संगरोध पर भेजे गए डॉक्टरों को ड्यूटी पर माना जाएगा: केंद्र
नई दिल्ली, 10 अगस्त (हि.स.)। केंद्र सरकार ने कहा है कि डॉक्टरों को संगरोध में भेजने की अवधि को काम की अवधि में गिनती की जाएगी। सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा है कि दिल्ली, पंजाब, त्रिपुरा, कर्नाटक और महाराष्ट्र की राज्य सरकारें डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को समय पर वेतन नहीं दे रही हैं। मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के नोटिफिकेशन में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को समय पर वेतन नहीं देने पर दंड का प्रावधान है, इसके बावजूद ये राज्य सरकारें समय पर वेतन नहीं दे रही हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक हलफनामा दायर कर कहा है कि केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से मशविरा करने के बाद यह फैसला किया गया कि डॉक्टरों को संगरोध में भेजने की अवधि को काम की अवधि में गिनती की जाएगी।
दरअसल पिछली 31 जुलाई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश दिया था कि क्वारंटाइन अवधि में जाने पर डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को छुट्टी में गिने जाने पर जरूरी स्पष्टीकरण जारी करें। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि सभी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को वेतन दिया जाना सुनिश्चित करें।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कोर्ट के निर्देश के बावजूद दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, त्रिपुरा और कर्नाटक में कोरोना मरीजों के इलाज में जुड़े डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को नियमित तौर पर वेतन नहीं मिल रहा है। तब कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि डॉक्टरों को 10 अगस्त तक वेतन दिया जाना सुनिश्चत करने का निर्देश दिया।सुनवाई के दौरान डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की ओर से कहा गया था कि ड्यूटी देने के बाद जितने दिन उन लोगों को क्वारंटाइन रहना पड़ा, उन दिनों का वेतन काट लिया गया। तुषार मेहता ने कहा था कि ऐसा नहीं होना चाहिए। उसके बाद कोर्ट ने मेहता से कहा था कि इस बारे में जरूरी स्पष्टीकरण जारी करें, ताकि क्वारंटाइन के दौरान का वेतन नहीं काटा जाए।
कोर्ट ने पिछली 17 जून को केंद्र को निर्देश दिया था कि वे राज्यों को डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के वेतन का भुगतान सुनश्चित करने का निर्देश जारी करें। कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि कोरोना के इलाज में लगे लोगों के उचित क्वारंटीन पर भी निर्देश जारी करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो राज्य पालन न करें, उसके मुख्य सचिव और संबंधित अधिकारियों पर डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए।
कोरोना से लड़ रहे डॉक्टरों व चिकित्साकर्मियों को बेहतर सुविधाएं देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या हाई कोर्ट इस मामले की निगरानी नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार ने सर्कुलर जारी किया है कि डॉक्टरों का वेतन नहीं काटा जाएगा, चीफ सेकेट्री यह सुनिश्चित करेंगे वरना कड़ी सजा मिलेगी।