नई दिल्ली, 25 नवम्बर (हि.स.)। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में संकाय के 865 और डीयू से संबद्ध कॉलेजों में 5043 पद रिक्त पड़े हैं। हालांकि विश्वविद्यालय का कहना है कि उसने 857 रिक्तियों को भरने के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है। इसके अलावा 26 कॉलेजों के लिए भी विज्ञापन प्रकाशित किया जा चुका है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। आंध्र प्रदेश से वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलू रेड्डी ने दिल्ली विश्वविद्यालय में रिक्त पदों के संबंध में सवाल पूछा था।
निशंक ने लिखित उत्तर में बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 31 अक्टूबर,2019 को विश्वविद्यालय में प्रोफेसर-167, एसोसिएट प्रोफेसर-431, सहायक प्रोफेसर-267 सहित कुल 865 रिक्तियां हैं। वहीं डीयू के संबद्ध कॉलेजों में उक्त तिथि के अनुसार रिक्त पड़े स्थायी संकाय पद यूजीसी द्वारा अनुमोदित दूसरी ट्रांच सहित 5043 (लगभग) है।
एक अन्य सवाल के जवाब में निशंक ने बताया कि विश्वविद्यालय में 89 और विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में लगभग 1075 अतिथि व्याख्याता (गेस्ट लेक्चरर) नियुक्त हैं। वहीं विश्वविद्यालय के लिए अवकाश-रिक्त सहित तदर्थ सहायक प्रोफेसरों की कुल संख्या 69 और विश्वविद्यालय के संबद्ध कॉलेजों के लिए 4175 हैं।
निशंक ने बताया कि विश्वविद्यालय ने रिक्तियों को भरना पहले से ही शुरू कर दिया है और हाल ही में प्रोफेसर के 166 पदों, एसोसिएट प्रोफेसरों के 428 पदों और सहायक प्रोफेसरों के 263 पदों के लिए विज्ञापन दिया है। जहां तक कॉलेजों का संबंध है विश्वविद्यालय द्वारा स्थायी पदों को भरने की प्रक्रिया की जा रही है, जिसके अनुसरण में 26 कॉलेजों के लिए शिक्षण पदों के लिए विज्ञापन पहले ही प्रकाशित किया जा चुका है। कॉलेजों में नियुक्तियां शासी निकायों द्वारा कॉलेजों की निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप की जाती है।
सेवानिवृत्ति, त्यागपत्र, प्रतिनियुक्ति, मृत्यु, विस्तार और नए संस्थानों के खोले जाने के कारण रिक्तियां होती हैं। रिक्तियों को भरा जाना एक निरंतर और सतत प्रक्रिया है। संसद के अधिनियम के तहत सृजित स्वायत्त निकाय होने के कारण पदों को भरे जाने का उत्तरदायित्व विश्वविद्यालय पर होता है। यूजीसी के नियमों के अनुसार विश्वविद्यालय प्रणाली में स्वीकृत अथवा अनुमोदित सभी पद तत्काल आधार पर भरे जाएंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और मंत्रालय इस प्रक्रिया की निरंतर निगरानी कर रहे हैं।