डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के साथ हिंसा और दुर्व्यवहार कत्तई बर्दाश्त नहीः प्रधानमंत्री
नई दिल्ली, 01 जून (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 (कोरोना महामारी) से लड़ने में जुटे डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के साथ हिंसा और दुर्व्यवहार की खबरों पर चिंता जताते हुए सख्त चेतावनी दी है कि इस तरह की घटनाओं को कत्तई बर्दाश्त नही किया जाएगा।
मोदी ने सोमवार को विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कर्नाटक के राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रहे हमलों को लेकर कड़ी चेतावनी देते हुए कहा ‘मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि महामारी की इस घड़ी में अगली कतार में खड़े होकर कोरोना वायरस से लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों के साथ हिंसा या किसी भी तरीके का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी अपनी जान की परवाह न करके दिन रात इस महामारी से जूझने में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस हमारा अदृश्य शत्रु है, तो हमारे डॉक्टर और चिकित्साकर्मी अपराजेय योद्धा हैं। कोरोनारूपी अदृश्य शत्रु बनाम अपराजेय योद्धा की इस लड़ाई में निश्चित तौर पर हमारे डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों की विजय होगी।
प्रधानमंत्री ने समारोह का उद्घाटन करते हुए आगे कहा कि 25 साल का मतलब राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय अपने युवावस्था में है और संस्थान की यह आयु और भी बेहतर करने और बड़ा सोचने की है। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले समय में यह चिकित्सा विश्वविद्यालय उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों को छूता रहेगा। मोदी ने कहा कि अगर देश वैश्विक महामारी से नहीं जूझ रहा होता तो निश्चित तौर पर वह बंगलूरू में आयोजित इस रजत जयंती समारोह में शामिल होते। उन्होंने विश्वविद्यालय के डॉक्टरों और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहाकि इस समय, दुनिया डॉक्टर्स, नर्स, चिकित्सा कर्मी और वैज्ञानिक बिरादरी की तरफ उम्मीद और कृतज्ञता के साथ देख रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया को आपके देखभाल और इलाज दोनों की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं और सुविधाओं की जिक्र करते हुए कहा कि ‘आयुष्मान भारत’ के रूप में हमारे पास दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है। दो साल से कम समय में, एक करोड़ लोगों को इस योजना से लाभ पहुंचा है। उन्होंने कहा कि महिलाएं और गांव में रहने वाली भारत की जनता को इससे सबसे ज्यादा लाभ मिला है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश में 22 और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्थापित किए गए हैं। इसके साथ ही गत पांच वर्षों में सरकार ने एमबीबीएस में 30 हजार से अधिक और पोस्टग्रेजुएशन में 15 हजार सीटें बढ़ाई हैं।