उत्तर प्रदेश सरकार ने शामली में हुए 2013 के साम्प्रदायिक दंगे का मुकदमा लिया वापस
शामली, 07 मई (हि.स.)। सात पहले वर्ष 2013 में सपा शासन के दौरान हुए सांप्रदायिक दंगे के समय दर्ज किए मुकदमों को प्रदेश की भाजपा सरकार ने वापस ले लिया है। इसमें वाल्मीकि समाज के 13 लोगों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। शामली विधायक तेजेन्द्र निर्वाल ने बताया कि यह मामला राजनैतिक दुर्भावना के तहत दर्ज किया गया था। उन्होंने इस मुकद्दमे को वापस लेने की पैरोकारी की थी।
कानून मंत्री ब्रिजेश पाठक ने जिला प्रशासन की रिपोर्ट पर यह मामला वापस ले लिया। यह जानकारी गुरुवार को फाेन पर प्रदेश के कानून मंत्री ने विधायक को दी। करीब सात साल पहले वर्ष-2013 में शामली में सपा शासन में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। इस दौरान दो समुदाय के लोगों के बीच संघर्ष हुआ था। पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। वाल्मीकि समाज ने दर्ज मुकदमे को राजनैतिक दबाव बताते हुए खुद को निर्दोष बताया था। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की थी। भाजपा नेता घनश्याम पार्चा पर रासुका भी लगायी गयी थी। इस मामले में 11 माह तक उन्हें जेल में रहना पड़ा था। प्रदेश में भाजपा के सत्तारूढ़ होते ही विधायक तेजेन्द्र निर्वाल व भाजपा नेताओं ने इस मामले को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया। इस मामले में मदद का आश्वासन सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिया था। सात साल बाद प्रदेश सरकार ने यह मामला वापस लेने की घोषणा की।
यह था मामला-
प्रदेश के कानून मंत्री ब्रिजेश पाठक ने विधायक तेजेन्द्र निर्वाल को मुकद्दमा वापस लेने की जानकारी फोन से दी। इसकी सूचना मिलते ही वाल्मीकि समाज के लोगों ने खुशी मनायी। यह था मामला शामली नगर में एक बाहरी युवती के साथ दुष्कर्म हुआ था। इसका विरोध जताते हुए भाजपा नेता व काफी लोग सड़कों पर उतर आए थे। इस दौरान जमकर टकराव हुआ था। इस ममाले में रिपोर्ट दर्ज करने पर आरोप लगा था कि राजनीतिक दबाव में पीड़ितों के खिलाफ ही रिपोर्ट दर्ज कर ली गयी है। इसमें भाजपा नेता घनश्याम पार्चा, राधेश्याम पार्चा, श्रवण, मुकेश, अनिल, विनोद, अशोक, विकास, नरेंद्र, विश्वास, लवी, अरुण व महेंद्र को नामजद किया गया था। इस मुकदमे को झूठा और षड़यंत्र तथा राजनैतिक दबाव के चलते दर्ज कराए जाने का आरोप लगाते हुए वापस लेने की मांग की जा रही थी। भाजपा शासन में अब यह मुकदमा वापस हुआ है। विश्वास-मुकेश की हो चुकी मौत योगी सरकार ने सांप्रदायिक दंगों के नामजद जिन 13 लोगों से मुकदमा वापस लिया है उनमें दो की मौत हो चुकी है। विश्वास पुत्र गोधू की मौत गिरफ्तारी के कुछ माह बाद जेल में हो गई थी। मुकेश पुत्र घसीटा की मृत्यु बीमारी के कारण करीब डेढ़ माह पहले घर हुई थी। अन्य आरोपित फिलहाल जमानत पर हैं।
असत्य पर सत्य की जीत-
भाजपा नेता घनश्याम पार्चा ने एक युवती के साथ दुष्कर्म का विरोध किया था। तब सपा शासन का था। यह शामली के तत्कालीन एसपी को खराब लगा। उन्होंने राजनीतिक दबाव और विद्वेष के तहत उन पर मुकदमा दर्ज कर दिया। उस समय दूसरे समुदाय के लोगों ने उनके समाज के लोगों पर हमला किया था। उन सभी ने बचाव किया तो राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस ने सभी पीड़ितों पर ही मुकदमा दर्ज कर दिया था। पुलिस ने उन पर रासुका की कार्रवाई भी की थी। उन्हें 11 माह जेल में रहना पड़ा। उन्हें गोरखपुर, मुजफ्फरनगर सहित कई जेलों में रखा गया था। इस मुकदमे को वापस कराने के लिए वह और अन्य भाजपा नेता प्रयासरत थे। अब भाजपा सरकार ने यह मुकदमा वापस ले लिया है। यह असत्य पर सत्य की जीत है।
यह बोले विधायक-
इस मुकदमे में सपा शासन में दर्ज किया गया था जो पूरी तरह से झूठा था। इस मुकदमे में ऐसे भी युवक शामिल किए गए थे जो उस समय पढ़ रहे थे। उन्हें इस बारे में बताया गया था तो उन्होंने मुकदमा वापसी के प्रयास किए थे। कानून मंत्री से उनकी बात हुई तो उन्हें मुकदमा वापसी की जानकारी हुई। इस बारे में पीड़ितों को भी अवगत करा दिया गया है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आभारी हैं। उन्होंने शामली के वाल्मिकी समाज को न्याय दिलाया है।
-तेजेंद्र निर्वाल, विधायक, शामली।
इन्होंने कहा…
वर्ष 2013 में नगर में सांप्रदायिक दंगे का मुकदमा नगर कोतवाली शामली में दर्ज हुआ था। यह मुकदमा वापस हुआ है या नहीं, फिलहाल उन्हें यह जानकारी नही है।
-विनीत जायसवाल, एसपी शामली।