नई दिल्ली, 01 अगस्त (हि.स.)। वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे को भारतीय नौसेना का अगला उप प्रमुख बनाया गया है। नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में आयोजित औपचारिक समारोह में उन्होंने यह पदभार वाइस एडमिरल जी. अशोक कुमार से ग्रहण किया। वे 39 वर्षों की शानदार सेवा के बाद शनिवार को सेवानिवृत्त हुए हैं। चार्ज संभालने के बाद घोरमडे ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए), खडकवासला, न्यूपोर्ट, रोड आइलैंड स्थित यूनाइटेड स्टेट्स नेवल वॉर कॉलेज और मुंबई के नेवल स्टाफ कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। उन्हें भारतीय नौसेना में 01 जनवरी, 1984 को कमीशन किया गया था और वह नौवहन और निर्देशन विशेषज्ञ हैं। फ्लैग ऑफिसर का भारतीय नौसेना के फ्रंटलाइन युद्धपोतों पर व्यापक परिचालन कार्यकाल रहा है। 37 वर्षों से अधिक के अपने करियर के दौरान उन्होंने असंख्य परिचालन और स्टॉफ नियुक्तियों के माध्यम से अपनी सेवा प्रदान की है।
उनकी महत्वपूर्ण परिचालन नियुक्तियों में गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस ब्रह्मपुत्र, सबमरीन रेस्क्यू वेसल आईएनएस निरीक्षक और माइनस्वीपर आईएनएस एलेप्पी के साथ-साथ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस गंगा में सेकेंड-इन-कमांड शामिल हैं। आईएनएस निरीक्षक को उनकी कमान के दौरान पहली बार यूनिट प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया था। तट पर उनकी महत्वपूर्ण स्टाफ नियुक्तियों में सहायक प्रमुख कार्मिक (मानव संसाधन विकास), प्रधान निदेशक कार्मिक, निदेशक नौसेना प्लान्स और नौसेना मुख्यालय में संयुक्त निदेशक नौसेना प्लान्स जैसे अलग-अलग कार्य के रूप में रही है।
वह विदेश मंत्रालय (निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामले) में निदेशक (सैन्य मामले) लोकल वर्कअप टीम (वेस्ट), नेविगेशन डायरेक्शन स्कूल एवं नेशनल डिफेंस एकेडमी में इंस्ट्रक्टर के पद पर भी रहे हैं। उन्हें कर्नाटक नौसेना क्षेत्र के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग और महाराष्ट्र नौसेना क्षेत्र के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग जैसे प्रतिष्ठित पदों पर भी नियुक्त किया जा चुका है। वाइस एडमिरल ने महानिदेशक नौसेना संचालन, चीफ ऑफ स्टाफ पूर्वी नौसेना कमान और नियंत्रक कार्मिक सेवाओं की चुनौतीपूर्ण और प्रतिष्ठित नियुक्तियों के रूप में कार्यभार संभाला है।
रक्षा मंत्रालय (नेवी) मुख्यालय में नौसेना स्टाफ के उप-प्रमुख के रूप में वर्तमान नियुक्ति को संभालने से पहले घोरमडे मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ में ट्राई-सर्विस नियुक्ति के उप प्रमुख (संचालन और प्रशिक्षण) के तौर पर कार्यरत थे। उनके कार्यकाल के दौरान नौसेना ने पूंजी अधिग्रहण को प्रोत्साहन देते हुए आवंटित बजट का 100 प्रतिशत उपयोग किया और इसके साथ बजट आवंटन में वृद्धि की साक्षी रही है। उन्होंने नौसेना के लिए आवंटित पूंजी में से 2/3 से अधिक का उपयोग स्वदेशी स्रोतों से खरीद के लिए करने के साथ ”आत्मनिर्भर भारत” मिशन को अपनाने के लिए सक्रिय रूप से जोर दिया है।
उनके शानदार कार्यकाल के दौरान डीआरडीओ और डीपीएसयू के साथ तकनीकी प्रगति, क्षमता वृद्धि और अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के कई अन्य मामलों को भी गति दी गई है।भारतीय नौसेना के लिए 41 जहाजों और पनडुब्बियों में से 39 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है।सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण परियोजना 75आई के लिए आरएफपी जारी करने के लिए सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया गया था।