देव दीपावली पर काशी में गंगा किनारे दिखा देवलोक सरीखा नजारा

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समानान्तर ज्योर्तिगंगा का हुआ एहसास, देशी-विदेशी पर्यटक भी बने आध्यात्मिक छटा के साक्षी हजारों लोगों ने गंगा में नाव और बजड़े पर बैठ कर इस अद्भुत नजारे को देखा गंगधार में आतिशबाजी के बीच लाखों-दीपों की लड़ियां एक साथ जलीं



वाराणसी, 12 नवम्बर (हि.स.)। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में देव दीपावली पर्व पर मंगलवार की शाम उत्तरवाहिनी गंगा तट पर देवलोक सरीखा नजारा रहा। आदिकेशव घाट से लेकर सामने घाट के बीच लगभग आठ किमी की दूरी में गंगा के पथरीले 84 घाटों पर जब आतिशबाजी के बीच लाखों दीप जले तो ऐसा लगा कि  जमीं पर सितारे उतर आये हों। इस अद्भभुत और आध्यात्मिक छटा के साक्षी यहां आये हुए देशी-विदेशी पर्यटक भी बने।
गंगा के पथरीले अर्धचन्द्राकार अस्सी से राजघाट तक फैले घाटों, भवनों के आर्कषक विद्युत झालरों से सजावट के बाद लाखों लाख हाथों ने शाम ढलते ही गंगा तट पर दिये जलाये तो यह अद्भुत नजारा देख लोगों को महसुस हुआ जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। गंगा के किनारे समानान्तर ज्योर्तिगंगा कल-कल करती बह रही हैं। पर्व पर प्राचीन दशाश्वमेध, राजेन्द्र प्रसाद घाट, पंचगंगा, राजघाट, खिड़कियाघाट और अस्सी घाट पर सर्वाधिक भीड़ देखी गयी। दशाश्वमेध घाट पर इण्डिया गेट की आकर्षक अनुकृति बनाकर अमर जवान ज्योति जलाई गई। 39 जीटीसी वाराणसी, एयरफोर्स सेलेक्शन बोर्ड वाराणसी की ओर से शहीदों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
उधर, प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति की अगुवाई में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां गंगा की अष्टधातु की 108 किलो की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार देशी विदेशी फूलों से किया गया। शाम को मां गंगा का 51 लीटर दूध से दुग्धाभिषेक करके 21 ब्राम्हणों ने गंगा की महाआरती की। इस दौरान 42 कन्याएं रिद्धि-सिद्धि के रूप में मां गंगा को चंवर डुलाती रही। यहां पुलिस के जांबाज शहीदों की याद में माह पर्यन्त जल रही आकाशदीप का समापन दीपदान के साथ किया गया। इस दौरान घाट पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में युवा गायक अमलेश शुक्ला और अर्चना म्हस्कर ने अपने सुर से गंगा के दरबार में हाजिरी लगाई।
इसके पूर्व दुनिया के सबसे बड़े जलपर्व के खास लम्हों का साक्षी बनने के लिए अपरान्ह बाद से ही राजनेता, विदेशी मेहमानों, प्रशासनिक अफसरों के अलावा लाखों नागरिकों का रेला गंगा घाटों पर उमड़ने लगा। दशाश्वमेध घाट पर सतरंगी विद्युत लड़ियां, आतिशबाजी, फूलों के वन्दनवार से सजे गेट, रेड कारपेट पर गंगा आरती देख श्रद्धालु अभिभूत नजर आये। पर्व पर गंगा के दोनों किनारों पर लगभग दस लाख से अधिक दीये जलने पर महसूस हो रहा था कि जैसे गंगा तट पर सितारे टांक दिये गये हो, गंगा के गले में ज्योर्तिमालाओं की लड़ियां देख कार्तिक पूर्णिमा का चांद भी भूतभावन की प्रेयसी गंगा का स्वरूप देख शर्मा गयी। पंचनद तीर्थ पंचगंगा घाट का हजारा दीप स्तंभ भी लोगों में आकर्षण का केन्द्र बना रहा। धर्म-अध्यात्म और राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत इस पर्व पर काशी के प्रमुख घाटों पर तिल रखने की भी जगह नहीं थी। लोग दोपहर बाद से ही घाटों पर बैठकर घंटों इस ऐतिहासिक क्षण की प्रतीक्षा करते रहे। हजारों लोगों ने गंगा में नाव और बजड़े पर बैठ कर इस अद्भुत नजारे को देखा।
राजघाट पर लेजर लाइट का आकर्षण
देव दीपावली पर्व पर राजघाट पर लेजर लाइट का आकर्षण लोगों में छाया रहा। उत्‍सव के दौरान गंगा की लहरों और किनारों पर दीये जलने के बाद 20-20 मिनट के चार लेजर-शो का प्रदर्शन हुआ। इसमें बाबा विश्‍वनाथ के साथ शिव की जटाओं से गंगा निकलने का दृश्य भी दिखाया गया। घाट पर पर्यटन विभाग की ओर से चार सेल्‍फी पॉइंट और सोशल मीडिया सेंटर भी बनाया गया।  खास बात यह रही कि इस बार मुख्य आयोजन दशाश्मेधघाट की जगह राजघाट पर हुआ। यहां प्रदेश की राज्‍यपाल आनंदी बेन पटेल भी मौजूद रही। तुलसीघाट पर कश्मीर के लाल चौक की रिप्लिका पर लहराते तिरंगे के बीच डल झील व शिकारे की अनुकृति आकर्षण का केन्द्र रही। पर्व पर ही सांस्‍कृतिक केंद्र की ओर से संत रविदास, राजा घाट, रामघाट, रीवां घाट सहित कुल 15 घाटों पर सांस्‍कृतिक कार्यक्रम आयोजित रहा।
पुष्कर तालाब का देव दीपावली बालक प्रथमेश को रही समर्पित
अस्सी स्थित पुष्कर तालाब पर आयोजित देव दीपावली 11 वर्षीय बालक प्रथमेश को समर्पित रही। मुख्य अतिथि स्वामी नारायणनंद तीर्थ वेद विद्यालय के सचिव एवं काशी धर्म पीठाधीश्वर शंकराचार्य नारायणनंद तीर्थ के शिष्य स्वामी लखन स्वरूप ब्रह्मचारी, रामशरण दास महाराज ने पहले बालक प्रथमेश के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप दान कर दीपदान की शुरुआत की। इसके बाद  स्वामी नारायणनंद तीर्थ वेद विद्यालय एवं ब्रह्मा वेद विद्यालय के सैकड़ों बटुको ने प्रथमेश की स्मृति में दीप दान कर देव दीपावली महोत्सव  में भागीदारी की।

 


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