भूत प्रेत पिशाच बने बाराती,महाशिवरात्रि पर निकली शिव बारात

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वाराणसी,11 मार्च (हि.स.)। महाशिवरात्रि पर्व पर गुरूवार को आस्था से लबरेज ​अद्भुत और अड़भंगी शिवबारात में शामिल होने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। अपने आराध्य बाबा विश्वनाथ और आदिशक्ति के विवाहोत्सव की घड़ी का साक्षी बनने का भाव समेटे लोग शिवभक्ति में लीन दिखे। बाबा के अनुराग और आस्था के सामने अमीर गरीब की सारी दिवार ढ़ह गयी। चहुंओर रहा तो हर-हर महादेव, काशी विश्वनाथ शम्भो का कालजयी उद्घोष।
परम्परानुसार पर्व पर अपराह्न में नगर के कई क्षेत्रों से धूमधाम से बाबा की बारात निकाली गयी। अलग-अलग शिवमंदिरों से विभिन्‍न थीम पर आधारित झांकियों के साथ विविध स्वांग रचाये युवा, हाथी,घोड़ें, ऊंट, लाग, विमान,मुखौटा पहन तलवार बाजी,बैंडबाजा आर्कषण का केन्द्र रहा। बारात तिल भांडेश्वर मंदिर, धूपचण्डी और अन्य क्षेत्रो से भी बारात निकली। तिलभांडेश्वर से निकली बारात में जिस तरह दूल्हा जब बारात लेकर निकलता है, तो घर की महिलाएं दूल्हे का परछन करती हैं, ठीक उसी तरह क्षेत्रीय महिलाओं ने बाबा के प्रतीक का परछन किया।
 बारात मंदिर से निकल कर सोनारपुरा, हरिश्चंद्र घाट, केदार घाट पहुंच कर समाप्त हुयी। इस दौरान सड़क के किनारे दोनों तरफ बच्चों, महिलाओं, युवाओं की भारी भीड़ बारात देखने के लिए जुटी रही। प्रतीत हो रहा था कि काशी में महादेव की इस अलौकिक बारात के दृश्य का गवाह बनने के लिए मानो स्वर्ग के सभी देवता धरती पर उतर आए हों और स्वयं बाबा की बारात की अगुवाई कर रहे हों।
 शहर के विभिन्न क्षेत्रों से होकर गुज़र रही बारात का काशी के हर धर्म व जाति के लोगों ने पुष्प अर्पित कर स्वागत किया। बारात में शामिल शिवभक्‍तों से काशी की गली और घाट से लेकर बाबा दरबार तक पटा रहा। विभिन्‍न मठों और मंदिरों से निकलने वाली शिव बारातों में संत और दंडी स्वामियों ने भी पूरे उत्साह के साथ भागीदारी की। खास बात यह है कि भगवान शिव के विवाह के बाद ही काशी पूरी तरह होलियाने माहौल में आती है।

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