विनेश फोगाट कुश्ती में ओलंपिक पदक की सबसे बड़ी उम्मीद हैं

0

नई दिल्ली, 23 अप्रैल (हि.स.)। रियो ओलंपिक में चोट के बाद बाहर हुई भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट एक बार ओलंपिक की कसौटी पर खुद को साबित करने को तैयार हैं। महिला पहलवानों में टोक्यो ओलंपिक में विनेश फोगाट सबसे बड़ी भारतीय उम्मीद में से एक हैं। खासकर एशियाई खेलों में गोल्ड जीतने के बाद देश इनसे पदक की उम्मीद संजों रखा है। इस उम्मीद की वजह से ही विनेश को 2015 में लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) में शामिल किया गया था।

जुलाई माह में होने वाले टोक्यो ओलंपिक को लेकर अपनी तैयारियों और रणनीति पर विनेश फोगाट ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बात की। रियो से टोक्यो ओलंपिक तक के सफर पर तफ्सील से चर्चा करते हुए विनेश ने बड़ी साफगोई से कहा कि वह कभी अपनी कमियों पर बात करने से कतराती नहीं हैं। फोगाट ने कहा कि रियो में उन्हें चोट लगी और वो बाहर हो गई लेकिन आज उनके पास एक बेहतर मौका है खुद को साबित करने का। विनेश कहती हैं, ‘2016 में जो हुआ वह निराशाजनक था। हालांकि किसी भी नकारात्मक स्थिति के लिए अब मैं मानसिक रूप से तैयार हूं।’ उनका कहना है कि वह अपनी असफलताओं से सबक लेती हैं। वह ईश्वर पर भरोसा करती हैं और कहती हैं कि यह प्रकृति का नियम है, आपको जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है।

चार साल पहले रियो और अब टोक्यो ओलंपिक लिए क्वालीफाई होने वाली विनेश फोगाट में क्या अंतर है, पूछे जाने पर विनेश तनिक ठहरती हैं और दूसरे पल उनका जवाब होता है, “पहले मैं भावनात्मक रूप से काफी कमजोर थी, लेकिन अब मैं परिपक्व हो गई हूं। अगर आज मैं हार जाती हूं तो मुझे पता है कि मुझमें खामियां हैं और उन पर काम करुंगी।’

विनेश बड़ी बेबाकी से यह कबूल करती हैं कि वह गुस्सैल थीं, लेकिन अब उन्होंने अपनी इस कमजोरी पर काफी हद तक काबू पा लिया है। उनका कहना है, “पहले मैं बहुत आक्रामक थी लेकिन अब स्थिति के माकूल खुद को नियंत्रित कर लेती हूं। रियो के बाद मैंने बहुत कुछ सीखा है और तब जाकर आज मानसिक तौर पर मजबूत हुई हूं।”

टोक्यों में पदक की उम्मीद और रणनीति को लेकर विनेश फोगाट ने बताया कि वो सही रास्ते पर हैं। जहां तक तैयारियों की बात है तो वो महसूस कर रही हैं कि वो 85 फीसदी तक खुद को पदक की दौड़ में पाती हैं। हालांकि शतप्रतिशत के लिए उनकी कोशिश जारी है। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता में उतरने के साथ ही वह अपने खेल को चोटी की ओर ले जाने का काम करेंगी।

हालांकि, इन सब के बीच विनेश किसी तरह की हड़बड़ी नहीं दिखाना चाहतीं। उनका कहना है, “मैं किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं करूंगी क्योंकि शुरुआत में खुद को सबकी नजर में लाना बेहतर स्ट्रेटजी नहीं होगी।”

विनेश बताती हैं कि वो विभिन्न पहलवानों के लिए अलग-अलग रणनीति पर काम कर रही हैं। क्योंकि कुछ पहलवान मजबूत होते हैं तो कुछ तकनीकी तौर पर स्मार्ट.. ऐसे में वह सबके मूवमेंट को समझकर और उसके आधार पर अपने खेल को मांजने में जुटी हैं। उनका कहना है, “मेरी कोशिश होगी कि सामने वाले पहलवान के दाव को देखते हुए अपने दाव-पेंच इस्तेमाल करूं।”

विनेश ने कहा कि उन्हें पता है कि लोगों को उनसे काफी उम्मीदें हैं लेकिन इससे वह किसी दबाव में नही हैं। लोगों की उम्मीदें उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। वह मुस्कुराते हुए कहती हैं, ‘मुझे उनके लिए पदक लाना ही होगा।’

टोक्यो ओलंपिक में पहलवानों के भारतीय दल और उनसे सामन्जस्य के मुद्दे पर फोगाट बताती हैं कि कुल छह पहलवानों का दल भारत के लिए पदक जीतने को आतुर है। इसमें बजरंग पुनिया, दीपक पुनिया, रवि दहिया, सोनम मलिक, अंशु मलिक और वो खुद (विनेश) शामिल हैं। उनका कहना है ‘इस बार सभी पहलवान हार के डर के साथ नहीं बल्कि जीतने के जज्बे से प्रतियोगिता में उतरेंगे। और जीत का जज्बा आपके आत्मविश्वास को और बढ़ा देता है।’

महिला साथी पहलवानों को लेकर विनेश बहुत खुश हैं। वह कहती हैं, “मैं खुश हूं कि सोनम और अंशु ने ओलंपिक के लिए मेरा साथ दिया। मैं अब अकेली महिला पहलवान नहीं हूं।”

विनेश कहती हैं कि उनके पास बहुत अच्छा मौका है क्योंकि वे सभी अभी युवा हैं और काफी अनुभव भी रखते हैं। जरूरत के समय हम सभी एक दूसरों को बैकअप करेंगे और पदक जीतकर देश का मान बढ़ाएंगे।

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *