देहरादून, 09 मार्च (हि.स.)। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार शाम राजभवन में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद मीडिया से बातचीत में भावुक हो गए। कहा- चार साल तक साधारण कार्यकर्ता को राज्य का मुख्यमंत्री बनने को सौभाग्य मिला। उन्होंने भावी मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं दीं। बुधवार सुबह 10 बजे होने वाली भाजपा विधायक दल की बैठक में नए नेता का चयन होने की संभावना है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत का इस्तीफा स्वीकार करने के बाद राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने ट्वीट किया- ‘उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजभवन में भेंट कर मुख्यमंत्री पद से त्याग पत्र सौंपा। रावत का इस्तीफा स्वीकार करते हुए उनसे राज्य में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति होने एवं पदभार ग्रहण करने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने को कहा है।’
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार शाम करीब चार बजकर बीस मिनट पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंपा। इसके साथ ही नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चार दिनों से चल रहे नाटकीय घटनाक्रम पर विराम लग गया और स्थिति साफ हो गई।
इस मौके पर त्रिवेंद्र ने कहा – ‘भाजपा में साधारण कार्यकर्ता को बड़े पदों पर भेजा जाता है। छोटे से गांव के रहने वाले सैनिक परिवार को बेटे को चार साल,09 दिन देवभूमि की सेवा करने का स्वर्णिम मौका मिलना सौभाग्य की बात है। साधारण कार्यकर्ता को पार्टी ने इतना बड़ा सम्मान दिया, ये मैंने कभी सोचा तक नहीं था।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रचारक से लेकर संगठन मंत्री और मंत्री फिर मुख्यमंत्री का सफर के साथ कई अहम पदों पर काम करने का मौका मिला। यह मेरे लिए बहुत की सुखद रहा।’
उन्होंने कहा कि बुधवार को देहरादून में भाजपा विधायक दल की बैठक सुबह दस बजे होगी। बैठक में नए नेता का चयन किया जाएगा।
खैरासैण से देहरादून तक
त्रिवेंद्र सिंह रावत पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लाक के खैरासैण गांव के रहने वाले हैं। 20 दिसम्बर 1960 को प्रताप सिंह रावत और भोदा देवी के घर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जन्म लिया। त्रिवेंद्र सिंह रावत के पिता प्रताप सिंह रावत थल सेना की बीईजी रुड़की कोर में कार्यरत रहे हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत 9 भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। कक्षा 10 वीं की परीक्षा पौड़ी जिले में ही सतपुली इंटर कॉलेज और 12वीं की परीक्षा एकेश्वर इंटर कॉलेज से हासिल की। शुरू से ही शांत स्वभाव वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लैंसडाउन के जयहरीखाल डिग्री कॉलेज से स्नातक और गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से स्नातकोत्तर की डिग्री की। श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए करने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत 1984 वर्ष में देहरादून चले गए। उनका विवाह सुनीता रावत से हुआ। सुनीता रावत शिक्षक हैं और देहरादून में नियुक्त हैं। इनकी दो पुत्रियां हैं। रावत का राजनीतिक सफर 1979 में शुरू हुआ। इस वर्ष त्रिवेंद्र सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। वर्ष 1981 में संघ के प्रचारक के रूप में काम करने का संकल्प लिया। वर्ष 1985 में देहरादून महानगर के प्रचारक बने। वर्ष 1993 में वह भाजपा के क्षेत्रीय संगठन मंत्री बने। आलाकमान ने त्रिवेंद्र सिंह रावत 1997 और 2002 में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री बनाया। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड अलग राज्य बनने के बाद पहली बार 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में डोईवाला से जीत दर्ज की। 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में डोईवाला से एक बार फिर विजयश्री प्राप्त की। वर्ष 2007 से 2012 तक भाजपा सरकार में कृषि मंत्री रहे। साल 2012 में विधानसभा का चुनाव हारे। इसके बाद एक उपचुनाव में भी हार भी मिली। फिर राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी मिली।