लॉस एंजेल्स 06 अप्रैल (हिस): कोविड-19 वैक्सीन के नैतिक मूल्यों को ले कर राजनीतिज्ञों और वैज्ञानिकों में बहस जारी है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भरोसा जताया है कि वह मानव जाति की सुरक्षा से कोई खिलवाड़ नहीं होने देंगे जब तक वैक्सीन कसौटी पर खरी नहीं उतर जाती। मोडरेना ने 29 वर्षीय इयान हेडन पर सिएटल में जो पहला मनुष्य परीक्षण किया था, उसके परिणाम संतोषजनक आए हैं।हेडन को अगले सप्ताह वैक्सीन का दूसरा डोज़ दिया जा रहा है। इस बायोटेक कंपनी मोडरेना का ‘वैक्सीन’ के परिणाम असरदार रही है। पिछले सप्ताह इयान हेडन का जब रक्त लिया गया था, तब नर्स यह जान कर गदगद थी कि परिणाम अद्भुत है। इस रक्त के नमूने को बेठेसडा, मैरीलैंड स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ में परख की जाएगी। इस रक्त के नमूने में पहली दृष्टि में जो इम्यून दिखाई पड़े हैं, उसे अद्भुत बताया जा रहा है। यह प्रारंभिक संकेत है, जो कोरोना संक्रमण के लिए संजीवनी हो सकता है।
मोडरेना मनुष्य पर दूसरा बड़ा परीक्षण इस वसंत में करेगी। इसके लिए 500-600 वालंटियर पर परीक्षण होंगे।कंपनी के सी ई ओ सेंट फ़ेन बनसेल ने दावा किया है कि दूसरे बड़े परीक्षण के लिए एक महीने पहले तैयारी शुरू कर दी गई थी। कहते हैं, अब इंतज़ार नहीं किया जा सकता।
एक बड़ी संख्या में जानवरों पर परीक्षण के बाद ही पहले चरण में थोड़े से मनुष्यों पर परीक्षण किया जाता है। एक बार परिणाम सार्थक होते हैं, तभी ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को उपयुक्त मात्रा में डोज़ दी जाती है।ऐसे में मनुष्यों की सुरक्षा ज़्यादा अहम होती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए दूसरा परीक्षण किया जा रहा है। इसके बाद ही तीसरा चरण शुरू होगा। वस्तुत: तीसरे चरण में हज़ारों लोगों को वैक्सीन दी जाती है और वर्षों तक उसके प्रभावों को देख कर इंतज़ार किया जाता है। विगत में जो भी वैक्सीन विकसित की गई हैं, उसे बाज़ार में आने से पहले सालों साल लगे हैं। इस बीच कठिनाई यह भी आ रही है कि ग्राहम वैक्सीन रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिक कोरोना संक्रमित हो रहे हैं और यही स्थिति अन्य लेबोरेटरी की भी है।
मोडरेना की उत्सुकता इस बात को ले कर है कि वह पहले ही सरकार से कंट्रकट पर हस्ताक्षर ले ले ताकि तत्काल वैक्सीन का निर्माण कराया जा सके और भंडार भर कर रख लें। वह पहले दिन से दस करोड़ डोज़ तैयार रखना चाहते हैं। इसके विपरीत नियामक मंडल का कथन है कि अत्यधिक संकटपूर्ण स्थिति के बावजूद वे कोई ढील नहीं देना चाहेंगे। वैज्ञानिक पीटर मार्कस ने कहा है, ”उनका उद्देश्य वैक्सीन निर्माण से पूर्व उसके सभी पक्षों की जाँच परख करना है।” महामारीविद डाक्टर एंथनी फोचि और बिल गेट्स ने आगाह किया है कि वैक्सीन में 12 से 18 महीने लगना तय है। इसमें जल्दबाज़ी उचित नहीं है।
हेड़न कहते हैं, ”मैंने कभी शोध कार्य में भागीदार नहीं बना हूँ, में मदद करना चाहता हूँ। मुझे भरोसा है, लक्ष्य तक पहुँच जाएँगे। इसके लिए हज़ारों वालंटिर चाहिए, आ भी रहे हैं। वैज्ञानिकों को भरोसा है, अपेक्षित परीक्षण कर लिए जाएँगे। इन्हें मालूम है कि इस नई वैक्सीन के कितने ख़तरे हो सकते हैं।
यूनिवर्सेटी आफ मैरीलैंड स्कूल आफ मेडिसिन में विल्बुर चेन ने भरोसा जताया है कि वे वालंटिर के भरोसे जंग जीत लेंगे। इसके लिए परीक्षण ही नहीं स्वस्थ मनुष्य को कोरोना संक्रमण दिया जाना है।