अब ग्रामीणों की कोर कमेटियां बनेंगी ढाल कोरोना से राजस्थान के गांवों को बचाने के लिए
जयपुर, 16 मई (हि.स.)। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर राजस्थान में कहर बरपा रही है। सक्रिय संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 2 लाख पार हो चुका है। हर दिन 16 हजार से ज्यादा नए संक्रमित मिल रहे हैं। पहले चरण में संक्रमण से महफूज रहे गांव भी अब महामारी की चपेट में आने से अछूते नहीं हैं।
महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों की सूची में राजस्थान टॉप-5 प्रदेशों में शुमार है। रोजाना 150-160 कोरोना संक्रमितों की मौत हो रही है। यह आंकड़े सरकार को चिंतित कर रहे हैं। लोगों के मन में भी खौफ भर रहे हैं।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कुल संक्रमित मरीजों में से 40 फीसदी मरीज ग्रामीण इलाकों में मिल रहे हैं, जबकि कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों में से 40 फीसदी ग्रामीण इलाकों से संबंध रखते हैं। राजस्थान के गांवों में कोरोना संक्रमण के लगातार तेजी से बढ़ते आंकड़ों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि, ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं इतनी मजबूत नहीं है कि कोरोना की भयावह होती दूसरी लहर का मुकाबला कर पाएं। संक्रमण की चेन तोडऩे का सरकार का फार्मूला भी तब तक सफल नहीं हो पाएगा, जब तक ग्रामीण इलाकों में कोरोना को काबू नहीं किया जाता है। ऐसे में अब गांवों में रहने वाले लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए सरकार ने अलग रणनीति बनाई है।
इस रणनीति के तहत पुलिस की मदद से गांवों में मेरा गांव-मेरी जिम्मेदारी अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के माध्यम से गांवों में कोर समितियां बनाई जा रही हैं, जो ग्रामीणों को कोरोना संक्रमण से बचाने में ढाल की भूमिका निभाएंगी। जयपुर समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में पुलिस के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में कोर कमेटियों का गठन किया गया है। जयपुर जिले के ग्रामीण इलाकों में पुलिस के सहयोग से हर गांव में 10 लोगों की समितियां बनाई जा रही है। इनमें जनप्रतिनिधियों के साथ ही चिकित्साकर्मियों, आंगनबाड़ी स्टाफ, ग्राम सचिव और गांव के जिम्मेदार लोगों को शामिल किया जा रहा है। इन समितियों के माध्यम से कोरोना गाइडलाइन की पालना करवाने के साथ ही सफाई व्यवस्था सुचारू करवाने, गांव को सैनेटाइज करवाने, लोगों को जागरूक करने और शादी समारोह या अन्य आयोजनों को समझाइश कर निरस्त करवाने जैसे काम करवाए जा रहे हैं। कोरोना संक्रमित मरीज मिलने पर परिवार के उपचार की व्यवस्था करवाने, कोविड संबंधी जांच करवाने और ग्रामीणों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करने का काम भी इन समितियों के माध्यम से किया जा रहा है।
जयपुर ग्रामीण एएसपी रामकुमार कस्वां बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण की चेन तोडऩा बिना जनसहभागिता के संभव नहीं है। मुख्यालय पर बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए भी एक समय में सभी गांवों में पहुंचना संभव नहीं है। ऐसे में जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में करीब 300 ग्राम समितियों का गठन किया गया है। ये समितियां कोरोना गाइडलाइन की पालना करवाने से लेकर कोरोना संक्रमितों का उपचार करवाने तक की जिम्मेदारी बखूभी निभा रही हैं। मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जुड़वाने की जिम्मेदारी भी ग्राम कमेटियों को दी जा रही है।
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा मान चुके हैं कि कोरोना संक्रमण के पहले दौर में गांव स्तर पर बनी कमेटियों के कारण ही इस महामारी से गांवों को बचाना संभव हो पाया था। उस समय बाहर से आने वाले प्रवासियों को एकांतवास (क्वॉरेंटाइन) करने, अनावश्यक रूप से लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने देने, बिना कारण लोगों को गांव से बाहर नहीं जाने देने और घर-घर सर्वे कर संक्रमित मरीजों का पता लगाने में ग्राम स्तर पर बनी समितियों ने उल्लेखनीय काम किया था। इसी तर्ज पर इस बार भी ग्राम समितियों का गठन किया गया है। ग्राम समितियां आईएलआई के मरीजों को चिह्नित कर उनकी जांच करवाने, उन्हें उपचार मुहैया करवाने, गांव में अनावश्यक रूप से लोगों को घरों से बाहर निकलने से रोकने के लिए काम कर रही है।
चिकित्सा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 40 फीसदी आंकड़े ग्रामीण इलाकों के हैं, जबकि कोरोना संक्रमितों की मौत के भी 40 फीसदी मामले ग्रामीण इलाकों में ही सामने आ रहे हैं। ऐसे में यह फार्मूला सफल रहा तो ग्रामीण इलाकों में कोरोना को हराने में इन ग्राम कमेटियों की अहम भूमिका साबित होगी।