उपराष्ट्रपति:एनसीडी देश में 65 प्रतिशत मौतों का कारण
नई दिल्ली, 07 मार्च (हि.स.)। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भारत में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए इस पर काबू पाने के लिए सभी हितधारकों से ठोस प्रयास करने का आह्वान किया है।
उपराष्ट्रपति ने इस वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश में लगभग 65 प्रतिशत मौतों का कारण एनसीडी है। उल्लेखनीय है कि मधुमेह, हृदय रोग, लकवा, कैंसर तथा चिरकालिक श्वसन रोग इस श्रेणी में आते हैं। इन रोगों का उपचार लंबे समय तक चलता है।
उपराष्ट्रपति रविवार को विज्ञान भवन में आयोजित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज (फरीदाबाद) के पहले स्नातक दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने ईएसआईसी को शहरी क्षेत्रों में विशेष एनसीडी क्लीनिक स्थापित करने पर विचार करने का सुझाव दिया।
भारत में स्वास्थ्य पर व्यक्ति की आर्थिक हैसियत से कहीं अधिक स्वास्थ्य खर्च को चिंताजनक बताते हुए नायडू ने सस्ती दरों पर सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने का आह्वान किया। समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति को यह देखकर बहुत खुशी हुई कि सभी पदक विजेता लड़कियां थीं।
उन्होंने उन्हें बधाई देते हुए हर क्षेत्र में महिलाओं को समान अवसर प्रदान करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ‘लचीलापन, अनुसंधान और पुनर्आविष्कार’ से भारत को इस महामारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में मशाल वाहक बनने में मदद मिली। उन्होंने महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का तकनीकी समाधान खोजने के लिए भारतीय शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों और सरलता की भी सराहना की ।
नायडू ने पीपीई किट, सर्जिकल दस्ताने, फेस मास्क, वेंटिलेटर और टीकों जैसी आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि के लिए भारतीय उद्योग की सराहना की। उपराष्ट्रपति ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में भूमिका के लिए ईएसआईसी द्वारा चलाए जा रहे चिकित्सा और पैरा मेडिकल संस्थानों की भी सराहना की ।
स्नातक समारोह को छात्र के जीवन का एक यादगार दिन बताते हुए नायडू ने उनसे सेवा के प्रति नए सिरे से प्रतिबद्धता के साथ अपने जीवन के अगले चरण में प्रवेश करने को कहा । उन्होंने छात्रों से कहा, मेरा हमेशा से मानना रहा है कि अगर आप निस्वार्थ समर्पण की भावना के साथ मानवता की सेवा करते हैं तो आप असीम संतुष्टि प्राप्त करेंगे । चिकित्सा पेशे को सबसे महान व्यवसायों में से एक बताते हुए उपराष्ट्रपति ने इसमें करुणा और नैतिकता और मूल्यों के पालन की आवश्यकता पर जोर दिया । उन्होंने कहा, ‘ इन मूल्यों से कभी समझौता न करें । छात्रों को याद दिलाते हुए कि वे एक ऐसी दुनिया में कदम रख रहे हैं जो चल रही महामारी के कारण अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में अधिक जटिल चुनौतियों का सामना कर रही है, वह चाहते थे कि वे कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में अग्रिम भूमिका निभाएं ।
भारत में चलाए जा रहे कोविड-19 के खिलाफ दुनिया में सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि महामारी का सबसे बुरा दौर खत्म होता दिखाई देता है । हालांकि, उन्होंने लोगों को आगाह किया कि वे सतर्क रहें और वायरस को निर्णायक रूप से हराने तक सभी जरूरी सावधानियां बरतते रहें ।
अपने संबोधन में नायडू ने कई अन्य स्वास्थ्य चुनौतियों का भी उल्लेख किया जिनका समाधान कम डॉक्टर-रोगी अनुपात, मेडिकल कॉलेजों की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में अपर्याप्त बुनियादी ढांचा और स्वास्थ्य बीमा को कम अपनाना आदि शामिल हैं।