देहरादून, 19 जनवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा साल 2022 तक नए भारत का निर्माण करने के लिए जिस विजन के तहत देश में विश्वस्तरीय ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को वरीयता दी गई है, उस क्रम में दिल्ली से देहरादून की दूरी अब सड़क मार्ग से सिमटने वाली है। यह सम्भव होगा नए बनने वाले दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे से। अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो निकट भविष्य में आप सड़क मार्ग से दिल्ली से देहरादून सिर्फ ढाई घंटे में पहुंच सकेंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि इस एक्सप्रेसवे के बनने से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की आर्थिकी को नए पंख लग जाएंगे।
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 210 किलोमीटर और इसकी अनुमानित पूंजी लागत 13000 करोड़ रुपये है। यह उत्तर-पूर्वी दिल्ली, गाजियाबाद, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर तथा सहारनपुर होकर देहरादून पहुंचेगा। इस एक्सप्रेसवे का पहला सेक्शन दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर अक्षरधाम मंदिर के पास से शुरू होगा और बागपत के ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे (ईपीई) जंक्शन पर समाप्त होगा। इस 32 किलोमीटर में से 18 किलोमीटर एलिवेटेड रोड दिल्ली के शास्त्री पार्क, खजूरी खास और मंडोला से होकर गुजरेगा। हाइवे को छह लेन कैरेज-वे और छह लेन सर्विस रोड के साथ एक्सेस कंट्रोल बनाया जाएगा। इससे न सिर्फ उत्तर-पूर्वी दिल्ली को ट्रैफिक जाम से छुटकारा मिलेगा बल्कि यह उत्तर प्रदेश सरकार के लिए ट्रॉनिका सिटी और मंडोला विहार डेवलपमेंट के लिए भी लाइफलाइन साबित होगा।
दूसरे सेक्शन में ईपीई सेक्शन क्रॉसिंग के बाद यह छह लेन एक्सप्रेसवे 118 किलोमीटर लंबा ग्रीन फील्ड मार्ग होगा, जो सहारनपुर बाईपास पर जुड़ जाएगा। हाइवे पर प्रवेश और निकास के लिए कुल 7 इंटरचेंज और 60 अंडर पास होंगे। यह एक्सप्रेसवे अपनी तरह का एक अनूठा अनुभव लोगों को देगा। मसलन क्लोज टोल प्रणाली के अलावा सीसीटीवी से पूरे हाइवे की निगरानी होगी। प्रत्येक 25-30 किलोमीटर के अंतराल पर एक्सेप्रेसवे के किनारे दोनों ओर यात्रियों के लिए जन सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
तीसरे सेक्शन के अंतर्गत सहारनपुर बाईपास से गणेशपुर के 40 किलोमीटर एक्सेस कंट्रोल सुरक्षा अथवा 100 किलोमीटर प्रति घंटा गति को सुनिश्चित करते हुए अपग्रेडेशन कार्य जैसे कि अतिरिक्त अंडरपास और अतिरिक्त सर्विस रोड पूर्ण किए जाएंगे।
चौथा और आखिरी सेक्शन गणेशपुर से देहरादून तक होगा जिसका ज्यादातर हिस्सा वन्य भूमि से गुजरेगा जो दुर्घटनाओं के लिहाज से भी संवेदनशील है। सड़क की कम चौड़ाई और तीव्र मोड़ और सही पुल संरचनाओं के कारण अभी शनिवार और रविवार को अधिक ट्रैफिक के दौरान लोगों को ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है। प्रस्तावित 6 लेन एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेस का लगभग 6 किलोमीटर का भाग मौजूदा एलाइनमेंट से होकर गुजरेगा और बाकी 14 किलोमीटर हिस्से को एलिवेटेड रोड और टनल के रूप में बनाया जाएगा। एलिवेटेड रोड और अंडरपास की पर्याप्त संख्या यहां के जानवरों की बेरोकटोक आवाजाही को सुनिश्चित करेगा। मौजूदा हाइवे डॉट की देवी टनल से होकर गुजरता है। इस टनल के साइड में एक और टनल बनाई जाएगी ताकि आवाजाही के दौरान यातायात विभाजित रहे।
इस एक्सप्रेसवे का तकरीबन 4 किलोमीटर का हिस्सा उत्तराखंड में है। इसका ज्यादातर भाग सामान्य भूमि तल से ऊंचा रहेगा ताकि अंडरपास के जरिए वन्यजीवों का आवागमन बना रहे। 6 लेन 12 किलोमीटर लंबा वाइल्डलाइफ कॉरीडोर भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे लंबा कॉरीडोर है, जो अपने आप में एक मिसाल है। दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे के निर्माण में भूमि अधिग्रहण एवं पर्यावरण संरक्षण प्रक्रिया एडवांस फेस में है। वन एवं वन्य जीव प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। मार्च 2021 तक कार्य अवार्ड हो जाएगा और 2 वर्ष की अवधि में निर्माण कार्य पूरा होना प्रस्तावित है। इस तरह देहरादून की दूरी 235 किलोमीटर से लगभग 25 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा का समय जो अभी लगभग 6.30 घंटे का है, वह लगभग ढाई घंटे का हो जाएगा। यह नया एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की आर्थिकी को एक नया आयाम और रोजगार देगा। इसके साथ ही उत्तराखंड के पर्यटन को एक नई दिशा प्रदान करेगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन 2022 तक एक नए भारत का निर्माण करने के लिए विश्व स्तरीय ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को प्राथमिकता दी गई है। यह उसी कड़ी का हिस्सा है। इस एक्सप्रेस वे के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह का प्रदेशवासियों की ओर से आभार जताते हुए वह कहते हैं कि इस एक्सप्रेस-वे के बनने से प्रदेश में पर्यटन गतिविधियां निश्चित तौर पर बढेंगी, जिसका लाभ हमारे युवाओं को होगा। यह एक्सप्रेसवे प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में संपूर्ण देश के सर्वांगीण विकास की मिसाल है।