रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े कोलायत जमीन घोटाला मामले की अब 12 सितम्बर को होगी सुनवाई

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वर्ष 2007 में रॉबर्ट वाड्रा ने स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्रा.लि. के नाम से एक कंपनी की शुरुआत की। रॉबर्ट व उनकी मां मौरिन इस कंपनी के डायरेक्टर बनाए गए। बाद में कंपनी का नाम बदल कर स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी लिमिटेड लायबिलिटी कर दिया गया।



जोधपुर, 22 अगस्त (हि.स.) । राजस्थान के बीकानेर जिले के कोलायत में रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े जमीन घोटाले में गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। वाड्रा के अधिवक्ता ने बहस के लिए समय देने की मांग की। ईडी के अधिवक्ता ने इसका कड़ा विरोध किया, लेकिन हाईकोर्ट ने वाड्रा के अधिवक्ता को समय देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 12 सितंबर तय कर दी। मामले में वाड्रा व उनके पार्टनरों की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट की रोक जारी रहेगी।
जस्टिस जीआर मूलचंदानी की बेंच के समक्ष इस मामले में गुरुवार को अंतिम बहस होनी थी, लेकिन सुनवाई शुरू होते ही वाड्रा के अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें अंतिम बहस के लिए कुछ समय और चाहिए। वहीं ईडी की ओर से पैरवी करते हुए एएसजी राजदीप रस्तोगी ने इसका प्रतिवाद करते हुए कहा कि बार-बार समय देना उचित नहीं रहेगा। ऐसे में आज ही अंतिम बहस कर ली जाए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस मूलचंदानी ने मामले की अगली सुनवाई 12 सितम्बर तय कर दी। हालांकि इस मामले में रॉबर्ट वाड्रा की गिरफ्तारी पर कोर्ट की तरफ से लगाई गई अंतरिम रोक अगली सुनवाई तिथि तक जारी रहेगी।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में रॉबर्ट वाड्रा ने स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्रा.लि. के नाम से एक कंपनी की शुरुआत की। रॉबर्ट व उनकी मां मौरिन इस कंपनी के डायरेक्टर बनाए गए। बाद में कंपनी का नाम बदल कर स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी लिमिटेड लायबिलिटी कर दिया गया। रजिस्ट्रेशन के वक्त बताया गया था कि ये कंपनी रेस्टोरेंट, बार और कैंटीन चलाने के काम करेगी। कंपनी ने वर्ष 2012 में कोलायत क्षेत्र में 270 बीघा जमीन 79 लाख रुपये में खरीदी। बीकानेर में भारतीय सेना की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के लिए जमीन अधिग्रहित की गयी थी। इसके विस्थापितों के लिए अन्यत्र 1400 बीघा आवंटित की गई थी, लेकिन कुछ लोगों ने इस जमीन के फर्जी कागजात तैयार करवा वाड्रा की कंपनी को बेच दिया। हालांकि यह जमीन सेना की थी इसलिए इसे बेचा नहीं जा सकता था। इन लोगों के माध्यम से ही वाड्रा ने क्षेत्र के कुछ गांवों में और जमीन खरीदने का प्रयास किया, लेकिन मामला आगे बढ़ नहीं पाया। फर्जी तरीके से जमीन बेचने का मामला उजागर होने से पहले वाड्रा की कंपनी ने पांच करोड़ रुपये में अपनी जमीन बेच दी। ईडी ने इस मामले में कुछ स्थानीय अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी। उनकी मिलीभगत से कुछ लोगों ने जमीन के फर्जी कागजात तैयार कराए। मनी लांड्रिंग से जुड़े इस मामले की ईडी ने जांच शुरू की थी। ईडी की पूछताछ से बचने के लिए वाड्रा लम्बे अरसे से प्रयास करते रहे। कई बार समन जारी करने के बावजूद वे ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए। आखिरकार ईडी के सख्ती दर्शाने पर वाड्रा ने राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर स्थित मुख्य पीठ में अपील दायर कर पूछताछ पर ही सवालिया निशान लगाया, लेकिन हाईकोर्ट ने वाड्रा को आदेश दिया कि वे 12 फरवरी को अपनी मां मौरिन के साथ ईडी के समक्ष पेश हो उसके सवालों का जवाब दें।


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