट में घटनाक्रम, घटना की वजह और उसके लिए जिम्मेदार एजेंसियां और लोगों की जानाकारी दे। एनजीटी ने कहा था कि रिपोर्ट में जानमाल को हुए नुकसान के अलावा गैस के लीक होने से लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव का भी आकलन करें।

 


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