उत्तरकाशी 11 सितम्बर (हि.स.)। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर ऑल वेदर रोड के निर्माण से धरासू में भूस्खलन का मलबा गंगा नदी में न गिरे, इसके लिए, डेंजर जोन के उपचार की कवायद तेज हो गई है। इसकी रोकथाम व भूस्खलन क्षेत्र में तेज ढलानदार वर्टिकल पहाड़ी पर अमेरिकी टेक्नोलॉजी द्वारा अमेरिका से ही लाई गई वनस्पति के बीजों का सफल रोपण करना और उसे सफलता से उगाने का कार्य इन दोनों तेज़ी से चल रहा है।
यह जानकारी देते हुए गंगा विचार मंच, एनएमसीजी जलशक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के प्रदेश संयोजक लोकेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया कि उत्तराखंड और देश में इस तरह का यह पहला प्रयोग उत्तरकाशी में चल रहा है, जहां अमेरिकी तकनीक द्वारा उगायी जा रही वनस्पति से मार्ग का मलबा गंगा नदी में जाने से रुकेगा। उन्होंने कहा कि गंगा भागीरथी के वैली साइड ट्रीटमेंट के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के उत्तराखंड में चल रहे ड्रीम प्रोजेक्ट ऑल वेदर रोड व गंगा स्वच्छता के कार्यक्रमों के सफल परिणामों से देश व उत्तराखंड में एक बार ये फिर साबित हो चुका है कि यदि देश मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं और उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं तो सब कुछ मुमकिन है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड मे ऑल वेदर रोड यानी चारधाम यात्रामार्गों का सुव्यवस्थित उच्च तकनीक के साथ निर्माण का कार्य अपने समापन की ओर है। देश और दुनिया के श्रद्धालु व पर्यटक चारधाम में वर्षभर बेरोकटोक निर्बाध आ-जा सकें, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड को चारधाम ऑल वेदर रोड का तोहफा दिया है। साथ ही गंगा मां की स्वच्छता, निर्मलता, अविरलता बनी रहे, इसके लिए केंद्र में अलग से नमामि गंगे जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया गया है। गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक गंगा स्वच्छता के कार्यक्रमों, एसटीपी , स्नान सौंदर्यीकरण घाट निर्माण व दूसरे स्वच्छता, पौधरोपण व सजगता जागरूकता कार्यक्रम चल रहे हैं। बिष्ट ने बताया कि उत्तरकाशी के धरासू में गंगा नदी में अवसाद यानी भूस्खलन का मलबा न गिरे व भूस्खलित क्षेत्र के उपचार पर नेशनल हाइड कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधीन स्टोनफिल कंस्ट्रक्शन कंपनी हिल साइड प्रोटेक्शन/वैली साइड प्रोटेक्शन कार्यों को अंजाम दे रही है।
इस मौके पर इस अनूठे और चुनौतीपूर्ण कार्यों को अंजाम देने वाले साइट इंजीनियर उस्मान अली ने कहा कि तकनीक में यानी इस अमेरिकी तकनीक में ऐंकरिंग, सीमेंट, केमिकल, क्वायर मैट, डी टी मेस जाल, एचपी वारी, आयरन प्लेट, नट बोल्ट का प्रयोग कर तेज़ ढलानदार पहाड़ियों पर वनस्पति उगाने के कार्य को सफलता से अंजाम दिया जा रहा है। ये हाईड्रोसीडिंग तकनीक से अमेरिका से ही लायी गयी वनस्पति के बीजों का रोपण कर इस वनस्पति को सफलता से उगा भी लिया है।