नई दिल्ली, 13 अप्रैल (हि.स.)। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अस्पतालों और डॉक्टरों से अपील की है कि वह आवश्यकता पड़ने पर ही कोरोना मरीज को रेमडेसिवीर इंजेक्शन दें।
मंगलवार को आयोजित प्रेस वार्ता में केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने रेमडेसिवीर की किल्लत पर कहा कि इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी गई है। साथ ही परामर्श दिया है कि दवा का इस्तेमाल सिर्फ अस्पतालों में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह केमिस्ट दुकानों में उपलब्ध नहीं है, क्योंकि इस इंजेक्शन को अस्पतालों में ही दिया जाता है।
वैक्सीन के बाद कोरोना होने पर अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 85 प्रतिशत तक कम
आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने बताया कि वैक्सीन लगाने के बाद भी कोरोना होने पर अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 85 प्रतिशत तक कम हो जाती है। वैक्सीन लगाने के बाद शरीर में एंटीबॉडी विकसित होने में वक्त लगता है। वैक्सीन के प्रभाव पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया है कि जिन्हें वैक्सीन लगा है उनमें कोरोना संक्रमण की तीव्रता बेहद कम होती है। उन्होंने कहा कि इसलिए वैक्सीन लगाने के बाद भी लोगों को कोरोना से बचाव के सभी उपाय करने चाहिए।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर को रोकने के लिए भीड़ से दूर रहें लोग
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल ने बताया कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर को रोका जा सकता है अगर लोग ईमानदारी से मास्क पहने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। लोगों की सावधानी का असर अगले हफ्ते से ही दिखाई देना शुरू हो जाएगा और नए मामले आना कम हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि लोग आयुष के समाधानों पर भी गौर करें और काढ़ा पिए। योग करें ताकि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े।