टनकपुर (चम्पावत), 05 जुलाई (हि.स.)। कालापानी विवाद को लेकर भारत से चल रही नेपाल की तनातनी और वहां के सत्ताधारी दल के भीतर जारी अंदरूनी उठापटक के बीच नेपाल में गणतंत्र के खिलाफ आवाज उठने लगी है। गणतंत्र के खिलाफ बोलने वाले लोग नेपाल में राजशाही के पक्ष में आवाज उठा रहे हैं। शनिवार को राष्ट्रवादी युवा, हिंदू संगठन और साधु-संतों ने ‘राजा लाओ-देश बचाओ’ के नारे लगाते हुए नेपाल के कंचनपुर जिले के मुख्यालय महेंद्रनगर में प्रदर्शन किया। हालांकि प्रदर्शनकारियों ने कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल की ही भूमि बताया है।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। एक ओर वह अपनी ही पार्टी के लोगों के निशाने पर हैं और दूसरी ओर अब नेपाल में साधु-संत भी उनके खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। भारत के साथ संबंधों को लगातार बिगाड़ने की कोशिश में लगी ओली सरकार से नाराज विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भारत का विरोध करे पर नेपाली नागरिकों में ओली सरकार के प्रति असंतोष और बढ़ गया है। इस बीच नेपाल में फिर से राजशाही बहाल किए जाने की मांग उठने लगी है, जो आने वाले समय में नेपाल में गणतंत्र के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। नेपाली मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक शनिवार को राष्ट्रीय सरोकार मंच के बैनर तले कम्युनिस्ट विरोधी और हिंदूवादी संगठनों के लोग देश में गणतंत्र का विरोध करते हुए राजशाही बहाल किए जाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए।
हिंदूवादी नेता धनी चंद के नेतृत्व में साधु-संतों के साथ राष्ट्रवादी युवा संगठनों के कार्यकर्ताओं ने कंचनपुर जिले के मुख्यालय महेंद्रनगर में प्रदर्शन किया। उन्होंने ‘राजा लाओ-देश बचाओ, गणतंत्र मुर्दाबाद, कम्युनिस्ट मुर्दाबाद’ के साथ ‘हिंसा बंद करो, कालापानी हम्रो हो, लिंपियाधुरा हम्रो हो’ जैसे नारे लगाकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि राजशाही के बगैर नेपाल का विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि विश्व का एकमात्र हिंदू राष्ट्र कहलाने वाले नेपाल में गणतंत्र के बाद हिंदुत्व खतरे में पड़ गया है।