दुमका, 18 दिसम्बर (हि.स.)। झारखंड में पांचवें और अंतिम चरण का चुनावी रण अब संथाल की भूमि पर केन्द्रित हो गया है। संथाल परगना कई क्रांतिकारियों की जन्म और कर्मभूमि रही है तथा इतिहास के पन्नों में इस इलाके के वीर नायकों सिद्धू – कान्हू और चांद भैरव की अमर गाथाएं स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हैं। उप राजधानी दुमका इसी प्रमंडल में पड़ता है जहाँ आखिरी दौर के चुनाव में बीस दिसम्बर को मतदान होगा। दुमका ने झारखण्ड को तीन मुख्यमंत्री, दो उपमुख्यमंत्री और कई मंत्री दिये हैं।
दुमका झारखंड राज्य निर्माण के आंदोलन का केंद्र रहा है। झारखंड बनने के बाद भी इस इलाके का प्रदेश की राजनीति में खासा दखल रहा है। मौजूदा चुनाव में आगामी 20 दिसम्बर को वैसे तो कुल 16 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के दुमका के दंगल में एक बार फिर उतरने से इस सीट के महा मुकाबले पर सबकी नज़रें टिकी हैं। दुमका में जब हमने चुनावी मुकाबले को लेकर हेमंत सोरेन से बात की तो उन्होंने कहा, “झारखंड में 81 विधानसभा क्षेत्र हैं और अभी तक चार चरणों में 65 सीटों पर जनता का जनादेश ईवीएम में सील हो गया है। ऐसे में महागठबंधन के प्रत्याशी के प्रति जनता में उत्साह से स्पष्ट है कि राज्य की जनता कथित डबल इंजन वाली भाजपा के हाथी को छत्तीसगढ़ की जंगल में खदेड़ दिया है।” वो यहीं नहीं रुके साफ तौर पर कहा, “महागठबंधन के प्रत्याशी को जनता से मिल रहे समर्थन को देख भाजपा का कुनबा हतोत्साहित हो गया है और महागठबंधन के प्रत्याशी हेमंत सोरेन को पराजित करने के लिए भाजपा को अपने ब्रांड प्रचारक प्रधानमंत्री को बार-बार संथाल परगना और झारखंड आने को विवश होना पड़ा है।”
फ्लैश बैक की बात करें तो दुमका विधानसभा सीट पर 1980 से झारखंड मुक्ति मोर्चा का दबदबा रहा है। पहली बार 2005 में झामुमो को यहां तब हार का सामना करना पड़ा था, जब विधायक प्रो स्टीफन मरांडी बागी हो गये थे और बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे। दूसरी बार 2014 में भाजपा ने झामुमो को यहां शिकस्त दी थी और भाजपा की इस सीट पर वह पहली जीत थी, जिसे इस बार भी भाजपा दोहाराने के लिए पसीना बहा रही है। हमने दुमका से भाजपा प्रत्याशी एवं समाज कल्याण मंत्री डाक्टर लुईस मरांडी से भी बात की। उन्होंने कहा, “आसन्न विधानसभा चुनाव में संथाल परगना की जनता नया इतिहास रचेगी। जल, जंगल जमीन की रक्षा और आदिवासी मूलवासियों के वोट की राजनीति करने वालों को करारा जबाव मिलेगा और संथाल परगना की सभी 18 सीटों पर भाजपा प्रत्याशी को जनता से मिले अपार स्नेह और आशीर्वाद से जीत सुनिश्चित है।”
दुमका में इस बार कुल 13 उमीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। साल 2014 के चुनाव में हेमंत सोरेन को लुईस मरांडी ने 4914 मतों के अंतर से हराया था और इस बार दोनों नेता इस आंकड़े को बदलने में जुटे हैं।