उत्तराखंड के लिए मुसीबत बने निजामुद्दीन मरकज से लौटे जमाती

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कोरोना से बचाव के लिए सरकार की तैयारियों पर जमातियों ने एक झटके में पानी फेरा   उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में चोरी-छिपे घुसने से पुलिस और प्रशासन की नींद उड़ी चार दिनों में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 7 से बढ़कर 27 हुई 



देहरादून, 06 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज और विभिन्न राज्यों से लौटे जमातियों ने इन दिनों उत्तराखंड सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है। कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम और बचाव के लिए सरकार की तैयारियों पर जमातियों ने एक झटके में पानी फेर दिया। इस बात की चुगली पिछले 4 दिनों में कोरोना संक्रमित मरीजों की बेहिसाब बढ़ती संख्या करती है। 15 मार्च से 1 अप्रैल के बीच कुल 18 दिनों में सूबे में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या सिर्फ 7 थी, जो सिर्फ 4 दिनों में बढ़कर एकाएक 27 हो गई है। यह ताजा स्थिति राज्य सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती के रूप में उभरी है।
इतना ही नहीं, इन जमातियों के व्यवहार से इनकी जान बचाने के प्रयास में जुटा मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ भी परेशान है। जमातियों में तेजी से बढ़ता कोरोना संक्रमण राज्य के दूसरे बाशिंदों के लिए भी बड़ा खतरा बन चुका है।अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद भी इनका रवैया अत्यंत खराब है। सूबे में अलग-अलग स्थानों से मेडिकल स्टाफ के साथ इनके द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने के मामले सामने आ रहे हैं। दून अस्पताल में ही 2 दिन पहले जिस तरह से बेवजह इन लोगों ने बात का बतंगड़ बनाते हुए हंगामा किया, उस पर स्वास्थ्य विभाग के लोगों को पुलिस में शिकायत करनी पड़ी। पूछताछ करने पर यहां भर्ती कोई जमाती पानी का बहाना बना रहा है तो कोई खाने में नुख्स निकाल रहा है। मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ के कुछ कहने पर यहां भर्ती ये जमाती मरीज उनसे भी उलझ रहे हैं। क्वॉरंटाइन सेंटर में भी कमोवेश इसी तरह के हालात हैं।
देहरादून के शुद्ध वाला स्थित क्वॉरंटाइन सेंटर में तैनात स्टाफ की शिकायत है कि यहां भी ये लोग जगह-जगह थूकने के साथ ही स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं। हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 4 दिन पहले ही इस तरह की शिकायतें संज्ञान में आने पर चेतावनी दे चुके हैं कि कोरोना के मामले में असहयोग करने वालों के खिलाफ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। अगर किसी ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो उससे 4 गुना गुना कीमत वसूली जाएगी। इसके बावजूद जमाती अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।
उधर, जमाती जिस तरह से चोरी-छिपे उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में घुस रहे हैं, उससे पुलिस और प्रशासन की नींद उड़ी हुई है। आलम यह है कि इन महकमों की अधिकतर ताकत दूसरे राज्यों से उत्तराखंड में दाखिल हो रहे इन जमातियों को तलाशने में जाया हो रही है, क्योंकि ये खुद अपने आप को प्रशासन के सामने पेश करने से बच रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें विभिन्न शहरों, ब्लाकों, कस्बों और गांवों में इसी काम में लगी हुई हैं। इसके बावजूद मुसीबत खत्म नहीं हो रही है। पिछले 4 दिनों में उत्तराखंड की सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रहे कई जमाती पकड़े भी गए हैं।
पिछले बुधवार को उधम सिंह नगर के रुद्रपुर में रेलवे लाइन के सहारे दाखिल होकर हल्द्वानी की तरफ जा रहे 13 जमातियों को पुलिस ने पकड़ा था। वह रामपुर और मुरादाबाद से जमात में शामिल होकर चोरी-छुपे लौट रहे थे। बाद में इनमें से तीन लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे। उसके बाद इन्हें पकड़ने वाले और इनकी स्वास्थ्य जांच करने वाले 6 पुलिसकर्मियों समेत कुल 20 कार्मिकों को भी क्वॉरंटाइन सेंटर भेजना पड़ा। शनिवार को भी चोरी छुपे देहरादून में दाखिल हो रहे हो रहे 7 जमातियों को पुलिस ने पकड़ा था। ऐसी घटनाएं राज्य में लगातार बढ़ती जा रही हैं, जिससे औरों के लिए निरंतर खतरा बढ़ रहा है।
इनके इस असहयोग पूर्ण रवैये के कारण राज्य मुख्यालय पर भी बड़ी संख्या में लोगों पर जान का खतरा मंडरा रहा है। यहां की भगत सिंह कॉलोनी और कारगी ग्रांट का कुछ इलाका इन दिनों लॉकडाउन में है। हरिद्वार के रुड़की के पनियाला गांव में जमात से लौटे एक युवक में कोरोना संक्रमण पॉजिटिव पाए जाने के बाद पूरे गांव को क्वारंटाइन कर दिया गया है। रुद्रपुर के जयनगर गुर्जर में जमातियों के पकड़े जाने के बाद पूरे गांव को सील कर दिया गया है। जमातियों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद देहरादून के लखीबाग और डोईवाला क्षेत्र में भी कमोबेश यही स्थिति बनी हुई है। इन हालात में राज्य के पुलिस प्रमुख अनिल रतूड़ी ने रविवार को कड़ा कदम उठाते हुए एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने जमातियों को आज तक की मोहलत दी है।
पुलिस महानिदेशक ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर आज शाम तक जमाती अपने आपको मेडिकल परीक्षण के लिए प्रशासन के समक्ष पेश नहीं होते हैं तो कल से उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अगर उनके संक्रमण की वजह से किसी और में संक्रमण फैलता है तो उनके खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया जाएगा। अगर उनके माध्यम से फैले संक्रमण की वजह से किसी की मौत हो जाती है तो उनके खिलाफ हत्या की धाराओं में मुकदमा चलाया जाएगा। शासन को उम्मीद है कि शायद इससे जमाती अपने आप को चिकित्सा के लिए प्रस्तुत करेंगे लेकिन यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि वह शासन के इस आदेश को कितनी गंभीरता से लेते हैं।

 


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